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Special: भीलवाड़ा के इस अनूठे संग्रहालय को देख आप भी रह जाएंगे दंग, दादा की विरासत को संभाल रहे पोते ने सुनाई अनोखी कहानी

आपको एक ऐसे संग्रहालय के बारे में बताते हैं, जहां आपको (Unique Museum of Bhilwara) देसी ही नहीं, बल्कि विदेशी मुद्रा व अन्य ऐसी चीजें देखने को मिलेंगी, जिसकी शायद आपने कल्पना भी नहीं की होगी. सबसे खास बात यह है कि इस संग्रहालय के निर्माता एक 70 वर्षीय बुजुर्ग हैं.

Unique Museum of Bhilwara
Unique Museum of Bhilwara
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Published : Mar 19, 2023, 7:42 PM IST

संग्रहालय के संस्थापक सुशील गोयल

भीलवाड़ा. सिटी निवासी सुशील गोयल ने अपने मकान में एक अनोखा संग्रहालय बनाया है, जिसमें सभी प्रकार के डाक टिकट, कोर्ट स्टांप के साथ ही भारतीय व विदेशी करेंसियों को संग्रहित कर रखा गया है. वहीं, इस गैलरी का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है. वर्तमान में अपने दादा के साथ उनके दो जुड़वे पोते इस विरासत को सहेजने व संजोने में लगे हैं. साथ ही गोयल अब इस गैलरी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का सपना देख रहे हैं.

कहते हैं कि शौक तो सभी रखते हैं, लेकिन अपने शौक को मुकाम तक कुछ ही लोग पहुंचा पाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मुकाम हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास की जरूरत होती है और जो इसमें सफल होता है उसी को मंजिल नसीब होती है. खैर, आज हम एक ऐसे शख्स की बात करने जा रहे हैं, जिनके शौक के बारे में जान आप दांतों तले उंगली दबा जाएंगे. भीलवाड़ा शहर के रहने वाले सुशील गोयल ने अपने मकान के भूतल में विशाल संग्रहालय बनवा रखा है. जिसमें पुराने शपथ पत्रों के साथ ही आपको बहुत से डाक टिकट और भारतीय व विदेशी सिक्के और नोटों का संग्रह देखने को मिलता है.

वहीं, इतिहास में फिलाटेली और नेटफ्लि शब्द काफी अहम व चर्चित है. फिलाटेली का अर्थ डाक टिकट का संग्रह, संकलन व उनका अध्ययन है तो वहीं नेटफ्लि का अर्थ शौक के तौर पर बैंकिंग मुद्रा अर्थात नोटों का संग्रह करना है. भीलवाड़ा निवासी 70 वर्षीय टिंबर व्यवसायी सुशील गोयल ने अपने शौक को पूरा करने के लिए एक विशाल संग्रहालय का निर्माण करवाया, जो आज गोयल गैलरी के नाम से मशहूर है.

इसे भी पढ़ें - Special: बीकानेर का एक ऐसा कारोबारी, जो बना पहला विधायक और उसे अपने शौक के लिए लड़नी पड़ी कानूनी लड़ाई

अपने संग्रहालय को लेकर बुजुर्ग सुशील गोयल कहते हैं कि विरासत को संग्रहित करने की शुरुआत उन्होंने करीब 40 साल पहले शुरू की थी. सबसे पहले उन्होंने अपने शौक को कलेक्शन का रूप दिया. आहिस्ते-आहिस्ते उनका शौक एक धरोहर में तब्दील हो गया. उन्होंने कहा कि वो अपने संग्रह को पांच हिस्सों में विभक्त किए हैं. पहले हिस्से में भारतीय मुद्रा, दूसरे में आपको देशी-विदेशी सिक्के, तीसरे में डाक टिकट, चौथे में कोर्ट स्टांप और पांचवें वे अंतिम हिस्से में विदेशी करेंसियों के संग्रह देखने को मिलेगा.

भारतीय मुद्रा संग्रह - इस कलेक्शन में भारतीय मुद्रा के नोटों की लगातार बढ़ते क्रम में 3 सीरीज तैयार की गई है. पहली सीरीज में 999 नोट 001001 से 999999 तक के तो दूसरी सीरीज में 220 नोट 000001 से 1000000 तक और तीसरी सीरीज में 99 नोट 010101 से 999999 तक के नंबरों की है. यह सीरीज संभव है कि भारत की अपनी पहली सीरीज है. इस सीरीज को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड व इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी शामिल किया जा चुका है. इस कलेक्शन में भारतीय मुद्रा के एक रुपए के नोट जो कि 1917 से लेकर आज तक जारी किए गए हैं, सभी नोट संग्रहित हैं. मोरारजी सरकार की ओर से 1978 में बंद हुए 1000 का नोट भी इसमें शामिल है. इसके अलावा ऐसे नोट भी हैं जिन पर नंबर ही नहीं हैं. भारतीय मुद्रा के रूप में आजादी के बाद सभी गवर्नर के हस्ताक्षर वाले नोट भी यहां उपलब्ध है. वहीं, 786 के नोट का भी अनूठा संग्रह है.

संग्रहालय में सिक्कों का संग्रह - संग्रहालय के दूसरे हिस्से में आपको विभिन्न प्रकार के सिक्कों के संग्रह देखने को मिलेंगे. जिनमें 1835 से लेकर 1945 तक जारी चांदी के सिक्के मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं. इसके अलावा यहां आपको भिलाड़ी सिक्के भी देखने को मिलेंगे, जो कि तांबे से बने हैं और मेवाड़ क्षेत्र में कभी प्रचलित थे. इस संग्रहालय में एक पाई से लेकर आज तक जारी सभी सिक्के संग्रहित हैं. साथ ही समय-समय पर भारत सरकार द्वारा विभिन्न महापुरुषों पर जारी चांदी के सिक्के भी यहां रखे गए हैं.

डाक टिकटों का संग्रह - इस संग्रहालय में 1947 से लेकर 2023 तक जारी बिना स्टांप लगे सभी डाक टिकट रखे गए हैं. इसके अलावा महात्मा गांधी थीम पर भारतीय व अन्य 40 देशों की ओर से जारी डाक टिकट भी संग्रहित हैं. लगभग 15 अन्य देशों के डाक टिकट यहां आपको देखने को मिलेगा तो वहीं, पुराने पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र और पोस्ट लिफाफे भी देखने को उपलब्ध हैं.

कोर्ट स्टांप और विदेशी मुद्रा - ब्रिटिश इंडिया सरकार व 40 अन्य देशी रियासतों के कोर्ट स्टांप और रेवेन्यू टिकट इस संग्रहालय में आपको देखने को मिलेगा. गोयल बताते हैं कि उनके संग्रहालय में 70 देशों के नोट संग्रहित हैं. जिनमें सबसे महंगी मुद्रा कुवैती दिनार और सबसे सस्ती मुद्रा इंडोनेशिया रुपया है. उन्होंने कहा कि इस कलेक्शन में उनके साथ-साथ उनके दो पौत्र सत्यम और शिवम गोयल भी उनकी पूरी मदद करते हैं. इस कलेक्शन को देखने के लिए समय-समय पर मित्र, रिश्तेदारों के अलावा विभिन्न स्कूलों के बच्चे भी आते रहते हैं. गोयल ने कहा कि उनका नाम गिनीज बुक में भी दर्ज हो इसके लिए वो लगातार प्रयास कर रहे हैं. इधर, शिवम गोयल ने कहा कि जो उनके दादाजी ने संग्रहालय बनाया है, उसको वो सहेजने में लगे हैं. साथ ही इसमें जो भी कमी है, उसे भी पूरा करने की कोशिश जारी है.

संग्रहालय के संस्थापक सुशील गोयल

भीलवाड़ा. सिटी निवासी सुशील गोयल ने अपने मकान में एक अनोखा संग्रहालय बनाया है, जिसमें सभी प्रकार के डाक टिकट, कोर्ट स्टांप के साथ ही भारतीय व विदेशी करेंसियों को संग्रहित कर रखा गया है. वहीं, इस गैलरी का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है. वर्तमान में अपने दादा के साथ उनके दो जुड़वे पोते इस विरासत को सहेजने व संजोने में लगे हैं. साथ ही गोयल अब इस गैलरी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का सपना देख रहे हैं.

कहते हैं कि शौक तो सभी रखते हैं, लेकिन अपने शौक को मुकाम तक कुछ ही लोग पहुंचा पाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि मुकाम हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास की जरूरत होती है और जो इसमें सफल होता है उसी को मंजिल नसीब होती है. खैर, आज हम एक ऐसे शख्स की बात करने जा रहे हैं, जिनके शौक के बारे में जान आप दांतों तले उंगली दबा जाएंगे. भीलवाड़ा शहर के रहने वाले सुशील गोयल ने अपने मकान के भूतल में विशाल संग्रहालय बनवा रखा है. जिसमें पुराने शपथ पत्रों के साथ ही आपको बहुत से डाक टिकट और भारतीय व विदेशी सिक्के और नोटों का संग्रह देखने को मिलता है.

वहीं, इतिहास में फिलाटेली और नेटफ्लि शब्द काफी अहम व चर्चित है. फिलाटेली का अर्थ डाक टिकट का संग्रह, संकलन व उनका अध्ययन है तो वहीं नेटफ्लि का अर्थ शौक के तौर पर बैंकिंग मुद्रा अर्थात नोटों का संग्रह करना है. भीलवाड़ा निवासी 70 वर्षीय टिंबर व्यवसायी सुशील गोयल ने अपने शौक को पूरा करने के लिए एक विशाल संग्रहालय का निर्माण करवाया, जो आज गोयल गैलरी के नाम से मशहूर है.

इसे भी पढ़ें - Special: बीकानेर का एक ऐसा कारोबारी, जो बना पहला विधायक और उसे अपने शौक के लिए लड़नी पड़ी कानूनी लड़ाई

अपने संग्रहालय को लेकर बुजुर्ग सुशील गोयल कहते हैं कि विरासत को संग्रहित करने की शुरुआत उन्होंने करीब 40 साल पहले शुरू की थी. सबसे पहले उन्होंने अपने शौक को कलेक्शन का रूप दिया. आहिस्ते-आहिस्ते उनका शौक एक धरोहर में तब्दील हो गया. उन्होंने कहा कि वो अपने संग्रह को पांच हिस्सों में विभक्त किए हैं. पहले हिस्से में भारतीय मुद्रा, दूसरे में आपको देशी-विदेशी सिक्के, तीसरे में डाक टिकट, चौथे में कोर्ट स्टांप और पांचवें वे अंतिम हिस्से में विदेशी करेंसियों के संग्रह देखने को मिलेगा.

भारतीय मुद्रा संग्रह - इस कलेक्शन में भारतीय मुद्रा के नोटों की लगातार बढ़ते क्रम में 3 सीरीज तैयार की गई है. पहली सीरीज में 999 नोट 001001 से 999999 तक के तो दूसरी सीरीज में 220 नोट 000001 से 1000000 तक और तीसरी सीरीज में 99 नोट 010101 से 999999 तक के नंबरों की है. यह सीरीज संभव है कि भारत की अपनी पहली सीरीज है. इस सीरीज को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड व इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी शामिल किया जा चुका है. इस कलेक्शन में भारतीय मुद्रा के एक रुपए के नोट जो कि 1917 से लेकर आज तक जारी किए गए हैं, सभी नोट संग्रहित हैं. मोरारजी सरकार की ओर से 1978 में बंद हुए 1000 का नोट भी इसमें शामिल है. इसके अलावा ऐसे नोट भी हैं जिन पर नंबर ही नहीं हैं. भारतीय मुद्रा के रूप में आजादी के बाद सभी गवर्नर के हस्ताक्षर वाले नोट भी यहां उपलब्ध है. वहीं, 786 के नोट का भी अनूठा संग्रह है.

संग्रहालय में सिक्कों का संग्रह - संग्रहालय के दूसरे हिस्से में आपको विभिन्न प्रकार के सिक्कों के संग्रह देखने को मिलेंगे. जिनमें 1835 से लेकर 1945 तक जारी चांदी के सिक्के मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं. इसके अलावा यहां आपको भिलाड़ी सिक्के भी देखने को मिलेंगे, जो कि तांबे से बने हैं और मेवाड़ क्षेत्र में कभी प्रचलित थे. इस संग्रहालय में एक पाई से लेकर आज तक जारी सभी सिक्के संग्रहित हैं. साथ ही समय-समय पर भारत सरकार द्वारा विभिन्न महापुरुषों पर जारी चांदी के सिक्के भी यहां रखे गए हैं.

डाक टिकटों का संग्रह - इस संग्रहालय में 1947 से लेकर 2023 तक जारी बिना स्टांप लगे सभी डाक टिकट रखे गए हैं. इसके अलावा महात्मा गांधी थीम पर भारतीय व अन्य 40 देशों की ओर से जारी डाक टिकट भी संग्रहित हैं. लगभग 15 अन्य देशों के डाक टिकट यहां आपको देखने को मिलेगा तो वहीं, पुराने पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र और पोस्ट लिफाफे भी देखने को उपलब्ध हैं.

कोर्ट स्टांप और विदेशी मुद्रा - ब्रिटिश इंडिया सरकार व 40 अन्य देशी रियासतों के कोर्ट स्टांप और रेवेन्यू टिकट इस संग्रहालय में आपको देखने को मिलेगा. गोयल बताते हैं कि उनके संग्रहालय में 70 देशों के नोट संग्रहित हैं. जिनमें सबसे महंगी मुद्रा कुवैती दिनार और सबसे सस्ती मुद्रा इंडोनेशिया रुपया है. उन्होंने कहा कि इस कलेक्शन में उनके साथ-साथ उनके दो पौत्र सत्यम और शिवम गोयल भी उनकी पूरी मदद करते हैं. इस कलेक्शन को देखने के लिए समय-समय पर मित्र, रिश्तेदारों के अलावा विभिन्न स्कूलों के बच्चे भी आते रहते हैं. गोयल ने कहा कि उनका नाम गिनीज बुक में भी दर्ज हो इसके लिए वो लगातार प्रयास कर रहे हैं. इधर, शिवम गोयल ने कहा कि जो उनके दादाजी ने संग्रहालय बनाया है, उसको वो सहेजने में लगे हैं. साथ ही इसमें जो भी कमी है, उसे भी पूरा करने की कोशिश जारी है.

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