भीलवाड़ा. अगर मन में हौसला और हर करने की लगन हो तो हालातों के विपरीत भी सफलता हासिल की जा सकती है. यही कर दिखाया है भीलवाड़ा जिले की हुरड़ा पंचायत समिति के रूहेपाली गांव के दो होनहार शिक्षित युवा भाइयों ने. जहां देश में गर्मी के मौसम में अनार का उत्पादन कहीं नहीं होता है, लेकिन इन दोनों भाइयों ने इस गर्मी के मौसम में 60 बीघा जमीन में लाखों रुपए की अनार का उत्पादन कर रहे हैं.
दोनों भाइयों ने ईटीवी भारत के माध्यम से युवाओं को संदेश दिया कि युवा शिक्षित होने के बाद रोजगार के लिए नहीं भटके और अगर कृषि का काम करना है तो बागवानी का काम करें जिससे लाखों रुपए का मेहनताना प्राप्त कर सकते हैं.
अपनी मेहनत और काबिलियत से भीलवाड़ा जिले की हुरड़ा पंचायत समिति क्षेत्र के रूहेपाली के दो होनहार युवा बेरोजगार भाइयों ने जिन्होंने डिग्री तक पढ़ाई करने के बाद रोजगार के लिए नहीं भटके और अपने पुश्तैनी जमीन पर बागवानी की शुरुआत कर इस गर्मी के मौसम में लाखों रुपए का अनार का उत्पादन कर रहे हैं.
इन्होंने अनार की कंधारी किस्म की बुवाई की है जो देश में सिर्फ महाराष्ट्र में बोई जाती है, लेकिन वर्तमान में यह किस्म वहां भी खत्म हो चुकी है. देश में ठंड के ही मौसम में ही अनार का उत्पादन होता है, लेकिन इन भाइयों ने फसल चक्र अपनाने के कारण मई महीने की भीषण गर्मी में भी अनार का उत्पादन कर रहे हैं. हालांकि देश में अभी कोरोना जैसी महामारी चल रही है, लेकिन इसके बावजूद भी इन्हें अनार के अच्छे दाम मिल रहे हैं.
जब ईटीवी भारत की टीम को इनके इस काम के बारे में पता चला तो ईटीवी की टीम भी पहुंच गई भीलवाड़ा जिले के युवा भाइयों के खलियान में. जहां गर्मी के मौसम में अनार को तोड़कर उसकी सफाई करके कैरिट में भरे जा रहे हैं.
जहां अनार के बागान में काम करने वाले रामदेव भील ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि मैं इस अनार के बागान में काम करता हूं. गर्मी के मौसम में अनार का उत्पादन यहीं होता है और पक्षियों से इन अनार को बचाने के लिए तमाम बागान के ऊपर नेट लगाई गई है. इनको ड्रिप सिस्टम से पानी दिया जाता है जिससे पानी की बचत भी होती है. यहां प्रतिदिन अनार के सौ कैरिट राजस्थान के अन्य जिलों में बिकने के लिए जाते हैं.
वहीं, अनार के बागान के युवा किसान वीर विरेंद्र विक्रम देव सिंह ने कहा कि मैंने बीए तक पढ़ाई की है और सरकारी नौकरी के लिए नहीं भटक कर मेरे बड़े भाई के साथ यहां हमारी पुश्तैनी जमीन में अनार की बागवानी की शुरुआत की. 60 बीघा जमीन में अनार के पौधे लगाए हुए हैं. मेरे बड़े भाई महाराष्ट्र में ट्रैक्टर कंप्रेसर का व्यवसाय करते थे वहां अनार का अच्छा उत्पादन देखकर यहां शुरुआत की है. मैं देश के युवाओं को यही संदेश देना चाहता हूं कि अगर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी नौकरी नहीं मिलती है और उनके पास कृषि की जमीन है तो वह परंपरागत खेती ना करके बागवानी करे ससे अच्छा उत्पादन मिल सकता है. हमने यहां कंधारी किस्म की अनार की बागवानी की है.
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वीर विरेंद्र विक्रम देव सिंह के बड़े भाई सत्येंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि कंधारी किस्म की अनार के दाने बिल्कुल लाल होते हैं जिस वजह से यह जल्दी बिक जाते हैं. 60 बीघा जमीन में 4000 पौधे लगाए हुए हैं.
वर्तमान में सिर्फ राजस्थान में ही गर्मी के मौसम में अनार का उत्पादन होता है. यह राजस्थान के अन्य जिलों में प्रतिदिन बिकने जाती है. 100 से 120 रूपये प्रति किलो होलसेल के भाव से बिक रही है. क्योंकि हम फसल चक्र अपनाते हैं, इसलिए यह अनार गर्मी के मौसम में भी अच्छी तरह उग रहा है. ठंड के मौसम में जब अनार के पौधे पर फ्लावरिंग आती है तब उनकी फ्लावरिंग को तुड़वा देते हैं. जिससे गर्मी में भी उत्पादन होता है. साल में सारे खर्च निकाल कर हमें 50 से 60 लाख रूपये का मेहनताना मिलता है.