भीलवाड़ा. जहां एक ओर डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया की बात हो रही है तो वहीं जिले के हुरडा पंचायत समिति इलाके के गांव मालीखेड़ा में स्थित प्राथमिक विद्यालय के छात्र पिछले 5 वर्ष से खुले में बैठकर पौराणिक काल जैसे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है. विद्यालय प्रबंधन कि ओर से प्रशासन को बार-बार अवगत करवाने के बाद भी सरकार कि ओर से अब तक विद्यालय भवन निर्माण नहीं करवाया गया है. जिससे विद्यालय में अध्ययनरत बालक बालिकाओं के माता-पिता को भी अब डर सताने लगा है.
भीलवाड़ा जिले के मालीखेड़ा में 4 मई 2013 को स्कूल प्रारंभ हुआ था लेकिन इसके 5 वर्ष बाद भी आज तक भवन नहीं होने के कारण बालक-बालिकाओं को पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. गांव के पशुओं के बाडे़ में खुले आसमान के नीचे यह विद्यालय चलता है. यह सरकारी प्राथमिक विद्यालय सरकार की शिक्षा के प्रति योजनाओं का पोल खोलने का जीता जागता उदाहरण है. विद्यालय में छ: छात्र और आठ छात्राएं अध्ययन करती है.
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इस बीच ईटीवी भारत की टीम ने मालीखेड़ा पहुंचकर ग्रामवासियों की पीड़ा जानी, जहां ग्रामवासी, विद्यालय का स्टाफ और छात्रों ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि सरकार हमारे यहां भी विद्यालय भवन का निर्माण करवाएं जिससे हम भी उस भवन के नीचे बैठकर अध्ययन करें.
ग्रामवासी पप्पू लाल माली और माया देवी ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि भले ही हम अपने बालक-बालिकाओं को विद्यालय में अध्ययन करने भेजते हैं लेकिन हम खेती पर आने के बाद भी हमको बालक-बालिकाओं को लेकर डर सताता रहता है कि कभी बरसात, तेज आंधी, या भयंकर सर्दी हो जाए तो बच्चे कैसे रहेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द या विद्यालय भवन का निर्माण करवाएं जिससे हमारे बच्चे सुरक्षित बैठ कर पढ़ सकें.
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विद्यालय के शिक्षक अंकित कुमार शर्मा ने कहा कि यह विद्यालय 4 मई 2013 से प्रारंभ हो गया है या वर्तमान में 14 छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं और विद्यालय भवन के लिए स्थानीय चारागाह भूमि में 5 बीघा जमीन का पट्टा भी आवंटित हो चुका है, लेकिन अब तक भवन नहीं बनने के कारण हम खुले में बैठाकर बालकों को पढ़ाते हैं और शिक्षकों को भी इनके प्रति चिंता रहती है. यहां संस्थान के सदस्यों ने एक कमरा दे रखा है उसमें विद्यालय भवन का सामान रखते हैं और इन बालक-बालिकाओं को हमेशा इसी पेड़ के नीचे बैठाकर अध्ययन करवाता जाता है. यहां 2 शिक्षक पोस्टेड थे जिसमें से एक डेपुटेशन होने के कारण वे अकेले ही रह गए. हैरान कर देने वाली बात यह है कि जब शाला के एकमात्र शिक्षक अंकित कुमार भी अनुपस्थित रहते हैं तो उस दिन विद्यालय की छुट्टी ही रहती है.
वहीं जिला शिक्षा अधिकारी तहसीन अली खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मालीखेड़ा में विद्यालय भवन नहीं होने की जानकारी मुझे आपके द्वारा मिली है. जल्द ही में हुरड़ा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और सीडीपीओ को निर्देश देकर वहां से तथ्यात्मक जानकारी जुटाकर जल्द से जल्द वहा भवन का निर्माण करवाया जाएगा, जिससे बच्चे उन भवन के नीचे बैठकर अध्ययन कर सकें. देखा जा सकता है कि जहां सरकार शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की बात करती है. वहीं भीलवाड़ा जिले के मालीखेड़ा में इन बालकों को बैठने के लिए विद्यालय भवन तक नहीं मिल पा रहा है. सवाल बनता है कि 5 वर्ष तो बीत गए लेकिन क्या आगे के 5 साल भी इसी तरह खुले में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर रहेंगे ये छात्र?