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5 साल से पेड़ के नीचे शिक्षा ग्रहण कर रहे भीलवाड़ा में इस गांव के बच्चे, भवन निर्माण की जोह रहे बाट - malikheda bhilwara

शिक्षा में गुणवत्ता की बात करने वाली राज्य सरकार के एजुकेशन सिस्टम की दयनीय स्थिति को भीलवाड़ा जिले के मालीखेड़ा गांव में देखा जा सकता है. यहां विद्यालय भवन के नाम पर सिर्फ एक कमरा है जिसके कारण विद्यार्थियों को सर्दी, गर्मी हो या बरसात पेड़ के नीचे बैठकर अध्ययन करने को मजबूर होना पड़ रहा है.

पेड़ के नीचे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर विद्यार्थी
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Published : Jul 27, 2019, 5:41 PM IST

भीलवाड़ा. जहां एक ओर डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया की बात हो रही है तो वहीं जिले के हुरडा पंचायत समिति इलाके के गांव मालीखेड़ा में स्थित प्राथमिक विद्यालय के छात्र पिछले 5 वर्ष से खुले में बैठकर पौराणिक काल जैसे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है. विद्यालय प्रबंधन कि ओर से प्रशासन को बार-बार अवगत करवाने के बाद भी सरकार कि ओर से अब तक विद्यालय भवन निर्माण नहीं करवाया गया है. जिससे विद्यालय में अध्ययनरत बालक बालिकाओं के माता-पिता को भी अब डर सताने लगा है.

पेड़ के नीचे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर विद्यार्थी

भीलवाड़ा जिले के मालीखेड़ा में 4 मई 2013 को स्कूल प्रारंभ हुआ था लेकिन इसके 5 वर्ष बाद भी आज तक भवन नहीं होने के कारण बालक-बालिकाओं को पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. गांव के पशुओं के बाडे़ में खुले आसमान के नीचे यह विद्यालय चलता है. यह सरकारी प्राथमिक विद्यालय सरकार की शिक्षा के प्रति योजनाओं का पोल खोलने का जीता जागता उदाहरण है. विद्यालय में छ: छात्र और आठ छात्राएं अध्ययन करती है.

यह भी पढ़ें: रूबेला-खसरा का टीकाकरण लगाने से 22 विद्यार्थियों की तबियत बिगड़ी , दो बालिकाओं को जालोर किया गया रेफर

इस बीच ईटीवी भारत की टीम ने मालीखेड़ा पहुंचकर ग्रामवासियों की पीड़ा जानी, जहां ग्रामवासी, विद्यालय का स्टाफ और छात्रों ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि सरकार हमारे यहां भी विद्यालय भवन का निर्माण करवाएं जिससे हम भी उस भवन के नीचे बैठकर अध्ययन करें.

ग्रामवासी पप्पू लाल माली और माया देवी ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि भले ही हम अपने बालक-बालिकाओं को विद्यालय में अध्ययन करने भेजते हैं लेकिन हम खेती पर आने के बाद भी हमको बालक-बालिकाओं को लेकर डर सताता रहता है कि कभी बरसात, तेज आंधी, या भयंकर सर्दी हो जाए तो बच्चे कैसे रहेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द या विद्यालय भवन का निर्माण करवाएं जिससे हमारे बच्चे सुरक्षित बैठ कर पढ़ सकें.

यह भी पढ़ें: भीलवाड़ा में मौसम का बदला मिजाज...उमस भरी गर्मी से लोगों को मिली राहत

विद्यालय के शिक्षक अंकित कुमार शर्मा ने कहा कि यह विद्यालय 4 मई 2013 से प्रारंभ हो गया है या वर्तमान में 14 छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं और विद्यालय भवन के लिए स्थानीय चारागाह भूमि में 5 बीघा जमीन का पट्टा भी आवंटित हो चुका है, लेकिन अब तक भवन नहीं बनने के कारण हम खुले में बैठाकर बालकों को पढ़ाते हैं और शिक्षकों को भी इनके प्रति चिंता रहती है. यहां संस्थान के सदस्यों ने एक कमरा दे रखा है उसमें विद्यालय भवन का सामान रखते हैं और इन बालक-बालिकाओं को हमेशा इसी पेड़ के नीचे बैठाकर अध्ययन करवाता जाता है. यहां 2 शिक्षक पोस्टेड थे जिसमें से एक डेपुटेशन होने के कारण वे अकेले ही रह गए. हैरान कर देने वाली बात यह है कि जब शाला के एकमात्र शिक्षक अंकित कुमार भी अनुपस्थित रहते हैं तो उस दिन विद्यालय की छुट्टी ही रहती है.

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी तहसीन अली खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मालीखेड़ा में विद्यालय भवन नहीं होने की जानकारी मुझे आपके द्वारा मिली है. जल्द ही में हुरड़ा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और सीडीपीओ को निर्देश देकर वहां से तथ्यात्मक जानकारी जुटाकर जल्द से जल्द वहा भवन का निर्माण करवाया जाएगा, जिससे बच्चे उन भवन के नीचे बैठकर अध्ययन कर सकें. देखा जा सकता है कि जहां सरकार शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की बात करती है. वहीं भीलवाड़ा जिले के मालीखेड़ा में इन बालकों को बैठने के लिए विद्यालय भवन तक नहीं मिल पा रहा है. सवाल बनता है कि 5 वर्ष तो बीत गए लेकिन क्या आगे के 5 साल भी इसी तरह खुले में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर रहेंगे ये छात्र?

भीलवाड़ा. जहां एक ओर डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया की बात हो रही है तो वहीं जिले के हुरडा पंचायत समिति इलाके के गांव मालीखेड़ा में स्थित प्राथमिक विद्यालय के छात्र पिछले 5 वर्ष से खुले में बैठकर पौराणिक काल जैसे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है. विद्यालय प्रबंधन कि ओर से प्रशासन को बार-बार अवगत करवाने के बाद भी सरकार कि ओर से अब तक विद्यालय भवन निर्माण नहीं करवाया गया है. जिससे विद्यालय में अध्ययनरत बालक बालिकाओं के माता-पिता को भी अब डर सताने लगा है.

पेड़ के नीचे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर विद्यार्थी

भीलवाड़ा जिले के मालीखेड़ा में 4 मई 2013 को स्कूल प्रारंभ हुआ था लेकिन इसके 5 वर्ष बाद भी आज तक भवन नहीं होने के कारण बालक-बालिकाओं को पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. गांव के पशुओं के बाडे़ में खुले आसमान के नीचे यह विद्यालय चलता है. यह सरकारी प्राथमिक विद्यालय सरकार की शिक्षा के प्रति योजनाओं का पोल खोलने का जीता जागता उदाहरण है. विद्यालय में छ: छात्र और आठ छात्राएं अध्ययन करती है.

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इस बीच ईटीवी भारत की टीम ने मालीखेड़ा पहुंचकर ग्रामवासियों की पीड़ा जानी, जहां ग्रामवासी, विद्यालय का स्टाफ और छात्रों ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि सरकार हमारे यहां भी विद्यालय भवन का निर्माण करवाएं जिससे हम भी उस भवन के नीचे बैठकर अध्ययन करें.

ग्रामवासी पप्पू लाल माली और माया देवी ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि भले ही हम अपने बालक-बालिकाओं को विद्यालय में अध्ययन करने भेजते हैं लेकिन हम खेती पर आने के बाद भी हमको बालक-बालिकाओं को लेकर डर सताता रहता है कि कभी बरसात, तेज आंधी, या भयंकर सर्दी हो जाए तो बच्चे कैसे रहेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द या विद्यालय भवन का निर्माण करवाएं जिससे हमारे बच्चे सुरक्षित बैठ कर पढ़ सकें.

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विद्यालय के शिक्षक अंकित कुमार शर्मा ने कहा कि यह विद्यालय 4 मई 2013 से प्रारंभ हो गया है या वर्तमान में 14 छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं और विद्यालय भवन के लिए स्थानीय चारागाह भूमि में 5 बीघा जमीन का पट्टा भी आवंटित हो चुका है, लेकिन अब तक भवन नहीं बनने के कारण हम खुले में बैठाकर बालकों को पढ़ाते हैं और शिक्षकों को भी इनके प्रति चिंता रहती है. यहां संस्थान के सदस्यों ने एक कमरा दे रखा है उसमें विद्यालय भवन का सामान रखते हैं और इन बालक-बालिकाओं को हमेशा इसी पेड़ के नीचे बैठाकर अध्ययन करवाता जाता है. यहां 2 शिक्षक पोस्टेड थे जिसमें से एक डेपुटेशन होने के कारण वे अकेले ही रह गए. हैरान कर देने वाली बात यह है कि जब शाला के एकमात्र शिक्षक अंकित कुमार भी अनुपस्थित रहते हैं तो उस दिन विद्यालय की छुट्टी ही रहती है.

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी तहसीन अली खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मालीखेड़ा में विद्यालय भवन नहीं होने की जानकारी मुझे आपके द्वारा मिली है. जल्द ही में हुरड़ा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और सीडीपीओ को निर्देश देकर वहां से तथ्यात्मक जानकारी जुटाकर जल्द से जल्द वहा भवन का निर्माण करवाया जाएगा, जिससे बच्चे उन भवन के नीचे बैठकर अध्ययन कर सकें. देखा जा सकता है कि जहां सरकार शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की बात करती है. वहीं भीलवाड़ा जिले के मालीखेड़ा में इन बालकों को बैठने के लिए विद्यालय भवन तक नहीं मिल पा रहा है. सवाल बनता है कि 5 वर्ष तो बीत गए लेकिन क्या आगे के 5 साल भी इसी तरह खुले में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर रहेंगे ये छात्र?

Intro:भीलवाड़ा- जहां एक ओर डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया की बात हो रही है वहीं भीलवाड़ा जिले के हुरडा पंचायत समिति के गागेडा पंचायत के मालीखेड़ा स्थित प्राथमिक विद्यालय के छात्र पिछले 5 वर्ष से खुले में बैठकर पौराणिक काल जैसे शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर है । विद्यालय प्रबंधन द्वारा बार-बार अवगत करवाने के बाद भी सरकार द्वारा अब तक विद्यालय भवन निर्माण नहीं होने के कारण विद्यालय में अध्ययनरत बालक बालिकाओं के माता-पिता को भी अब डर सताने लगा है।


Body:भीलवाड़ा जिले के मालिक हेड़ा मैं मई 4 मई 2013 को स्कूल प्रारंभ हुआ था लेकिन स्कूल प्रारंभ होने के 5 वर्ष बाद भी आज तक भवन नहीं होने के कारण बालक बालिकाओं को पेड़ के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। गांव के पशुओं के बाडे में खुले आसमान के नीचे यह विद्यालय चलता है। यह सरकारी प्राथमिक विद्यालय सरकार की शिक्षा के प्रति योजनाओं का पोल खोलने का जीता जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है। विद्यालय में 6 छात्र- व आठ छात्राएं अध्ययन करती है। विद्यालय भवन नहीं होने के लिए ईटीवी भारत की टीम मालीखेड़ा पहुंचकर ग्रामवासियों की पीड़ा जानी जहा ग्रामवासी विद्यालय का स्टाफ और छात्रों ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि सरकार हमारे यहां भी विद्यालय भवन का निर्माण करवाएं जिससे हम भी उस भवन के नीचे बैठकर अध्ययन कर सकते हैं।

ग्रामवासी पप्पू लाल माली व माया देवी ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि भले ही हम अपने बालक बालिकाओं को विद्यालय में अध्यन करने भेजते हैं लेकिन हम खेत पर किसानी काम करने आने के बाद भी हमारे को बालक बालिकाओं को लेकर डर सताता रहता है कि कभी बरसात आ जाए या तेज आंधी आ जाए या भयंकर सर्दी में बच्चे को सर्दी लग जाए इसी डर के साथ हमारे को यह चिंता रहती है। हमारी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द या विद्यालय भवन का निर्माण करवाएं जिससे हमारे बच्चे भी सुरक्षित बैठ कर पढ़ सकें और हमारा परिवार का नाम रोशन कर सकें।

बाईट- पप्पुलाल माली , ग्रामवासी
महिला

वहीं विद्यालय में अध्ययनरत छात्र मुकेश ने कहा कि हम विद्यालय में जब पढ़ने आते हैं तो हमारे बारे में हमारे माता-पिता को भी चिंता रहती है। हम हमेशा सर्दी गर्मी बरसात इस नीम के पेड़ के नीचे बैठकर ही पढ़ाई करते हैं हमारी मांग है कि दूसरी जगह भी विद्यालय भवन है उसी प्रकार हमारे बिना विद्यालय भवन का निर्माण करवाया जाए जिससे हम भी सर्दी, गर्मी व बरसात मे उस भवन की छत के नीचे बैठकर अध्यन कर सकते हैं।

बाईट-छात्र

वहीं विद्यालय के शिक्षक अंकित कुमार शर्मा ने कहा कि यह विद्यालय 4 मई 2013 से प्रारंभ हो गया है या वर्तमान में 14 छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं और विद्यालय भवन के लिए स्थानीय चारागाह भूमि में 5 बीघा जमीन का पट्टा भी आवंटित हो चुका है लेकिन अब तक भवन नहीं बनने के कारण हम या खुले में बैठाकर बालकों को पढ़ाते हैं और मेरे को भी इनके प्रति चिंता रहती है । यहां साला संस्थान के सदस्यों ने एक कमरा दे रखा है उसमें विद्यालय भवन का सामान रखते हैं और इन बालक बालिकाओं को हमेशा में इसी पेड़ के नीचे बैठाकर अध्यन करवाता हूं । यहां 2 शिक्षक पोस्टेड थे जिसमें से एक डेपुटेशन होने के कारण मैं अकेला ही हमेशा इन बालक बालिकाओं को पढ़ाता हूं।

बाईट- अंकित कुमार शर्मा , शिक्षक

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी तहसीन अली खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मालीखेड़ा में विद्यालय भवन नहीं होने की जानकारी मुझे आपके द्वारा मिली है जल्द ही में हुरड़ा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी व सीडीपीओ को निर्देश देकर वहां से तथ्यात्मक जानकारी जुटाकर जल्द से जल्द वहा भवन का निर्माण करवाया जाएगा जिससे बच्चे उन भवन के नीचे बैठकर अध्ययन कर सकें।

बाईट- तहसीन अली खान
जिलाशिक्षा अधिकारी , भीलवाड़ा

हम देख नहीं है जहां सरकार शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की बात करती है वहीं भीलवाड़ा जिले के मालीखेड़ा में इन बालकों को बैठने के लिए कब विद्यालय भवन का निर्माण करवाती है या इसी 5 वर्ष की तरह खुले में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर रहेंगे छात्र

पीटीसी-सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा


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