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शीतलहर की चपेट में पपीते की बागवानी फसल, किसान बोले- राम तो रूठ गए, लेकिन राज से उम्मीदें

राम तो रूठ गए, लेकिन राज से बहुत उम्मीदें हैं, ये कहना है किसान सत्यनाराण का. दरअसल, शीतलहर की चपेट में आने से सत्यनाराण की 2 बीघे की पपीते की फसल चौपट हो गई है. ऐसे में किसानों पर प्रकृति की दोहरी मार पड़ी है.

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Published : Jan 6, 2021, 2:09 PM IST

Updated : Jan 17, 2021, 5:24 PM IST

papaya horticultural crop wasted, Bhilwara Hindi News
शीतलहर की चपेट में पपीते की बागवानी फसल

भीलवाड़ा. जिले के किसानों पर प्रकृति का ऐसा कहर बरपा की फसल शीतलहर की चपेट में आ गई, जिसके कारण किसान की उम्मीद पर भी पानी फिर गया. कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी के चलते वैसे भी किसानों को अपनी उपज का दाम नहीं मिल रहा है. ऐसे में प्रकृति की ये मार किसानों पर दोहरी पड़ी गई है. शीतलहर की चपेट में आने से किसानों की पपीते की फसल चौपट हो गई.

शीतलहर की चपेट में पपीते की बागवानी फसल

ईटीवी भारत की टीम हुरड़ा पंचायत समिति क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में पंहुची, जहां पपीते की बागवानी और खेती की जाती है. शीतलहर की चपेट में आई पपीते की फसल को किसान टकटकी लगाए निहारा था और मायूस था. इस दौरान किसान कमलेश शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि वैसे भी कोरोना महामारी के चलते इस बार रोजगार नहीं है, मैंने 2 बीघा खेत में पपीते के पौधे लगवाए. हमने ताइवान किस्म के पौधे लगाए हैं, जहां 2 दिन पहले पारला गिरने के कारण यह पूरे पौधे सूख गए हैं. कुछ फल आ रहे हैं वह भी अब खराब हो जाएंगे. हम इसी बागवानी पर आश्रित हैं, जहां हमारी उम्मीद पर पानी फिर गया.

papaya horticultural crop wasted, Bhilwara Hindi News
शीतलहर की चपेट में पपीते की बागवानी फसल

यह भी पढ़ेंः बर्ड फ्लू की चपेट में आए कई राज्यों में अलर्ट, केरल में आपदा घोषित

वहीं, अपनी उपज को मायूस होकर निहार रहे सत्यनारायण ने कहा कि आज हमारी उम्मीद पर पानी फिर गया. हमने ऐसा नहीं सोचा था कि इस बार समय ऐसा खराब भी आएगा. इस बार राम तो रूठ गए, लेकिन अब हमारे को राज से उम्मीद है कि कुछ न कुछ मदद करें. हमारे सभी पपीते के पौधे बिल्कुल सूख गए हैं, अगर नहीं सुखते तो हमारे इस बार दो लाख की उपज होती. हम शासन से मांग करते हैं कि कुछ किसानों को राहत दें, जिससे हमारा घर का खर्च आसानी से चल सके.

भीलवाड़ा. जिले के किसानों पर प्रकृति का ऐसा कहर बरपा की फसल शीतलहर की चपेट में आ गई, जिसके कारण किसान की उम्मीद पर भी पानी फिर गया. कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी के चलते वैसे भी किसानों को अपनी उपज का दाम नहीं मिल रहा है. ऐसे में प्रकृति की ये मार किसानों पर दोहरी पड़ी गई है. शीतलहर की चपेट में आने से किसानों की पपीते की फसल चौपट हो गई.

शीतलहर की चपेट में पपीते की बागवानी फसल

ईटीवी भारत की टीम हुरड़ा पंचायत समिति क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में पंहुची, जहां पपीते की बागवानी और खेती की जाती है. शीतलहर की चपेट में आई पपीते की फसल को किसान टकटकी लगाए निहारा था और मायूस था. इस दौरान किसान कमलेश शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि वैसे भी कोरोना महामारी के चलते इस बार रोजगार नहीं है, मैंने 2 बीघा खेत में पपीते के पौधे लगवाए. हमने ताइवान किस्म के पौधे लगाए हैं, जहां 2 दिन पहले पारला गिरने के कारण यह पूरे पौधे सूख गए हैं. कुछ फल आ रहे हैं वह भी अब खराब हो जाएंगे. हम इसी बागवानी पर आश्रित हैं, जहां हमारी उम्मीद पर पानी फिर गया.

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शीतलहर की चपेट में पपीते की बागवानी फसल

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वहीं, अपनी उपज को मायूस होकर निहार रहे सत्यनारायण ने कहा कि आज हमारी उम्मीद पर पानी फिर गया. हमने ऐसा नहीं सोचा था कि इस बार समय ऐसा खराब भी आएगा. इस बार राम तो रूठ गए, लेकिन अब हमारे को राज से उम्मीद है कि कुछ न कुछ मदद करें. हमारे सभी पपीते के पौधे बिल्कुल सूख गए हैं, अगर नहीं सुखते तो हमारे इस बार दो लाख की उपज होती. हम शासन से मांग करते हैं कि कुछ किसानों को राहत दें, जिससे हमारा घर का खर्च आसानी से चल सके.

Last Updated : Jan 17, 2021, 5:24 PM IST
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