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भीलवाड़ा: रीति-रिवाज से निकाली गई बंदर की अंतिम शव यात्रा...ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा

भीलवाड़ा के कारोई थाना क्षेत्र के सोपुरा गांव में शुक्रवार को एक बंदर की मौत हो गई. जिसके बाद गांव वालों ने धार्मिक रीति-रिवाज से बंदर की शव यात्रा निकाली और अंतिम संस्कार किया. बंदर की अंतिम यात्रा में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

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Published : Dec 4, 2020, 7:46 PM IST

monkey unique funeral,  unique funeral in bhilwara
भीलवाड़ा में बंदर की शव यात्रा

भीलवाड़ा. जिले के कारोई थाना क्षेत्र के सोपुरा गांव में शुक्रवार को एक बंदर की मौत हो गई. जिसके बाद गांव वालों ने धार्मिक रीति-रिवाज से बंदर की शव यात्रा निकाली और अंतिम संस्कार किया. बंदर की अंतिम यात्रा में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

भीलवाड़ा में बंदर की शव यात्रा

क्या है पूरा मामला...

ग्राम पंचायत सेथुरिया के सोपुरा गांव में पशुओं के प्रति प्रेम और भावनात्मक लगाव की मिसाल देखने को मिली. शुक्रवार को एक बंदर की मौत हो गई, जिसके बाद ग्रामीणों ने वैदिक रीति-रिवाज के साथ बंदर का अंतिम संस्कार किया. ग्रामीणों ने हरी कीर्तन करते हुए बंदर की शव यात्रा निकाली. इस दौरान जगह-जगह की बंदर पर पुष्प वर्षा की गई.

पढ़ें: 'भीलवाड़ा मॉडल' को जोधपुर और जयपुर में लागू नहीं कर पाए गहलोत, उसे देश को देने की कर रहे पैरवी : देवनानी

गांव वालों ने लकड़ी के विबाण में शव रखकर यात्रा पूरे गांव में निकाली. ग्रामीणों ने बजरंग बली के जयकारे भी लगाए. कई गांवों में देखा जाता है कि जब भी कोई पशु मरता है तो वहां के लोग उसे पूरे विधी-विधान के साथ विदा करते हैं. कई जगह जानवरों को लेकर ऐसी-ऐसी मान्यताएं होती हैं, जिनको सुनकर यकीन नहीं होता है. लेकिन आधुनिक दौर में जहां इंसान और जानवरों के बीच लगाव लगातार कम होता जा रहा है. कई जगह जानवरों के साथ हिंसक व्यवहार की खबरें आती हैं. ऐसे में बंदर का अंतिम संस्कार जानवरों के प्रति मानवीय मूल्यों का संवेदनशील पहलू उजागर करता है.

भीलवाड़ा. जिले के कारोई थाना क्षेत्र के सोपुरा गांव में शुक्रवार को एक बंदर की मौत हो गई. जिसके बाद गांव वालों ने धार्मिक रीति-रिवाज से बंदर की शव यात्रा निकाली और अंतिम संस्कार किया. बंदर की अंतिम यात्रा में ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

भीलवाड़ा में बंदर की शव यात्रा

क्या है पूरा मामला...

ग्राम पंचायत सेथुरिया के सोपुरा गांव में पशुओं के प्रति प्रेम और भावनात्मक लगाव की मिसाल देखने को मिली. शुक्रवार को एक बंदर की मौत हो गई, जिसके बाद ग्रामीणों ने वैदिक रीति-रिवाज के साथ बंदर का अंतिम संस्कार किया. ग्रामीणों ने हरी कीर्तन करते हुए बंदर की शव यात्रा निकाली. इस दौरान जगह-जगह की बंदर पर पुष्प वर्षा की गई.

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गांव वालों ने लकड़ी के विबाण में शव रखकर यात्रा पूरे गांव में निकाली. ग्रामीणों ने बजरंग बली के जयकारे भी लगाए. कई गांवों में देखा जाता है कि जब भी कोई पशु मरता है तो वहां के लोग उसे पूरे विधी-विधान के साथ विदा करते हैं. कई जगह जानवरों को लेकर ऐसी-ऐसी मान्यताएं होती हैं, जिनको सुनकर यकीन नहीं होता है. लेकिन आधुनिक दौर में जहां इंसान और जानवरों के बीच लगाव लगातार कम होता जा रहा है. कई जगह जानवरों के साथ हिंसक व्यवहार की खबरें आती हैं. ऐसे में बंदर का अंतिम संस्कार जानवरों के प्रति मानवीय मूल्यों का संवेदनशील पहलू उजागर करता है.

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