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आशियाने की चाह में टूटती उम्मीद...मजदूर बोले- रोटी तो मिल रही, बस एक बार परिवार से मिला दो

लॉकडाउन के चलते भीलवाड़ा में औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई थीं. लेकिन लॉकडाउन 4.0 में सरकार ने कुछ रियायतों के साथ अब शुरू करने की इजाजत दे दी है. बावजूद इसके भी भीलवाड़ा में फंसे दूसरे प्रदेशों के मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं.

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आशियाने की राह देख रहे मजदूर
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Published : May 24, 2020, 3:01 PM IST

भीलवाड़ा. देश में कोरोना संक्रमण की चेन को खत्म करने के लिए लॉकडाउन जारी है, जिसके कारण जिले के तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद थीं. लेकिन लॉकडाउन 4.0 में तमाम औद्योगिक इकाइयों की शुरूआत हो चुकी है. लेकिन दूसरे प्रदेश के मजदूर वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर की औद्योगिक इकाइयों में काम करते हैं. मजदूर कुछ समय के लिए अपने गृह प्रदेश में जाना चाहते हैं. ऐसे में जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के मजदूरों की एक ट्रेन तो पहले भेज दी, जिसमें 1 हजार 407 मजदूरों को उत्तर प्रदेश के चित्रकूट धाम में भेजा था. लेकिन बिहार सहित अन्य प्रदेश के मजदूर अभी भी आस लगाए बैठे हैं.

आशियाने की राह देख रहे मजदूर

ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा से घर जा रहे मजदूरों के हालात जानना चाही. ऐसे में भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट पर आए प्रवासी मजदूर अशोक कुमार द्विवेदी ने कहा कि हमारी सरकार से गुजारिश है कि हमको हमारे प्रदेश भेजा जाए. हमको दो वक्त की रोटी तो मिल रही है, लेकिन हम एक बार अपने परिवार से मिलना चाहते हैं. मैं दिहाड़ी का काम करता हूं. यहां जिला मुख्यालय पर पैदल चलकर आया हूं और हमारे साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. लेकिन प्रशासन हमारी सुनवाई नहीं कर रहा है. वहीं भीलवाड़ा के प्रवासी मजदूर ने कहा कि मैं फैक्ट्री में काम करता हूं, रूम किराया भी हमारे पास नहीं है. मकान मालिक ने रूम किराया मांगा तो हम वहां से निकल गए.

यह भी पढ़ेंः कोरोना संकट के बीच डेंगू के डंक का खतरा, प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद

बिहार की महिला मजदूर बनारसी ने कहा कि खाने-पीने की भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. हम कपड़ा उद्योग में काम करते हैं, हम अपने गांव जाना चाहते हैं. हमारी मांग है कि हमको बिहार के मुजफ्फर जिले में भेज दो. वहीं अन्य श्रमिक सुभाष कुमार सिंह ने कहा कि हम कपड़ा उद्योग में काम करते हैं. कंपनी ने हमारा कुछ साथ नहीं दिया. रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, लेकिन जब इसके बारे में पूछते हैं तो सिर्फ आश्वासन ही मिलता है.

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मजदूरों के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं

वहीं एक मजदूर कहा कि हम चारभुजा कंपनी रायला के पास काम करते हैं. वहां से 4 मई को हमने अपने गृह प्रदेश में जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था. हमको अभी तक कोई भेजने का मैसेज नहीं आया, कहते हैं कि चार-पांच दिन में भेज देंगे. हमने बिहार हेल्पलाइन पर भी समस्या से अवगत करवाया, तो हमको खाना पहुंचाने की बात कही गई. लेकिन कंपनी ने हमारे लिए खाने की व्यवस्था भी नहीं की. थोड़े दिन काम चला और वह पैसा भी कंपनी ने खाने के एवज में काट लिया, हम बिहार जाना चाहते हैं. भीलवाड़ा से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिले के ग्रामीण क्षेत्र से पैदल बिहार की तरफ जा रहे मजदूर ने कहा कि हम भीलवाड़ा के नानकपुरा के पास कंचन उद्योग में काम करते थे. वहां कंपनी बंद है, न पेमेंट दिया और न ही राशन दे रहे हैं. शिकायत करते हैं तो हमें उल्टे डांटते हैं, यहां से बिहार के लिए पैदल निकल गए हैं.

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घर जाने की उम्मीद में बैठे मजदूर

वहीं भीलवाड़ा शहर से भाजपा विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश के लिए व्यवस्था कर उनको ट्रेन से भेज दिया है. अन्य प्रदेशों के मजदूरों को भेजने के लिए हमने प्रशासन से बात की है, जल्द ही दूसरे प्रदेश के मजदूरों को भी उनके गृह राज्य में भेजा जाएगा. भीलवाड़ा जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने कहा कि जिले में दूसरे प्रदेश में जाने वाले 32 हजार 817 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया. उनमें से 6 हजार 299 मजदूरों को ट्रेन और दूसरे वैकल्पिक साधनों के माध्यम से भेजा जा चुका है. इनमें यूपी के 3001, पश्चिमी बंगाल के 913 और महाराष्ट्र के 900 मजदूरों को भेजा है.

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रोटी तो मिल रही, बस हमको हमारे घर पहुंचा दो

वहीं भीलवाड़ा जिले में 23 हजार 309 मजदूर आने की दरकास लगा चुके हैं. उनमें से 13 हजार 424 लोग गुजरात से भीलवाड़ा आ चुके हैं और 5 हजार 300 लोग महाराष्ट्र से आ चुके हैं. शुरू में लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया. लेकिन अभी इंडस्ट्रीज खुल गई हैं, जिसमें मजदूरों को यहां रोजगार मिलने की संभावना दिख रही है. उत्तर प्रदेश के 1 हजार 407 मजदूरों को ट्रेन के माध्यम से भेज दिया है और जल्द ही बिहार के मजदूरों को भी ट्रेन के माध्यम से भेजा जाएगा. इसके लिए रजिस्ट्रेशन हो चुका है और नोडल अधिकारी ने श्रमिकों का वेरिफिकेशन भी कर दिया है.

भीलवाड़ा. देश में कोरोना संक्रमण की चेन को खत्म करने के लिए लॉकडाउन जारी है, जिसके कारण जिले के तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद थीं. लेकिन लॉकडाउन 4.0 में तमाम औद्योगिक इकाइयों की शुरूआत हो चुकी है. लेकिन दूसरे प्रदेश के मजदूर वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर की औद्योगिक इकाइयों में काम करते हैं. मजदूर कुछ समय के लिए अपने गृह प्रदेश में जाना चाहते हैं. ऐसे में जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के मजदूरों की एक ट्रेन तो पहले भेज दी, जिसमें 1 हजार 407 मजदूरों को उत्तर प्रदेश के चित्रकूट धाम में भेजा था. लेकिन बिहार सहित अन्य प्रदेश के मजदूर अभी भी आस लगाए बैठे हैं.

आशियाने की राह देख रहे मजदूर

ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा से घर जा रहे मजदूरों के हालात जानना चाही. ऐसे में भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट पर आए प्रवासी मजदूर अशोक कुमार द्विवेदी ने कहा कि हमारी सरकार से गुजारिश है कि हमको हमारे प्रदेश भेजा जाए. हमको दो वक्त की रोटी तो मिल रही है, लेकिन हम एक बार अपने परिवार से मिलना चाहते हैं. मैं दिहाड़ी का काम करता हूं. यहां जिला मुख्यालय पर पैदल चलकर आया हूं और हमारे साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. लेकिन प्रशासन हमारी सुनवाई नहीं कर रहा है. वहीं भीलवाड़ा के प्रवासी मजदूर ने कहा कि मैं फैक्ट्री में काम करता हूं, रूम किराया भी हमारे पास नहीं है. मकान मालिक ने रूम किराया मांगा तो हम वहां से निकल गए.

यह भी पढ़ेंः कोरोना संकट के बीच डेंगू के डंक का खतरा, प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद

बिहार की महिला मजदूर बनारसी ने कहा कि खाने-पीने की भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है. हम कपड़ा उद्योग में काम करते हैं, हम अपने गांव जाना चाहते हैं. हमारी मांग है कि हमको बिहार के मुजफ्फर जिले में भेज दो. वहीं अन्य श्रमिक सुभाष कुमार सिंह ने कहा कि हम कपड़ा उद्योग में काम करते हैं. कंपनी ने हमारा कुछ साथ नहीं दिया. रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं, लेकिन जब इसके बारे में पूछते हैं तो सिर्फ आश्वासन ही मिलता है.

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मजदूरों के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं

वहीं एक मजदूर कहा कि हम चारभुजा कंपनी रायला के पास काम करते हैं. वहां से 4 मई को हमने अपने गृह प्रदेश में जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था. हमको अभी तक कोई भेजने का मैसेज नहीं आया, कहते हैं कि चार-पांच दिन में भेज देंगे. हमने बिहार हेल्पलाइन पर भी समस्या से अवगत करवाया, तो हमको खाना पहुंचाने की बात कही गई. लेकिन कंपनी ने हमारे लिए खाने की व्यवस्था भी नहीं की. थोड़े दिन काम चला और वह पैसा भी कंपनी ने खाने के एवज में काट लिया, हम बिहार जाना चाहते हैं. भीलवाड़ा से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिले के ग्रामीण क्षेत्र से पैदल बिहार की तरफ जा रहे मजदूर ने कहा कि हम भीलवाड़ा के नानकपुरा के पास कंचन उद्योग में काम करते थे. वहां कंपनी बंद है, न पेमेंट दिया और न ही राशन दे रहे हैं. शिकायत करते हैं तो हमें उल्टे डांटते हैं, यहां से बिहार के लिए पैदल निकल गए हैं.

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घर जाने की उम्मीद में बैठे मजदूर

वहीं भीलवाड़ा शहर से भाजपा विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश के लिए व्यवस्था कर उनको ट्रेन से भेज दिया है. अन्य प्रदेशों के मजदूरों को भेजने के लिए हमने प्रशासन से बात की है, जल्द ही दूसरे प्रदेश के मजदूरों को भी उनके गृह राज्य में भेजा जाएगा. भीलवाड़ा जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने कहा कि जिले में दूसरे प्रदेश में जाने वाले 32 हजार 817 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया. उनमें से 6 हजार 299 मजदूरों को ट्रेन और दूसरे वैकल्पिक साधनों के माध्यम से भेजा जा चुका है. इनमें यूपी के 3001, पश्चिमी बंगाल के 913 और महाराष्ट्र के 900 मजदूरों को भेजा है.

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रोटी तो मिल रही, बस हमको हमारे घर पहुंचा दो

वहीं भीलवाड़ा जिले में 23 हजार 309 मजदूर आने की दरकास लगा चुके हैं. उनमें से 13 हजार 424 लोग गुजरात से भीलवाड़ा आ चुके हैं और 5 हजार 300 लोग महाराष्ट्र से आ चुके हैं. शुरू में लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया. लेकिन अभी इंडस्ट्रीज खुल गई हैं, जिसमें मजदूरों को यहां रोजगार मिलने की संभावना दिख रही है. उत्तर प्रदेश के 1 हजार 407 मजदूरों को ट्रेन के माध्यम से भेज दिया है और जल्द ही बिहार के मजदूरों को भी ट्रेन के माध्यम से भेजा जाएगा. इसके लिए रजिस्ट्रेशन हो चुका है और नोडल अधिकारी ने श्रमिकों का वेरिफिकेशन भी कर दिया है.

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