भीलवाड़ा. भारत सरकार की ओर से हाल ही में नेशनल रोड सेफ्टी अवार्ड समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें भीलवाड़ा जिला परिवहन अधिकारी डॉ. वीरेंद्र सिंह राठौड़ को राजस्थान से इनका चयन हुआ और इनको गोल्ड मेडल के साथ ही अवार्ड मिला. डॉ. वीरेंद्र सिंह राठौड़ के भीलवाड़ा पहुंचने पर सामाजिक संगठन और परिवहन से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों ने उनका स्वागत किया.
वहीं, स्वागत के बाद डॉ. वीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मुझे खुशी है की नेशनल रोड सेफ्टी अवार्ड मिला. इस अवार्ड की पहल भारत सरकार की ओर से की गई थी, जहां सरकार ने प्रत्येक राज्य से 5-5 नाम मांगे थे. उनमें से पूरे भारत में 9 लोगों को यह अवार्ड मिला और मुझे रोड सेफ्टी के मामले में गोल्ड मेडल मिला. मैं पिछले 20 वर्षों से सड़क सुरक्षा पर काम कर रहा हूं, उसके मूल्यांकन पर ही यह अवार्ड दिया गया.
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सिंह ने बताया कि सड़क सुरक्षा उनके जीवन का का मुख्य उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि साल 2002 में मेरे साले का रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया था, उसके बाद से ही मैंने रोड सेफ्टी के लिए लोगों को जागरूक करने का जीवन का प्रमुख उद्देश्य बना लिया, तब से रोड एक्सीडेंट में कमी लाने के लिए क्या प्रयास करने चाहिए उस पर काम कर रहा हूं.
डॉ. वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि एक्सीडेंट में कमी लाने के लिए सभी को प्रयास करने की आवश्यकता है. साथ ही एजुकेशन, प्रभावी इंफोर्समेंट, व्हीकल, रोड में बदलाव के साथ ही एक्सीडेंट में जो घायल व्यक्ति हैं उनके प्रति प्रत्येक व्यक्ति को संवेदना दिखाते हुए तुरंत उपचार मिले, अगर ऐसी पहल करें तो निश्चित रूप से भारत भी यूरोपियन देशों की तर्ज पर एक्सीडेंट में कमी ला सकता है.
सिंह ने बताय कि सड़क सुरक्षा अवार्ड मिलने के बाद मेरे पैतृक गांव अजमेर के सिंगावल में मेरा भव्य स्वागत किया गया, तब मैंने गांववालों से कहा कि यह अवार्ड आपकी मेहनत के कारण ही मिला है, लेकिन सड़क पर जो लाल खून बिखरता है उस खून को कैसे रोक सकते हैं उसमें न जाति धर्म होता है उसको सड़क पर बहने से रोकने के लिए हम सबको सामूहिक रूप से लोगों को जागरूक करना चाहिए. यातायात नियमों की सख्ती से पालना करनी चाहिए. वर्तमान में सभी जगह मैं लोगों को यातायात नियमों की पालना का संकल्प दिला रहा हूं.
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वहीं, एक सवाल के जवाब में डॉक्टर राठौड़ ने कहा कि मैं युवाओं को संदेश देना चाहता हूं कि 15 से 44 वर्ष की आयु को हम उत्पादक श्रेणी में मानते हैं. यह उत्पादक श्रेणी के व्यक्ति देश का भविष्य हैं, इस आयु के लोग ही यातायात नियमों की पालना नहीं करने के कारण 59 प्रतिशत एक्सीडेंट में इनकी भागीदारी है, अगर युवा जागृत होगा तो देश जागृत होगा, इसलिए युवाओं को यातायात नियमों की पालना करनी चाहिए. हमारा उद्देश्य ही रहना चाहिए कि हमें घर से सुरक्षित निकलना है और वापस घर सुरक्षित जाना है.