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पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल का बयान, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से हुई ये चूक - New Assembly Speaker Vasudev Devnani

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने नए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को लेकर चूक होने की बात कही है. उन्होंने कहा कि देवनानी से चूक हुई है.

Former assembly speaker Kailash Meghwal
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 22, 2023, 5:22 PM IST

भीलवाड़ा. जिले के शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र से निवर्तमान विधायक एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने राजस्थान विधानसभा की 16वीं विधानसभा के निर्विरोध स्पीकर निर्वाचन पर पांचवी बार अजमेर से विधायक चुनकर आये प्रोफेसर वासुदेव देवनानी को हार्दिक बधाई दी है. साथ ही मेघवाल ने प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा है कि देवनानी ने सभी विधायकों को नियम व परम्पराओं का पालन करने के साथ प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम 269 को पढ़कर आने की सलाह दी. लेकिन उनसे भी एक चूक हो गई. ये नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 208 के अन्तर्गत बनाये गए हैं और इन्हें संविधान का हिस्सा माना जाता है.

मेघवाल ने कहा कि मीडिया में आई खबरों में देवनानी ने कहा कि मेरा पहला टारगेट है साल में 40 दिन सदन चले. यह बयान संदर्भित नियमों के विपरीत है. राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम अध्याय 2 नियम 3का के अनुसार सत्र और बैठकों की संख्या संविधान के अनुच्छेद 174 में अन्तर्विष्ठ उपबन्धों के अध्ययधीन एक कैलेंडर वर्ष में विधानसभा के कम से कम तीन सत्र अर्थात शीतकालीन सत्र, बजट सत्र और वर्षाकालीन सत्र होंगे और एक कैलेंडर वर्ष में समस्त सत्रों की बैठक संख्या कुल मिलाकर 60 से कम नहीं होगी.

पढ़ें: 16वीं विधानसभा के अध्यक्ष के लिए सर्वसम्मति से चुने गए वासुदेव देवनानी, निर्विरोध हुआ चुनाव

लेकिन जब कोई सरकारी कार्य विधानसभा द्वारा किए जाने को न हो, तो विधानसभा नियम 126 में उल्लिखित कार्य और ऐसा अन्य कार्य करेगी. जिसकी गैर सरकारी सदस्यों द्वारा सूचना दी जाए और जिसे नियमों के अधीन स्वीकार कर लिया जाए. यद्यपि इस संवैधानिक स्थिति की बाध्यता को पिछले कई वर्षों से अनदेखा किया जाता रहा है, यह एक तरह से संविधान की भावनाओं का अनादर ही कहा जाएगा.

पढ़ें: सर्वसम्मति से स्पीकर चुनने के बजाए हम चुनाव करवाना चाहते थे, देवनानी का नाम आने पर मन बदला-सचिन पायलट

वहीं मेघवाल ने सुझाव दिया है कि वर्तमान में राजस्थान के विकास के लिए राजकीय क्रियाकलापों का विस्तार हो रहा है और केन्द्रीय योजनाएं भी चल रही हैं. इनके प्रभावी नियंत्रण और पर्यवेक्षण के लिये विधानसभा के कुल सत्र एक साल के 365 दिन में 80 दिवस विधान सभा चलाई जाए, जिससे विधायकों की विधायी कार्यों में रूचि बनी रहे. प्रत्येक विधायक को मासिक वेतन व प्रर्याप्त अन्य भत्ते मिलते हैं. वासुदेवजी चुनाव जिस पृष्ठभूमि से सर्वसम्मति से हुआ है, वे इस तरह 80 दिन विधानसभा चलाकर राजस्थान के प्रशासन को चुस्त-दुरूस्त और सही चलाने में विधानसभा का योग भी बना रहे.

भीलवाड़ा. जिले के शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र से निवर्तमान विधायक एवं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने राजस्थान विधानसभा की 16वीं विधानसभा के निर्विरोध स्पीकर निर्वाचन पर पांचवी बार अजमेर से विधायक चुनकर आये प्रोफेसर वासुदेव देवनानी को हार्दिक बधाई दी है. साथ ही मेघवाल ने प्रेस वक्तव्य जारी कर कहा है कि देवनानी ने सभी विधायकों को नियम व परम्पराओं का पालन करने के साथ प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम 269 को पढ़कर आने की सलाह दी. लेकिन उनसे भी एक चूक हो गई. ये नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 208 के अन्तर्गत बनाये गए हैं और इन्हें संविधान का हिस्सा माना जाता है.

मेघवाल ने कहा कि मीडिया में आई खबरों में देवनानी ने कहा कि मेरा पहला टारगेट है साल में 40 दिन सदन चले. यह बयान संदर्भित नियमों के विपरीत है. राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम अध्याय 2 नियम 3का के अनुसार सत्र और बैठकों की संख्या संविधान के अनुच्छेद 174 में अन्तर्विष्ठ उपबन्धों के अध्ययधीन एक कैलेंडर वर्ष में विधानसभा के कम से कम तीन सत्र अर्थात शीतकालीन सत्र, बजट सत्र और वर्षाकालीन सत्र होंगे और एक कैलेंडर वर्ष में समस्त सत्रों की बैठक संख्या कुल मिलाकर 60 से कम नहीं होगी.

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लेकिन जब कोई सरकारी कार्य विधानसभा द्वारा किए जाने को न हो, तो विधानसभा नियम 126 में उल्लिखित कार्य और ऐसा अन्य कार्य करेगी. जिसकी गैर सरकारी सदस्यों द्वारा सूचना दी जाए और जिसे नियमों के अधीन स्वीकार कर लिया जाए. यद्यपि इस संवैधानिक स्थिति की बाध्यता को पिछले कई वर्षों से अनदेखा किया जाता रहा है, यह एक तरह से संविधान की भावनाओं का अनादर ही कहा जाएगा.

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वहीं मेघवाल ने सुझाव दिया है कि वर्तमान में राजस्थान के विकास के लिए राजकीय क्रियाकलापों का विस्तार हो रहा है और केन्द्रीय योजनाएं भी चल रही हैं. इनके प्रभावी नियंत्रण और पर्यवेक्षण के लिये विधानसभा के कुल सत्र एक साल के 365 दिन में 80 दिवस विधान सभा चलाई जाए, जिससे विधायकों की विधायी कार्यों में रूचि बनी रहे. प्रत्येक विधायक को मासिक वेतन व प्रर्याप्त अन्य भत्ते मिलते हैं. वासुदेवजी चुनाव जिस पृष्ठभूमि से सर्वसम्मति से हुआ है, वे इस तरह 80 दिन विधानसभा चलाकर राजस्थान के प्रशासन को चुस्त-दुरूस्त और सही चलाने में विधानसभा का योग भी बना रहे.

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