भीलवाड़ा. यह जिला देश में सबसे पहले कोरोना हॉटस्पॉट के रुप में उभरा था. मोटे तौर पर प्रदेश में भी सबसे पहले कोरोना की शुरुआत भीलवाड़ा से ही हुई थी. जिले में 20 मार्च को एक निजी चिकित्सालय के 3 डॉक्टर और 3 कंपाउंडर कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे. जिसके बाद मरीजों की संख्या में हर दिन बढ़ोतरी होती गई. जिसके बाद यह जिला देश में सबसे पहले हॉटस्पॉट के रूप में सामने आया.
लेकिन भीलवाड़ा के चिकित्साकर्मियों के अथक प्रयासों के कारण कोरोना संक्रमण की चेन पर ब्रेक लग पाया. इन प्रयासों की केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गाबा और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी तारीफ की. भीलवाड़ा प्रशासन का काम ऐसा प्रेरणादायी रहा कि पूरे देश में 'भीलवाड़ा मॉडल' लागू करने के बात कही गई. लेकिन हाल ही में प्रवासी मजदूरों ने वापस भीलवाड़ा की चिंता बढ़ा दी है. जहां दिनों दिन यह संख्या बढ़ती जा रही है. कभी कोरोना फ्री होने की तरफ बढ़ रहा भीलवाड़ा फिर से इसकी जद में आ चुका है.
आइसोलेशन वार्ड में पहुंची ईटीवी भारत की टीम:
ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने भी पीपीई किट पहनकर आइसोलेशन वार्ड में प्रवेश किया. यहां की गतिविधियों के बारे में जानकारी ली. यहां मौजूद डॉ. राजन नंदा ने बताया कि वर्तमान में 183 कोरोना मरीज मिले. उनमें से 132 ठीक होकर घर जा चुके हैं. वहीं अभी 32 मरीज महात्मा गांधी अस्पताल और 17 मरीज महाप्रज्ञ कोविड सेंटर में भर्ती हैं. अब तक कुल 5 मरीजों की मौत हो चुकी है. जानकारी देते हुए डॉ. राजन नंदा ने बताया कि यहां भारत सरकार और राजस्थान सरकार की वजह से किसी भी प्रकार की दवाइयों और अन्य संसाधन की कमी नहीं है.
मरीजों को किया जाता है मोटिवेट
जिले के आइसोलेशन वार्ड में सिर्फ दवाइयों से नहीं बल्कि मरीजों को मोटिवेट कर के भी उनका इलाज किया जाता है. मरीजों से बात कर उनका हौसला बढ़ाया जाता है. उन्हें ये बताया जाता है कि अगर वे एहतियात बरतेंगे तो समय से ठीक हो जाएंगे और एक बार फिर से सामान्य जिंदगी जी सकेंगे.
परिवार की याद सताती है पर फर्ज पहले..
एक महिला चिकित्साकर्मी ने ईटीवी भारत से कहा कि मेरी 3 साल की बेटी है इस समय घर पर है. वो रोजाना मुझसे फोन पर बात करती है और कहती है कि मम्मी कोरोना की दवाई बनने के बाद तो घर आ जाओगी ना. लेकिन इस समय मेरी बेटी से मुझे दूर रहना होगा, क्योंकि मेरा प्रथम कर्तव्य देश की सेवा कर लोगों को स्वस्थ करना है.
वहीं वार्ड में भर्ती एक किशोर ने ईटीवी भारत से कहा कि मैं 13 मई को मुंबई से आया था. मुझ में प्रारंभिक तौर पर कोरोना के कोई भी लक्षण नहीं थे. लेकिन कोरोना की जांच करवाने के बाद मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. साथ ही किशोर ने कहा कि यहां मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मैं धीरे-धीरे ठीक हो रहा हूं. इसके साथ ही किशोर ने दूसरे लोगों को मास्क लगाकर और अपने हाथों को बार-बार धोने की सलाह भी दी. साथ ही कहा कि सरकार द्वारा बताए गए नियमों की पालना जरूर करें.
दिया जाता है पौष्टिक खानाः
ईटीवी भारत ने जब यहां के मरीजों से खाने गुणवत्ता के बारे में पूछा तो उन्होंने ने कहा कि हमें यहां प्रतिदिन संतुलित आहार दिया जाता है. जैसे दाल, चावल, हरी सब्जी, मीठे में गुलाब जामुन, हलवा दिया जा रहा है.
आइसोलेशन वार्ड में कार्यरत डॉ. दौलत मीणा ने कहा कि मैंने इस आइसोलेशन वार्ड में पहले भी ड्यूटी की है. जिसके बाद मैं क्वॉरेंटाइन पर था. जिसके बाद 3 जून से वापस ड्यूटी कर रहा हूं. डॉ. मीणा ने मरीजों को दी जाने वाली दवाइयों के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मैं देश की जनता को संदेश देने चाहता हूं कि लॉकडाउन खत्म हुआ है, कोरोना नहीं. सभी लोगों को सरकार की गाइडलाइन की पालना करनी होगी, तभी कोरोना की चेन पर ब्रेक लग सकेगा.