भीलवाड़ा. कपड़ा नगरी के एक किसान छोटू माली ने बचपन में पहलवानी करने का सपना देखा था पर कुश्ती का ये शौक परिवार और जिम्मेदारियों के तले कहीं दब गया. एक के बाद एक तीन बेटियां होने पर भी उसका सपना धुंधला नहीं हुआ, और उसने अपनी बेटी को ही पहलवानी में उतारने का फैसला किया. बेटी होने के कारण कई लोगों ने आपत्ति जताई , कुछ लोगों ने खिल्ली भी उड़ाई. इन सब के बावजूद उसने बेटी माया माली को कुश्ती में दाखिल किया.
शुरुआत मुश्किल रही, लेकिन इस सफर के लिए माया के साथ पूरे परिवार ने कमर कस (Bhilwara Girls bags first Prize in Delhi Wrestling Competition) लिया था. कई सालों की मेहनत के बाद हाल ही में राजधानी दिल्ली में हुए कुश्ती प्रतियोगिता में माया ने पहला स्थान हासिल किया. इसके अलावा अब फ्रांस में होने वाली कुश्ती प्रतियोगिता में माया देश की तरफ खेलेंगी.
किसी समय बेटा न होने का था पछतावा, अब बेटी होने पर फख्र: किसी समय बेटा नहीं होने का दर्द मन में पालने वाली पहलवान माया की मां मांगी देवी का सीना भी अब बेटियों की कामयाबी से चौड़ा हो गया है. माया की मां खुद स्वीकार करती हैं कि पहले उसे दुख होता था, मगर आज बेटियों की वजह से उसे समाज में पहचान और प्रसिद्धि मिल रही है. वो कहती हैं कि बेटियां बेटों से कम नहीं है. भीलवाड़ा की दंगल गर्ल बेटी माया के पिता छोटू लाल का कहना है कि वो खेती किसानी कर, सब्जी बेच कर बेटियों से पहलवानी करा रहे हैं. संयुक्त परिवार में रहने की वजह से बहुत फायदा मिल रहा है. पिता को उम्मीद है कि बेटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का झंडा लहराएगी और मेडल जीतेगी.
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7 साल की मेहनत रंग लाई: भीलवाड़ा की दंगल गर्ल माया माली ने बताया कि शुरुआती दौर में काफी परेशानी हुई. मगर लगातार 7 साल की कड़ी मेहनत अब रंग लाने लगी है. माया का कहना है कि उसके परिवार को उसपर बहुत विश्वास है. दंगल गर्ल माया का लक्ष्य ओलंपिक में देश के लिए मेडल जितना है. माया माली के कोच जगदीश जाट का कहना है कि आज पहलवानी शौक रखने वाली खिलाड़ियों के लिए वो आइडियल बन चुकी हैं. माया का परिवार पूरा सहयोग करता है आने वाले समय में माया देश के लिए मेडल जरूर जीतेंगी, ऐसा हमे विश्वास है.