ETV Bharat / state

MSP से दोगुना भाव पर बिक रही है कपास, 'सफेद सोने' के किसानों के चेहरे खिले - cotton in Bhilwara

भीलवाडा में किसानों का बीटी कपास के प्रति रुझान बढ़ा है जहां इस बार मंडियों में सरकार द्वारा जारी एमएसपी रेट से महंगा बिक रहा है. जहां व्यापारियों ने कपास को कैश क्रॉप बताते हुए वाइट गोल्ड (Cotton the White Gold For Farmers) नाम दिया है. जहा भीलवाड़ा की औद्योगिक इकाइयों में प्रतिदिन 5000 कपास की गांठ की सप्लाई होती है.

cotton farmers in Rajasthan
एमएसपी से इस बार बाजार में महंगा बिक रहा है कपास
author img

By

Published : Dec 19, 2022, 8:44 AM IST

MSP से बाजार में महंगा बिक रहा है व्हाइट गोल्ड

भीलवाडा. राजस्थान में गंगानगर और अजमेर जिले की बिजयनगर मंडी कपास बिक्री के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन भीलवाड़ा जिले के गंगापुर क्षेत्र में भी कपास की बड़े पैमाने पर खेती होती है. यहां पर जिनिंग यूनिट भी स्थापित है. वर्तमान में जिले में कपास की उपज को लेकर भीलवाड़ा जिले के गंगापुर क्षेत्र के प्रसिद्ध कपास खरीदार और प्रोसेसिंग यूनिट के मालिक बद्रीलाल जाट ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. उनसे कपास की फसल के प्रति किसानों का रुझान कम हो गया सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इस पर कहा कि पहले कपास की फसल के प्रति किसानों का रुझान भाव कम होने की वजह से कम हो गया था, लेकिन इस बार बीते साल कपास की फसल का भाव अच्छा होने से बुवाई के लिए किसानों (Farmers Will Get Relief From Increased MSP of Cotton) का रुझान भी बढ़ा है.

व्यवसायी से बाजार का रेट जानिए: बद्रीलाल जाट ने बातचीत में आगे बताया कि मेरा कपास का व्यवसाय है खुद का जिनिंग एवं प्रोसेसिंग है. आज के 30 साल पहले लोवर राजस्थान यानी भीलवाड़ा जिले में जो कपास होता है बीच में 10 साल के लिए उत्पादन कम हो गया था. पिछले 7-8 साल से यहां अच्छा उत्पादन हो रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले साल कपास का भाव 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल था और एमएसपी की रेट 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल थी, लेकिन बीते साल बाजार भाव लास्ट में 11 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पंहुच गया था. इस साल कपास का भाव 9 हजार से 10 हजार के बीच प्रति क्विंटल के भाव से रहा है.

कपास आधी रात को बेच सकते हैं: कपास व्यवसायी ने आगे कहा कि राजस्थान में लोवर राजस्थान मे भीलवाड़ा जिले का गंगापुर क्षेत्र आता है. अप्पर राजस्थान में पाली, गंगानगर और मारवाड़ का क्षेत्र आता है. अपर राजस्थान में कपास की बुवाई अच्छी है. लोवर राजस्थान में भी इस बार कपास की फसल की बुवाई उम्मीद के अनुरूप नहीं हुई है, क्योंकि भीलवाड़ा जिले में कपास की बुआई गर्मी में होती है. वहीं, पानी की कमी की वजह से किसानों ने गर्मी में फसल की बुवाई ना करके बारिश होने के बाद ही बुआई की थी. कपास एक ऐसी चीज है जिनको हम आधी रात को भी बेच सकते हैं. इसको कैश क्रॉप भी बोलते हैं अगर सीधे-सीधे शब्दों में इसको वाइट यानी सफेद सोने के नाम से जानते हैं.

ये भी पढ़ें: प्याज-सरसों के बाद कपास बन रही अलवर की नई पहचान, प्रतिदिन देश भर में हो रही सप्लाई

बद्रीलाल जाट का किसानों को सलाह: बद्रीलाल जाट ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए किसानों को सलाह दी. उन्होंने कहा कि मैं सभी किसान भाइयों को यही सलाह देता हूं कि अधिक से अधिक कपास की फसल की बुवाई करें. पिछले साल खराब से खराब कपास भी एमएसपी से महंगा बिका था. साथ ही किसान भाई अच्छी गुणवत्ता की किस्म का कपास ही लगाएं. कपास का अधिक से अधिक उत्पादन होने से भारत से कपास यूरोपीय देश में निर्यात हो रहा है. बद्रीलाल जाट ने कहा कि विशेष तौर से भीलवाड़ा जिले के लिए तो कपास का बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि भीलवाड़ा वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात है. भीलवाड़ा की औद्योगिक इकाइयों में 5000 गांठ प्रतिदिन कपास की खपत है. इसलिए किसानों को अधिक से अधिक कपास की फसल की बुवाई करनी चाहिए.

कपास की अलग-अलग किस्में: किसान जब कपास की फसल की बुवाई करते हैं जिसमें अलग-अलग किस्म हैं. जहां वर्तमान दौर में बीटी कॉटन यानी (ब्रेसिका थ्रुजेसिस) के साथ ही नरमा और देसी कपास की बुवाई करते हैं. इसमें बीटी कपास में सुंडी का प्रकोप कम होता है, जिससे खलियान मे अच्छा उत्पादन होता है.

ये भी पढ़ें: अलवर मंडी में कपास की आवक शुरू, किसानों को फिर भी नहीं मिल रहे दाम

एमएसपी से बाजार में महंगा बिक रहा है कपास: अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग एमएसपी रेट तय है राजस्थान में 6000 के करीब एमएसपी रेट है, लेकिन पिछले 2 साल से सरकार के हाथ में कपास नहीं लगा है. जहां व्यापारी ने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर बाजार कोई भी वस्तु के एक से अधिक खरीदार होते हैं तो बेचने वालों को फायदा होता है.

वस्त्र नगरी में ही खपत होता है ज्यादा कपास: भीलवाड़ा को एशिया का मैनचेस्टर कहते हैं. यहां काफी मात्रा में कपड़े की औद्योगिक इकाइयां स्थित है जहां भीलवाड़ा समेत राजस्थान में जहां भी कपास का उत्पादन होता है. उसकी रूई बनने के बाद सबसे ज्यादा खपत इन कपड़े की औद्योगिक इकाइयों में होती है.

MSP से बाजार में महंगा बिक रहा है व्हाइट गोल्ड

भीलवाडा. राजस्थान में गंगानगर और अजमेर जिले की बिजयनगर मंडी कपास बिक्री के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन भीलवाड़ा जिले के गंगापुर क्षेत्र में भी कपास की बड़े पैमाने पर खेती होती है. यहां पर जिनिंग यूनिट भी स्थापित है. वर्तमान में जिले में कपास की उपज को लेकर भीलवाड़ा जिले के गंगापुर क्षेत्र के प्रसिद्ध कपास खरीदार और प्रोसेसिंग यूनिट के मालिक बद्रीलाल जाट ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. उनसे कपास की फसल के प्रति किसानों का रुझान कम हो गया सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इस पर कहा कि पहले कपास की फसल के प्रति किसानों का रुझान भाव कम होने की वजह से कम हो गया था, लेकिन इस बार बीते साल कपास की फसल का भाव अच्छा होने से बुवाई के लिए किसानों (Farmers Will Get Relief From Increased MSP of Cotton) का रुझान भी बढ़ा है.

व्यवसायी से बाजार का रेट जानिए: बद्रीलाल जाट ने बातचीत में आगे बताया कि मेरा कपास का व्यवसाय है खुद का जिनिंग एवं प्रोसेसिंग है. आज के 30 साल पहले लोवर राजस्थान यानी भीलवाड़ा जिले में जो कपास होता है बीच में 10 साल के लिए उत्पादन कम हो गया था. पिछले 7-8 साल से यहां अच्छा उत्पादन हो रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले साल कपास का भाव 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल था और एमएसपी की रेट 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल थी, लेकिन बीते साल बाजार भाव लास्ट में 11 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पंहुच गया था. इस साल कपास का भाव 9 हजार से 10 हजार के बीच प्रति क्विंटल के भाव से रहा है.

कपास आधी रात को बेच सकते हैं: कपास व्यवसायी ने आगे कहा कि राजस्थान में लोवर राजस्थान मे भीलवाड़ा जिले का गंगापुर क्षेत्र आता है. अप्पर राजस्थान में पाली, गंगानगर और मारवाड़ का क्षेत्र आता है. अपर राजस्थान में कपास की बुवाई अच्छी है. लोवर राजस्थान में भी इस बार कपास की फसल की बुवाई उम्मीद के अनुरूप नहीं हुई है, क्योंकि भीलवाड़ा जिले में कपास की बुआई गर्मी में होती है. वहीं, पानी की कमी की वजह से किसानों ने गर्मी में फसल की बुवाई ना करके बारिश होने के बाद ही बुआई की थी. कपास एक ऐसी चीज है जिनको हम आधी रात को भी बेच सकते हैं. इसको कैश क्रॉप भी बोलते हैं अगर सीधे-सीधे शब्दों में इसको वाइट यानी सफेद सोने के नाम से जानते हैं.

ये भी पढ़ें: प्याज-सरसों के बाद कपास बन रही अलवर की नई पहचान, प्रतिदिन देश भर में हो रही सप्लाई

बद्रीलाल जाट का किसानों को सलाह: बद्रीलाल जाट ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए किसानों को सलाह दी. उन्होंने कहा कि मैं सभी किसान भाइयों को यही सलाह देता हूं कि अधिक से अधिक कपास की फसल की बुवाई करें. पिछले साल खराब से खराब कपास भी एमएसपी से महंगा बिका था. साथ ही किसान भाई अच्छी गुणवत्ता की किस्म का कपास ही लगाएं. कपास का अधिक से अधिक उत्पादन होने से भारत से कपास यूरोपीय देश में निर्यात हो रहा है. बद्रीलाल जाट ने कहा कि विशेष तौर से भीलवाड़ा जिले के लिए तो कपास का बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि भीलवाड़ा वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात है. भीलवाड़ा की औद्योगिक इकाइयों में 5000 गांठ प्रतिदिन कपास की खपत है. इसलिए किसानों को अधिक से अधिक कपास की फसल की बुवाई करनी चाहिए.

कपास की अलग-अलग किस्में: किसान जब कपास की फसल की बुवाई करते हैं जिसमें अलग-अलग किस्म हैं. जहां वर्तमान दौर में बीटी कॉटन यानी (ब्रेसिका थ्रुजेसिस) के साथ ही नरमा और देसी कपास की बुवाई करते हैं. इसमें बीटी कपास में सुंडी का प्रकोप कम होता है, जिससे खलियान मे अच्छा उत्पादन होता है.

ये भी पढ़ें: अलवर मंडी में कपास की आवक शुरू, किसानों को फिर भी नहीं मिल रहे दाम

एमएसपी से बाजार में महंगा बिक रहा है कपास: अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग एमएसपी रेट तय है राजस्थान में 6000 के करीब एमएसपी रेट है, लेकिन पिछले 2 साल से सरकार के हाथ में कपास नहीं लगा है. जहां व्यापारी ने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर बाजार कोई भी वस्तु के एक से अधिक खरीदार होते हैं तो बेचने वालों को फायदा होता है.

वस्त्र नगरी में ही खपत होता है ज्यादा कपास: भीलवाड़ा को एशिया का मैनचेस्टर कहते हैं. यहां काफी मात्रा में कपड़े की औद्योगिक इकाइयां स्थित है जहां भीलवाड़ा समेत राजस्थान में जहां भी कपास का उत्पादन होता है. उसकी रूई बनने के बाद सबसे ज्यादा खपत इन कपड़े की औद्योगिक इकाइयों में होती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.