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क्या कोरोना के 'सुपर स्प्रेडर' बन सकते हैं अस्पताल?

कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लोग दहशत में हैं. अस्पतालों में लोगों की भीड़ बढ़ रही है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. अस्पतालों में कोविड गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. यह कोरोना विस्फोट का जरिया बन सकती है. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अस्पताल खुद कोरोना के सुपर स्प्रेडर बन सकते हैं?

कोरोना फैला रहे अस्पताल!, Coronavirus Super Spreader
कोरोना फैला रहे अस्पताल!
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Published : Apr 25, 2021, 3:19 PM IST

भीलवाड़ा: कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से हाहाकार मचा है. लोगों में इतना खौफ है कि वे अब अस्पतालों का रूख कर रहे हैं. अस्पताल में रोजाना भीड़ रहती है. ऐसे में अस्पताल भी कोरोना के सुपर स्प्रेडर बन सकते हैं. लिहाजा अस्पताल में सतर्क रहने की जरूरत है.

क्या कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन हो रहा है?

कई कोरोना संक्रमित घरों से निकलकर खुद अस्पताल पहुंच रहे हैं. वे दूसरे मरीजों के साथ कतार में खड़े दिख रहे हैं. गलियारों और अस्पताल परिसर में भी लोगों के बीच बैठे दिख रहे हैं. हालांकि लोगों का कहना है कि अस्पताल में कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत सैंपल लिए जा रहे हैं.

राजमाता विजय राजे सिंधिया राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शलभ शर्मा

क्या अस्पताल के माहौल के कारण संक्रमण फैल रहा है?

राजमाता विजय राजे सिंधिया राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शलभ शर्मा के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. इस बार वायरस में कुछ बदलाव हुए हैं. यह डबल म्यूटेंट वायरस है. पहले व्यक्ति के खांसने पर वायरस नीचे गिर जाता था या किसी चीज से चिपक जाता था. अब यह दूसरी लहर व्यक्ति के खांसने पर हवा में बनी रहती है. एयरबोर्न वायरस होने के कारण यह ज्यादा फैल रहा है. किसी व्यक्ति के खांसने पर यह 3 से 4 घंटे तक वातावरण में मौजूद रहता है. उस वातावरण के संपर्क में आने पर जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, वह व्यक्ति संक्रमित हो जाता है. भीलवाड़ा में ही अस्पताल के 14 नर्सिंग कर्मी और कुछ डॉक्टर संक्रमित हुए हैं.

यह भी पढ़ेंः INOX उद्योग इकाई दे रहा ऑक्सीजन सिलेंडर, मरीजों को मिल रहा जीवनदान

क्या वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद भी हो सकते हैं संक्रमित

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शलभ शर्मा ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की कोरोना की डोज लगने के बाद व्यक्ति संक्रमित नहीं हो सकता. ऐसे कई मामले जिले भर में सामने आ रहे हैं, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा दी है. फर्क सिर्फ इतना है कि डोज लगने के बाद व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और मौत होने के प्रतिशत कम हो जाते हैं.

कोविड केंद्रों में रोज कितने टेस्ट हो रहे हैं?

भीलवाड़ा शहर में 9 केंद्रों में RTPCR जांच की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्र में ब्लॉक लेवल पर भी 2 - 3 केंद्र हैं. जिले भर में RTPCR टेस्ट के 30 केंद्र हैं. टेस्ट की क्षमता बढ़ने के बाद कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है.

  • रोज 2000 से ज्यादा सैंपल ले रहे हैं. उनमें से 25 से 30 प्रतिशत लोग कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं. इनमें गंभीर मरीजों की मौत भी हो रही है.
  • मेडिकल कॉलेज स्थित RTPCR लैब में करीब 7 मशीन हैं.
  • RTPCR लैब में 28 लैब टेक्नीशियन, 6 रिसर्च असिस्टेंट, 6 डाटा एंट्री ऑपरेटर हैं.
  • पहले टेस्टिंग के दिन में 2 राउंड करते थे. अब यह बढ़ाकर 3 राउंड हो गया है.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान में रविवार से शुरू होगी 'चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क कोविड-19', इन नंबरों पर कॉल करके बता सकते हैं समस्या

संयम बरतें लोग

रैपिड रेस्पांस टीम प्रभारी डॉ घनश्याम चावला ने कहा कि 7 अप्रैल से ही लगातार भीलवाड़ा में कोरोना ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है. जिसके बाद से ही भीलवाड़ा में 500 से 600 के करीब कोविड मरीज सामने आ रहे हैं. बढ़ते मरीजों को लेकर ऑक्सीजन की काफी समस्या सामने आ रही है. कलेक्टर के निर्देश पर चित्तौड़गढ़ और पाली प्लांट से ऑक्सीजन ली जा रही है. आरटी पीसीआर केंद्र पर कोरोना प्रोटोकॉल नियमों को लेकर चावला ने कहा कि लोगों को संयम रखने की जरूरत है. यदि उनका नंबर देरी से आ रहा है तो अपील है कि थोड़ा इंतजार करें.

अतिरिक्त कोरोना वार्ड

भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में 50 ICU बेड हैं. सभी बेड फुल हो चुके हैं. यानी एमजी अस्पताल परिसर में एक भी बेड खाली नहीं है. अतिरिक्त एक नया कोरोना वार्ड बनाया है.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL : अलवर की कंपनियां दे रहीं 'प्राणवायु'...MIA उद्योगी क्षेत्र सनर्जी स्टील कंपनी कर रही निशुल्क ऑक्सीजन की व्यवस्था

स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

डिप्टी सीएमएचओ डॉ. सीपी गोस्वामी ने बताया कि भीलवाड़ा जिले में ज्यादा संक्रमित क्षेत्र में कोविड-19 सघन सर्वे चलाया जा रहा है. सर्वे में स्वास्थ्य कर्मी , आशा सहयोगिनी , एएनएम कार्यकर्ता के साथ नर्सिंग कर्मी की 150 से ज्यादा टीम बनाई गई है. प्रत्येक दल में 2 व्यक्ति हैं. प्रत्येक 10 दल के बीच में एक सुपरवाइजर भी है.

सर्वे में शहरी क्षेत्र में हर एक घर में डोर टू डोर जाकर कोविड-19 की गाइडलाइन जानकारी देने के साथ ही आरटीपीसीआर टेस्ट करवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. करीब 300 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी हर घर में जाकर खांसी-जुकाम, बुखार और कोविड-19 लक्षणों का आकलन कर रिकॉर्ड तैयार कर रहे हैं और मौके पर दवाइयां भी बांटी जा रही है. अबतक 65000 घरों का सर्वे पूरा कर लिया गया है. साढ़े 3 लाख लोगों की स्क्रीनिंग कर ली गई है, जिसमें से 800 लोगों को सर्दी-जुकाम के लक्षण होने पर जरूरी दवाई दी गई है.

भीलवाड़ा: कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से हाहाकार मचा है. लोगों में इतना खौफ है कि वे अब अस्पतालों का रूख कर रहे हैं. अस्पताल में रोजाना भीड़ रहती है. ऐसे में अस्पताल भी कोरोना के सुपर स्प्रेडर बन सकते हैं. लिहाजा अस्पताल में सतर्क रहने की जरूरत है.

क्या कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन हो रहा है?

कई कोरोना संक्रमित घरों से निकलकर खुद अस्पताल पहुंच रहे हैं. वे दूसरे मरीजों के साथ कतार में खड़े दिख रहे हैं. गलियारों और अस्पताल परिसर में भी लोगों के बीच बैठे दिख रहे हैं. हालांकि लोगों का कहना है कि अस्पताल में कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत सैंपल लिए जा रहे हैं.

राजमाता विजय राजे सिंधिया राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शलभ शर्मा

क्या अस्पताल के माहौल के कारण संक्रमण फैल रहा है?

राजमाता विजय राजे सिंधिया राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शलभ शर्मा के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. इस बार वायरस में कुछ बदलाव हुए हैं. यह डबल म्यूटेंट वायरस है. पहले व्यक्ति के खांसने पर वायरस नीचे गिर जाता था या किसी चीज से चिपक जाता था. अब यह दूसरी लहर व्यक्ति के खांसने पर हवा में बनी रहती है. एयरबोर्न वायरस होने के कारण यह ज्यादा फैल रहा है. किसी व्यक्ति के खांसने पर यह 3 से 4 घंटे तक वातावरण में मौजूद रहता है. उस वातावरण के संपर्क में आने पर जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, वह व्यक्ति संक्रमित हो जाता है. भीलवाड़ा में ही अस्पताल के 14 नर्सिंग कर्मी और कुछ डॉक्टर संक्रमित हुए हैं.

यह भी पढ़ेंः INOX उद्योग इकाई दे रहा ऑक्सीजन सिलेंडर, मरीजों को मिल रहा जीवनदान

क्या वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद भी हो सकते हैं संक्रमित

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. शलभ शर्मा ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की कोरोना की डोज लगने के बाद व्यक्ति संक्रमित नहीं हो सकता. ऐसे कई मामले जिले भर में सामने आ रहे हैं, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा दी है. फर्क सिर्फ इतना है कि डोज लगने के बाद व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और मौत होने के प्रतिशत कम हो जाते हैं.

कोविड केंद्रों में रोज कितने टेस्ट हो रहे हैं?

भीलवाड़ा शहर में 9 केंद्रों में RTPCR जांच की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्र में ब्लॉक लेवल पर भी 2 - 3 केंद्र हैं. जिले भर में RTPCR टेस्ट के 30 केंद्र हैं. टेस्ट की क्षमता बढ़ने के बाद कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है.

  • रोज 2000 से ज्यादा सैंपल ले रहे हैं. उनमें से 25 से 30 प्रतिशत लोग कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं. इनमें गंभीर मरीजों की मौत भी हो रही है.
  • मेडिकल कॉलेज स्थित RTPCR लैब में करीब 7 मशीन हैं.
  • RTPCR लैब में 28 लैब टेक्नीशियन, 6 रिसर्च असिस्टेंट, 6 डाटा एंट्री ऑपरेटर हैं.
  • पहले टेस्टिंग के दिन में 2 राउंड करते थे. अब यह बढ़ाकर 3 राउंड हो गया है.

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संयम बरतें लोग

रैपिड रेस्पांस टीम प्रभारी डॉ घनश्याम चावला ने कहा कि 7 अप्रैल से ही लगातार भीलवाड़ा में कोरोना ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है. जिसके बाद से ही भीलवाड़ा में 500 से 600 के करीब कोविड मरीज सामने आ रहे हैं. बढ़ते मरीजों को लेकर ऑक्सीजन की काफी समस्या सामने आ रही है. कलेक्टर के निर्देश पर चित्तौड़गढ़ और पाली प्लांट से ऑक्सीजन ली जा रही है. आरटी पीसीआर केंद्र पर कोरोना प्रोटोकॉल नियमों को लेकर चावला ने कहा कि लोगों को संयम रखने की जरूरत है. यदि उनका नंबर देरी से आ रहा है तो अपील है कि थोड़ा इंतजार करें.

अतिरिक्त कोरोना वार्ड

भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में 50 ICU बेड हैं. सभी बेड फुल हो चुके हैं. यानी एमजी अस्पताल परिसर में एक भी बेड खाली नहीं है. अतिरिक्त एक नया कोरोना वार्ड बनाया है.

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स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

डिप्टी सीएमएचओ डॉ. सीपी गोस्वामी ने बताया कि भीलवाड़ा जिले में ज्यादा संक्रमित क्षेत्र में कोविड-19 सघन सर्वे चलाया जा रहा है. सर्वे में स्वास्थ्य कर्मी , आशा सहयोगिनी , एएनएम कार्यकर्ता के साथ नर्सिंग कर्मी की 150 से ज्यादा टीम बनाई गई है. प्रत्येक दल में 2 व्यक्ति हैं. प्रत्येक 10 दल के बीच में एक सुपरवाइजर भी है.

सर्वे में शहरी क्षेत्र में हर एक घर में डोर टू डोर जाकर कोविड-19 की गाइडलाइन जानकारी देने के साथ ही आरटीपीसीआर टेस्ट करवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. करीब 300 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी हर घर में जाकर खांसी-जुकाम, बुखार और कोविड-19 लक्षणों का आकलन कर रिकॉर्ड तैयार कर रहे हैं और मौके पर दवाइयां भी बांटी जा रही है. अबतक 65000 घरों का सर्वे पूरा कर लिया गया है. साढ़े 3 लाख लोगों की स्क्रीनिंग कर ली गई है, जिसमें से 800 लोगों को सर्दी-जुकाम के लक्षण होने पर जरूरी दवाई दी गई है.

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