भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) में अब वन्यजीवों की गणना पगमार्क के आधार पर नहीं करनी पड़ेगी. उद्यान में पहली बार ट्रैप कैमरा के माध्यम से वन्यजीवों का सर्वे किया जा रहा है. इसके लिए वर्ल्ड वाइल्ड फण्ड फॉर नेचर (WWF) की मदद से पूरे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 24 ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं. इनसे मिलने वाली तस्वीरों के आधार पर गणना में मौजूद वन्यजीवों की वास्तविक संख्या और उनकी प्रजातियों का पता चल सकेगा. अभी तक ट्रैप कैमरे की पद्धति सर्वे के लिए सिर्फ टाइगर रिजर्व पार्क में ही इस्तेमाल की जाती थी.
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि उद्यान के 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को 16 ग्रिड में बांटा गया है, जिनमें 24 ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं. उच्च गुणवत्ता वाले यह ट्रैप कैमरे सेंसर युक्त हैं जो कि किसी भी प्रकार की हलचल होने पर स्वतः फोटो क्लिक करेंगे. ट्रैप कैमरों में वन्यजीव की दोनों तरफ की तस्वीर क्लिक होगी, ताकि वन्यजीवों की सही गणना हो सके.
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उन्होंने बताया कि घना के वन्यजीवों की प्रजाति और उनकी संख्या का सही आकलन होने के बाद घना प्रशासन की ओर से वन्यजीवों के रख-रखाव और संबंधित ब्लॉक में किस तरह और सुधार किया जा सकता है, इसको लेकर बेहतर कार्य योजना बनाई जा सकेगी.
फरवरी में आएगी सर्वे रिपोर्ट
24 ट्रैप कैमरों की मदद से करीब 15 दिन तक सर्वे किया जाएगा. उसके बाद सॉफ्टवेयर के माध्यम से इन सभी तस्वीरों का मिलान किया जाएगा, साथ ही संबंधित जानवरों की पहचान कर उनकी प्रजातियों और संख्याओं का आकलन किया जाएगा. यह सर्वे रिपोर्ट फरवरी तक जारी कर दी जाएगी.
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अवैध गतिविधियों पर भी लगेगी लगाम
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि ट्रैप कैमरों से घना के वन्यजीवों का सर्वे किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि घना में यदि किसी भी तरह की अवैध गतिविधि होगी तो उस पर भी लगाम लगाई जा सकेगी.
पक्षियों के अलावा उद्यान में है यह वन्यजीव
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 400 प्रजाति के हजारों देशी-विदेशी पक्षियों के अलावा कई प्रजातियों के वन्यजीव भी हैं. इनमें मुख्यतः सियार, जरख, जंगली बिल्ली, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर और बिज्जू आदि वन्य जीव हैं. बता दें कि इस वर्ष पगमार्क के आधार पर मई महीने में की गई गणना में 5067 वन्यजीव और वर्ष 2018 में 5 हजार 251 वन्यजीव रिकॉर्ड हुए हैं.