भरतपुर. प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र रविवार को भरतपुर दौरे पर पहुंचे. यहां उन्होंने खानुआं कस्बे में आदर्श विद्या मंदिर के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण और महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के ट्रांजिट हॉस्टल और स्टूडेंट गतिविधि भवन का शिलान्यास किया. इस अवसर पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने दोनों कार्यक्रम में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बात की. कार्यक्रम के बाद जब राज्यपाल जयपुर के लिए रवाना हो रहे थे तो इस दौरान एक छात्र नेता ने राज्यपाल को विश्वविद्यालय में कथित नियम विरुद्ध संविदा भर्तियों और अनियमितताओं की जांच के लिए ज्ञापन सौंपा. इस पर राज्यपाल ने मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया.
अनुभव के आधार और तार्किक चिंतन : महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि ट्रांजिट हॉस्टल और स्टूडेंट गतिविधि भवन, ये दोनों सुविधाएं विद्यार्थियों के शैक्षणिक जीवन को सुगम बनाएंगी, लेकिन किसी विश्वविद्यालय की पहचान वहां की सुविधाओं से नहीं बल्कि वहां ग्रहण की जाने वाली शिक्षा से होती है. उम्मीद है कि विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और मौलिक शोध में नए आयाम स्थापित करेगा. नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम के बोझ को कम कर अनुभव के आधार और तार्किक चिंतन आधारित शिक्षा की बात कही गई है. उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूं कि बृज विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के आलोक में उत्कृष्ट शिक्षा केंद्र के रूप में पहचान बनाएगा.
अनियमितताओं का ज्ञापन : विश्वविद्यालय कार्यक्रम से भाग लेकर जयपुर लौट रहे राज्यपाल कलराज मिश्र को छात्र नेता लोकेश लोहागढ़ ने एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें आरोप लगाया कि नियमविरुद्ध तरीके से बिना विज्ञापन, बिना आवेदन के करीब 12 लोगों को अलग अलग पदों पर 5 साल के लिए संविदा पर नियुक्ति दे दी गई है. साथ ही कुलपति पर विश्वविद्यालय को आर्थिक हानि पहुंचाने सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इस पर राज्यपाल मिश्र ने छात्र नेता लोकेश लोहागढ़ को मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया.
प्राचीन और आधुनिक ज्ञान का समन्वय : विश्वविद्यालय कार्यक्रम से पहले राज्यपाल कलराज मिश्र ने खानुआं में आदर्श विद्यालय भवन के लोकार्पण समारोह में कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्राचीन ज्ञान और आधुनिक ज्ञान को समन्वित कर विद्यार्थियों को आगे बढ़ाया जाएगा. इसमें वैदिक, पौराणिक सभी काल के ज्ञान को संचित किया गया है, यही इसका विशेषता है. उन्होंने कहा कि विदेशों में सभी विषयों की पढ़ाई के साथ वेदों का भी अध्ययन कराया जा रहा है, क्योंकि उनको लगता है कि वैदिक कालीन शिक्षा अद्भुत रही, उसका ज्ञान होना बहुत आवश्यक है.