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Silicosis Patients in Rajasthan : राज्य में सिलिकोसिस मरीजों की बढ़ रही संख्या, तीन साल में 7,188 लोगों की मौत

राज्य में पत्थर खनन में काम करने वाले श्रमिक सिलिकोसिस बीमारी की चपेट में आ जाते (Silicosis Patients in Rajasthan) हैं. बीते 3 साल में राज्य में सिलिकोसिस जांच के लिए 42,399 मरीजों का पंजीकरण हुआ है.

Silicosis Patients in Rajasthan
सिलिकोसिस मरीजों की बढ़ रही संख्या
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Published : Feb 25, 2023, 8:04 PM IST

Updated : Feb 26, 2023, 7:04 PM IST

पत्थर में पिस रही मजदूरों की जिंदगी!

भरतपुर. प्रदेश में लगातार खान श्रमिक लाइलाज बीमारी सिलिकोसिस की चपेट में आ रहे हैं. सरकार बड़े पैमाने पर आर्थिक मुआवजा भी दे रही है, लेकिन लाख प्रयासों के बावजूद सिलिकोसिस बीमारी पर लगाम नहीं लग पा रही है. सरकार के आंकड़ों की मानें तो बीते करीब 3 साल में प्रदेशभर से सिलिकोसिस जांच के लिए 42,399 मरीजों का पंजीकरण हुआ है. प्रदेश में जहां सर्वाधिक सिलिकोसिस मरीज जोधपुर में हैं. वहीं, भरतपुर तीसरे स्थान पर है. लेकिन आज भी बड़ी संख्या में मरीजों को प्राथमिक जांच, एक्सरे और रिपोर्ट का इंतजार है. इतना ही नहीं साल 2019 से अब तक प्रदेश में सिलिकोसिस से 7188 मरीजों की मौत हो चुकी है. हालांकि, इस सब के बीच सुखद बात ये है कि बीते सालों में 27 हजार से अधिक सिलिकोसिस मरीजों और मृतकों को सरकार की तरफ से मुआवजा उपलब्ध कराया गया है.

प्रदेशभर से सिलिकोसिस : सरकारी आंकड़ों के अनुसार, तीन साल में अब तक प्रदेश भर में 42,399 मरीजों और मजदूरों ने सिलिकोसिस जांच के लिए आवेदन (पंजीकरण) कराया. इनमें जोधपुर से 10,311, सिरोही 5392, करौली 4770, भरतपुर से 3176, धौलपुर 2828, नागौर 2085, पाली 2028, उदयपुर से 1822 रजिस्ट्रेशन हुए हैं. इनमें से अब तक 27,560 सिलिकोसिस पीड़ितों (जीवित और मृतक) को सरकार की ओर से मुआवजा दिया गया है.

Silicosis Patients in Rajasthan
यहां इतने जीवित सिलिकोसिस मरीज

जांच-प्रमाणीकरण का इंतजार : प्रदेश में सिलिकोसिस बीमारी के हालात को लेकर 20 फरवरी 2023 को चीफ सेक्रेटरी ने सिलिकोसिस की समीक्षा बैठक ली. इस दौरान पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 10 फरवरी 2023 तक प्रदेशभर में 8450 आवेदन होल्ड पर हैं. 8374 मरीजों की प्राथमिक जांच पेंडिंग है. 3229 रेडियोग्राफर के पास और 5227 रेडियोलॉजिस्ट के पास पेंडिंग हैं. कुल मिलाकर ये पेंडेंसी कम होगी तभी मरीजों का प्रमाणीकरण हो सकेगा और मुआवजा और अन्य योजनाओं का लाभ मिल सकेगा.

Silicosis Patients in Rajasthan
तीन साल में मौत का आंकड़ा

नहीं हो रही नियमों की पालना : खान विभाग और अन्य संबंधित विभागों की ओर से बीते दिनों प्रदेश की 378 सिलिकोसिस संभावित इकाइयों का निरीक्षण किया गया. लेकिन ताजुब की बात है कि इनमें से सिर्फ 113 इकाइयों में ही नियमों की पालना होती पाई गई. जबकि, 265 इकाइयों में नियमों की पालना नहीं की जा रही थी. यानी मजदूरों के स्वास्थ्य और जिंदगी से खिलवाड़ की जा रही थी. हालांकि, विभाग की ओर से इनको नोटिस जारी किए गए.

नहीं कर रहे नोटिफाई, नहीं लग रही लगाम : एमएलपीसी के प्रबंध न्यासी राणा सेन गुप्ता ने बताया कि सरकार की ओर से प्रदेश के सिलिकोसिस मरीजों के लिए काफी अच्छी आर्थिक सहायता और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रखी हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जब तक रेगुलेटरी अथॉरिटी को नोटिफिकेशन जारी नहीं होगा, तब तक खनन इकाइयों में न तो सख्ती से नियमों की पालना हो सकेगी और न ही सिलिकोसिस के उत्पत्तिस्थल पर नियंत्रण लग सकेगा. उन्होंने कहा कि सरकार को सिलिकोसिस और टीवी दोनों की अनिवार्य जांच का नियम लागू देनी चाहिए. साथ ही दो दिशाओं में जांच शुरू करनी होगी. तभी सिलिकोसिस पर लगाम लग पाना संभव हो सकेगा, नहीं तो इसी तरह हर साल हजारों खान श्रमिक सिलिकोसिस का शिकार बनते रहेंगे.

नोटिफाई करने का प्रयास : राजस्थान के सिलिकोसिस कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी अशोक जांगिड़ ने बताया कि प्रदेश में हर दिन सिलिकोसिस जांच के लिए पंजीकरण होता रहता है. कई जगह पर स्टाफ की कमी भी रहती है. यही वजह है कि पेंडेंसी नजर आ रही है. फिलहाल, सरकार पिछले लंबे समय से इसी बिंदु पर काम कर रही है कि हर हालात में सिलिकोसिस बीमारी पर लगाम लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कई वीडियो कांफ्रेंस के दौरान संबंधित जिला कलेक्टर और खान विभाग के अधिकारियों को शक्ति से खनन क्षेत्रों में नियमों की पालना कराने के लिए निर्देशित किया जाता है. हमारा यह भी प्रयास है कि रेगुलेटरिटी अथॉरिटी को नोटिफिकेशन भी जारी हो.

पत्थर में पिस रही मजदूरों की जिंदगी!

भरतपुर. प्रदेश में लगातार खान श्रमिक लाइलाज बीमारी सिलिकोसिस की चपेट में आ रहे हैं. सरकार बड़े पैमाने पर आर्थिक मुआवजा भी दे रही है, लेकिन लाख प्रयासों के बावजूद सिलिकोसिस बीमारी पर लगाम नहीं लग पा रही है. सरकार के आंकड़ों की मानें तो बीते करीब 3 साल में प्रदेशभर से सिलिकोसिस जांच के लिए 42,399 मरीजों का पंजीकरण हुआ है. प्रदेश में जहां सर्वाधिक सिलिकोसिस मरीज जोधपुर में हैं. वहीं, भरतपुर तीसरे स्थान पर है. लेकिन आज भी बड़ी संख्या में मरीजों को प्राथमिक जांच, एक्सरे और रिपोर्ट का इंतजार है. इतना ही नहीं साल 2019 से अब तक प्रदेश में सिलिकोसिस से 7188 मरीजों की मौत हो चुकी है. हालांकि, इस सब के बीच सुखद बात ये है कि बीते सालों में 27 हजार से अधिक सिलिकोसिस मरीजों और मृतकों को सरकार की तरफ से मुआवजा उपलब्ध कराया गया है.

प्रदेशभर से सिलिकोसिस : सरकारी आंकड़ों के अनुसार, तीन साल में अब तक प्रदेश भर में 42,399 मरीजों और मजदूरों ने सिलिकोसिस जांच के लिए आवेदन (पंजीकरण) कराया. इनमें जोधपुर से 10,311, सिरोही 5392, करौली 4770, भरतपुर से 3176, धौलपुर 2828, नागौर 2085, पाली 2028, उदयपुर से 1822 रजिस्ट्रेशन हुए हैं. इनमें से अब तक 27,560 सिलिकोसिस पीड़ितों (जीवित और मृतक) को सरकार की ओर से मुआवजा दिया गया है.

Silicosis Patients in Rajasthan
यहां इतने जीवित सिलिकोसिस मरीज

जांच-प्रमाणीकरण का इंतजार : प्रदेश में सिलिकोसिस बीमारी के हालात को लेकर 20 फरवरी 2023 को चीफ सेक्रेटरी ने सिलिकोसिस की समीक्षा बैठक ली. इस दौरान पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 10 फरवरी 2023 तक प्रदेशभर में 8450 आवेदन होल्ड पर हैं. 8374 मरीजों की प्राथमिक जांच पेंडिंग है. 3229 रेडियोग्राफर के पास और 5227 रेडियोलॉजिस्ट के पास पेंडिंग हैं. कुल मिलाकर ये पेंडेंसी कम होगी तभी मरीजों का प्रमाणीकरण हो सकेगा और मुआवजा और अन्य योजनाओं का लाभ मिल सकेगा.

Silicosis Patients in Rajasthan
तीन साल में मौत का आंकड़ा

नहीं हो रही नियमों की पालना : खान विभाग और अन्य संबंधित विभागों की ओर से बीते दिनों प्रदेश की 378 सिलिकोसिस संभावित इकाइयों का निरीक्षण किया गया. लेकिन ताजुब की बात है कि इनमें से सिर्फ 113 इकाइयों में ही नियमों की पालना होती पाई गई. जबकि, 265 इकाइयों में नियमों की पालना नहीं की जा रही थी. यानी मजदूरों के स्वास्थ्य और जिंदगी से खिलवाड़ की जा रही थी. हालांकि, विभाग की ओर से इनको नोटिस जारी किए गए.

नहीं कर रहे नोटिफाई, नहीं लग रही लगाम : एमएलपीसी के प्रबंध न्यासी राणा सेन गुप्ता ने बताया कि सरकार की ओर से प्रदेश के सिलिकोसिस मरीजों के लिए काफी अच्छी आर्थिक सहायता और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रखी हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जब तक रेगुलेटरी अथॉरिटी को नोटिफिकेशन जारी नहीं होगा, तब तक खनन इकाइयों में न तो सख्ती से नियमों की पालना हो सकेगी और न ही सिलिकोसिस के उत्पत्तिस्थल पर नियंत्रण लग सकेगा. उन्होंने कहा कि सरकार को सिलिकोसिस और टीवी दोनों की अनिवार्य जांच का नियम लागू देनी चाहिए. साथ ही दो दिशाओं में जांच शुरू करनी होगी. तभी सिलिकोसिस पर लगाम लग पाना संभव हो सकेगा, नहीं तो इसी तरह हर साल हजारों खान श्रमिक सिलिकोसिस का शिकार बनते रहेंगे.

नोटिफाई करने का प्रयास : राजस्थान के सिलिकोसिस कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी अशोक जांगिड़ ने बताया कि प्रदेश में हर दिन सिलिकोसिस जांच के लिए पंजीकरण होता रहता है. कई जगह पर स्टाफ की कमी भी रहती है. यही वजह है कि पेंडेंसी नजर आ रही है. फिलहाल, सरकार पिछले लंबे समय से इसी बिंदु पर काम कर रही है कि हर हालात में सिलिकोसिस बीमारी पर लगाम लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कई वीडियो कांफ्रेंस के दौरान संबंधित जिला कलेक्टर और खान विभाग के अधिकारियों को शक्ति से खनन क्षेत्रों में नियमों की पालना कराने के लिए निर्देशित किया जाता है. हमारा यह भी प्रयास है कि रेगुलेटरिटी अथॉरिटी को नोटिफिकेशन भी जारी हो.

Last Updated : Feb 26, 2023, 7:04 PM IST
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