भरतपुर. जिले में शनिवार को लोकतंत्र का महापर्व विधानसभा चुनाव के तहत मतदान हुआ. इसमें नवमतदाता, महिला-पुरुष के साथ ही बुजुर्गों ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई. जिले में वर्ष 2018 के चुनाव की तुलना में इस बार 0.62 फीसदी अधिक यानी कुल 71.92 फीसदी मतदान हुआ है. चार विधानसभा सीटों पर तो गत चुनाव की तुलना में अधिक मतदान हुआ है, जबकि मेवात की कामां विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने गत चुनाव की तुलना में कम रूचि दिखाई. इस बीच लोकतंत्र के इस महापर्व में जिले की संभवतः सबसे उम्र दराज 107 वर्षीय बुजुर्ग महिला रेशम ने भी मतदान केंद्र पर पहुंच कर वोट दिया.
वर्ष 2018 व वर्ष 2023 का तुलनात्मक मतदान :
विधानसभा सीट | कामां | नगर | डीग कुम्हेर | भरतपुर | नदबई | वैर | बयाना |
2018 में मतदान ( प्रतिशत में ) | 81.56 | 76.18 | 68.22 | 67.28 | 68.34 | 66.73 | 72.02 |
2023 में मतदान ( प्रतिशत में ) | 77.80 | 80.07 | 68.73 | 66.6 | 70.04 | 68.54 | 71.68 |
मेवात में घटा, 4 विधानसभा सीटों पर बढ़ा मतदान : जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में कुल 71.92 फीसदी मतदान हुआ है, जो वर्ष 2018 के मतदान 71.30 फीसदी से 0.62 फीसदी अधिक है. इस बार जिले के नगर, डीग-कुम्हेर, नदबई और वैर विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ा है, जबकि मेवात के कामां क्षेत्र और भरतपुर शहर व बयाना में मतदान प्रतिशत कम हुआ है.
107 वर्षीय महिला को नहीं मिली होम वोटिंग की सुविधा : इस बार निर्वाचन विभाग ने नई पहल करते हुए 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं को होम वोटिंग की सुविधा उपलब्ध कराई, लेकिन जिले की सबसे उम्रदराज महिला मतदाता को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल सका. वैर विधानसभा के गांव खेरली गड़ासिया निवासी 107 वर्षीय बुजुर्ग महिला रेशम ने मतदान केंद्र पहुंचकर वोट डाला. बुजुर्ग के पोते धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि दादी रेशम की उम्र करीब 107 साल है. होम वोटिंग की सुविधा नहीं मिल सकी, जिसकी वजह से शनिवार को दादी रेशम को गाड़ी में बैठाकर गांव में ही स्थित मतदान केंद्र लेकर पहुंचे और मतदान कराया गया.
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गौरतलब है कि जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में मतदान के लिए कुल 1774 मतदान केंद्र बनाए गए. जिनपर मतदान कराने के लिए 7096 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई. शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए राजस्थान पुलिस, आरएसी, होम गार्ड और अर्धसैनिक बलों के 7 हजार से अधिक जवान तैनात किए गए. वहीं, जिले के करीब सभी संवेदनशील और अति संवेदनशील मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग के माध्यम से नजर रखी गई.