भरतपुर. लोहागढ़ का नाम सुनते ही जेहन में महाराजा सूरजमल और यहां के अभेद्य दुर्ग लोहागढ़ की छवि उभर आती है. लेकिन किले की तरह ही भरतपुर के दंगल और यहां की पहलवानी का इतिहास स्वर्णिम रहा है. एक वक्त था, जब देशभर में भरतपुर के कारे पहलवान के नाम की धाक थी. रियासतकाल में राजपरिवार की ओर से पहलवानी को खूब बढ़ावा भी दिया गया. पहलवानी का वही शौक आज भी भरतपुर में बरकरार है. वर्तमान में भरतपुर के करीब 500 युवा (लड़का-लड़की) पहलवानी का प्रशिक्षण ले रहे हैं. कई पहलवानों ने तो राष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त प्रदर्शन कर जिले का नाम रोशन किया है तो वहीं जिले की महिला पहलवान भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रही हैं.
पाकिस्तानी पहलवान लाल वेग को किया परास्तः भरतपुर में रियासतकाल से ही पहलवानी का शौक रहा है. महाराजा ब्रिजेंद्र सिंह के समय जिले के कारे सिंह पहलवान का पूरे देश में नाम था. इतिहासकार रामवीर वर्मा बताते हैं कि कारे पहलवान उस समय हिंद केसरी थे. बड़े-बड़े पहलवानों के उनके नाम से पसीने छूटा करते थे. एक बार हिमाचल के दंगल में पाकिस्तानी पहलवान लाल वेग ने पूरे भारत के पहलवानों को चुनौती दी थी. उस दंगल में भरतपुर के राजा ब्रिजेंद्र सिंह भी मौजूद थे. हालांकि, तब उम्र अधिक होने की वजह से कारे पहलवान ने दंगल लड़ना छोड़ दिया था. फिर भी राजा ब्रिजेंद्र सिंह ने कारे पहलवान को संदेश भिजवाया और कारे पहलवान दंगल लड़ने पहुंच गए. ऐसे में दोनों पहलवानों के बीच जोरदार दंगल हुई, जिसमें कारे पहलवान ने पाकिस्तानी पहलवान लाल वेग को बुरी तरह से पराजित कर उसके गुरूर को तोड़ा था.
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जिले के 500 युवा कर रहे पहलवानीः जिला खेल अधिकारी सत्य प्रकाश लुहाच ने बताया कि जिले के करीब 500 युवा अलग-अलग अखाड़ों में पहलवानी का प्रशिक्षण ले रहे हैं. इनमें करीब 50 महिला पहलवान शामिल हैं. उन्होंने बताया कि जिले के कई युवा तो हरियाणा और दिल्ली के अखाड़ों में भी प्रशिक्षण ले रहे हैं. साथ ही आज जिले के पहलवानों की पूरे देश भर में अच्छी धाक है. दर्जनों पहलवान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं. कुछ माह पूर्व केरल में आयोजित हुई अंडर 23 राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भरतपुर के तीन पहलवानों ने मेडल जीता था. ऐसे दर्जनों पहलवान अब तक विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुके हैं. इसके अलावा यहां की महिला पहलवान भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में मेडल जीत चुकी हैं.
प्रसिद्ध है मिट्टी का दंगलः लुहाच ने बताया कि जिले में मिट्टी का दंगल काफी प्रसिद्ध है. यहां गांव-गांव में मिट्टी के दंगल होते हैं, लेकिन लोहागढ़ स्टेडियम स्थित कुश्ती अकादमी में गद्दे पर दंगल होते हैं. यहां पहलवानों को प्रैक्टिस भी गद्दों पर कराई जाती है. उन्होंने बताया कि लोहागढ़ कुश्ती अकादमी में हर दिन करीब 100 से ज्यादा महिला-पुरुष पहलवान नियमित प्रैक्टिस करते हैं.
पहलवानी भर रही झोलीः राजस्थान सरकार की ओर से खेलों को बढ़ावा देने के लिए आउट ऑफ टर्म पॉलिसी और दो फीसदी खेल कोटा के तहत खिलाड़ियों को नौकरी दी जा रही है. इसका लाभ भरतपुर के पहलवानों और अन्य खेलों के खिलाड़ियों को मिल रहा है. अब तक जिले के करीब 12 से अधिक पहलवानों को खेल योजना के तहत सरकारी नौकरी मिल चुकी है. हाथी पहलवान का कहना है कि सरकार की इन योजनाओं की वजह से खिलाड़ियों का भविष्य संवरने लगा है. यही कारण है कि आज युवा बढ़-चढ़कर खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं.
हाथी पहलवान, राष्ट्रीय स्तर पर 8 और प्रदेश में जीते 50 मेडलः जिले के जघीने गांव के हाथी पहलवान ने भी पहलवानी में नाम रोशन किया है. हाथी अब तक राष्ट्री स्तर के विभिन्न मुकाबलों में 8 मेडल जीत चुके हैं. जबकि राज्य स्तरीय मुकाबलों में 50 मेडल अपने नाम किए हैं. फिलहाल हाथी पहलवान खेल कोटा से राजस्थान पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं. वहीं, उनके भांजे अशोक बांसरोली भी राष्ट्रीय स्तर पर दो मेडल जीतकर राजस्थान पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर सेवारत हैं.