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भरतपुर : कामा में 'मनरेगा' कार्य में मिली अनियमितता, 100 श्रमिकों में से 38 ही मिले उपस्थित...

भरतपुर के कामां क्षेत्र में रोजगार सहायक और ग्राम पंचायत ने मनरेगा कार्य का निरीक्षण किया. इस दौरान कमेटी को कार्यस्थल पर 100 श्रमिकों की जगह महज 38 मजदूर ही मौजूद मिले. साथ ही कमेटी ने मेट से मस्टररोल दिखाने को कहा तो मेट ने दिखाने से मना कर दिया और गाली गलौच करने लगा.

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Published : Jul 23, 2020, 2:18 PM IST

rajasthan news, भरतपुर न्यूज
मनरेगा कार्य के समय 100 में से 38 मजूदर ही कार्यस्थल पर रहे मौजूद

कामां (भरतपुर). जिले के कामां क्षेत्र के कैथवाड़ा में चल रहे मनरेगा कार्य में उस समय भारी अनियमितता देखने को मिली जब निरीक्षण करने गए रोजगार सहायक और ग्राम पंचायत की ओर से गठित की गई कमेटी को वहां पर 100 श्रमिकों में से 38 श्रमिक ही उपस्थित मिले. इस पर कमेटी के सदस्यों और रोजगार सहायक ने वहां पर मौजूद मेट से श्रमिकों की मस्टररोल मांगी तो मेट ने उनको मस्टररोल दिखाने से मना कर दिया और उनके साथ गाली-गलौच की. जिस पर कमेटी के सदस्यों और रोजगार सहायक की ओर से बीडीओ को स्वहस्ताक्षरित एक शिकायत पत्र देकर मेट के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है.

मनरेगा कार्य के समय 100 में से 38 मजूदर ही कार्यस्थल पर रहे मौजूद

यह है मामला...

पहाड़ी पंचायत समिति क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कैथवाड़ा में दरगाह वाली पोखर पर जारी हुई ग्राम पंचायत की मस्टररोल में श्रमिकों की संख्या 100 है, लेकिन वहां पर प्रतिदिन कुछ ही श्रमिकों के काम करने की शिकायतें मिल रही थी. जिस पर रोजगार सहायक राधेश्याम मीणा और ग्राम पंचायत की ओर से कमेटी गठित की गई. इस कमेटी में उपसरपंच मनोहर लाल, वार्ड मेंबर मीहरू खां, इरफान, साकिर, पंचायत सहायक ओम प्रकाश शर्मा, रामअवतार शर्मा शामिल है. जिन्होंने मौके पर निरीक्षण किया तो पता चला कि 100 में से 38 श्रमिक ही उपस्थित है.

इस पर उन्होंने वहां पर मौजूद मेट से मस्टररोल की मांग की तो मेट ने ना केवल मस्टररोल दिखाने से इंकार कर दिया बल्कि उनके साथ गाली गलौच भी की. जिसके बाद रोजगार सहायक ने स्वहस्ताक्षरित एक शिकायत पत्र बीडीओ केके जैमन को सौंपा और मामले की जांच करने और मेट के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की. जिसके बाद विकास अधिकारी केके जैमन ने मामले की जांच करने के लिए जेटीओ को निर्देश दिए हैं.

पढ़ें- 'मनरेगा' में धांधली को लेकर श्रमिकों का हंगामा, काम देने के नाम पर अवैध वसूली का आरोप

मनरेगा में खुलकर होता है फर्जीवाड़ा...

कामां मेवात क्षेत्र में लगातार सुनने और देखने में आता है कि मनरेगा कार्य के दौरान जमकर फर्जीवाड़ा किया जाता है, लेकिन समय पर कोई उचित कार्रवाई नहीं होती. जिसके चलते ये लोग मनरेगा में फर्जीवाड़ा करते हैं और गरीबों के हक पर डाका डालते हैं.

कामां (भरतपुर). जिले के कामां क्षेत्र के कैथवाड़ा में चल रहे मनरेगा कार्य में उस समय भारी अनियमितता देखने को मिली जब निरीक्षण करने गए रोजगार सहायक और ग्राम पंचायत की ओर से गठित की गई कमेटी को वहां पर 100 श्रमिकों में से 38 श्रमिक ही उपस्थित मिले. इस पर कमेटी के सदस्यों और रोजगार सहायक ने वहां पर मौजूद मेट से श्रमिकों की मस्टररोल मांगी तो मेट ने उनको मस्टररोल दिखाने से मना कर दिया और उनके साथ गाली-गलौच की. जिस पर कमेटी के सदस्यों और रोजगार सहायक की ओर से बीडीओ को स्वहस्ताक्षरित एक शिकायत पत्र देकर मेट के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की है.

मनरेगा कार्य के समय 100 में से 38 मजूदर ही कार्यस्थल पर रहे मौजूद

यह है मामला...

पहाड़ी पंचायत समिति क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कैथवाड़ा में दरगाह वाली पोखर पर जारी हुई ग्राम पंचायत की मस्टररोल में श्रमिकों की संख्या 100 है, लेकिन वहां पर प्रतिदिन कुछ ही श्रमिकों के काम करने की शिकायतें मिल रही थी. जिस पर रोजगार सहायक राधेश्याम मीणा और ग्राम पंचायत की ओर से कमेटी गठित की गई. इस कमेटी में उपसरपंच मनोहर लाल, वार्ड मेंबर मीहरू खां, इरफान, साकिर, पंचायत सहायक ओम प्रकाश शर्मा, रामअवतार शर्मा शामिल है. जिन्होंने मौके पर निरीक्षण किया तो पता चला कि 100 में से 38 श्रमिक ही उपस्थित है.

इस पर उन्होंने वहां पर मौजूद मेट से मस्टररोल की मांग की तो मेट ने ना केवल मस्टररोल दिखाने से इंकार कर दिया बल्कि उनके साथ गाली गलौच भी की. जिसके बाद रोजगार सहायक ने स्वहस्ताक्षरित एक शिकायत पत्र बीडीओ केके जैमन को सौंपा और मामले की जांच करने और मेट के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की. जिसके बाद विकास अधिकारी केके जैमन ने मामले की जांच करने के लिए जेटीओ को निर्देश दिए हैं.

पढ़ें- 'मनरेगा' में धांधली को लेकर श्रमिकों का हंगामा, काम देने के नाम पर अवैध वसूली का आरोप

मनरेगा में खुलकर होता है फर्जीवाड़ा...

कामां मेवात क्षेत्र में लगातार सुनने और देखने में आता है कि मनरेगा कार्य के दौरान जमकर फर्जीवाड़ा किया जाता है, लेकिन समय पर कोई उचित कार्रवाई नहीं होती. जिसके चलते ये लोग मनरेगा में फर्जीवाड़ा करते हैं और गरीबों के हक पर डाका डालते हैं.

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