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भरतपुर की इस बेटी को सलाम, 7 सालों से दूध बेचकर घर को दे रही आर्थिक सहारा - मंत्री सुभाष गर्ग

भरतपुर जिले की रहने वाली नीतू उन सब लड़कियों के लिए एक मिसाल है, जो परिवार के लिए कभी बेटी नहीं बल्कि बेटा बनकर कंधे से कंधे मिलाकर हर काम करती हैं. नीतू ने अपने घर की सारी जिम्मेदारियों को अपने ऊपर लिया हुआ है. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से नीतू पिछले 7 सालों से दूध बेचने का काम करती है. जिससे उसके परिवार को आर्थिक मदद मिल सके. पढ़िए पूरी खबर..

Bharatpur news, Neetu milk seller
भरतपुर की बेटी को सलाम
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Published : Mar 15, 2020, 6:05 PM IST

भरतपुर. जिले के भांडोर गांव में नीतू लड़कियों के लिए एक मिसाल है. मिसाल इसलिये है क्योंकि जिस उम्र में बच्चों को दुनिया की समझ नहीं होती. उस उम्र में नीतू अपने घर की जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठा कर उन्हें बखूबी से निभा रही है. नीतू घर में तो सबसे छोटी है, लेकिन घर चलाने के लिए अपने पिता का बराबर साथ देती है. इतना ही नहीं जो घर की बड़ी जिम्मेदारियां है. उन्हें भी उसने अपने कंधों पर उठा लिया है.

दूध बेचकर घर को दे रही आर्थिक सहारा

पढ़ें: मिसाल : अजमेर की नम्रता ने हुनर को बनाया अपनी ताकत...

दरअसल, नीतू के परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है. उसके पिता एक प्राइवेट नौकरी करते है और नीतू 5 बहनें और एक भाई है. ऐसे में नीतू के पिता को घर चलाना काफी भारी हो जाता है. लेकिन जब नीतू ने देखा कि घर की जरूरत ज्यादा है और आमदनी नहीं है तो उसने घर की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर उठा लिया और करीब 07 साल पहले से दूध बेचने लगी.

नीतू ने दूध बेचने का काम शुरू किया सात साल पहले. जब उसके पिता के सामने घर चलाने के लिए संकट आया. तब नीतू ने फैसला लिया कि वह अपने पिता की घर चलाने में सहायता करेगी. तब नीतू ने साइकिल खरीदी और गांव के घरों में जाकर दूध खरीदना शुरू किया और उस दूध को साइकिल के जरिये शहर लाकर बेचना शुरू किया. कुछ सालों तक नीतू साइकिल से ही इस काम को जारी रखा लेकिन कुछ सालों बाद नीतू ने एक स्कूटी ले ली अब नीतू वही काम स्कूटी से करती है..

नीतू से जब हमने इसके बारे में बात की तो उसने बताया कि उसके पिता के सामने आर्थिक संकट की वजह से उसने यह काम शुरू किया है और वो पिछले 7 साल से यह काम कर रही है. नीतू ने इस कदर घर की जिम्मेदारियों को उठाया कि उसने अपनी 3 बहनों की शादी करवाई इसके अलावा नीतू अपने छोटे भाई की पढ़ाई में सहायता करती है. नीतू की मां बीमार रहती है तो वह अपने काम से फ्री होकर अपनी मां की घर के कामों में सहायता भी करवाती है.

नीतू ने बताया कि वह सुबह 4 बजे उठती है और फिर अपने गांव से दूसरे गांव में जाकर दूध खरीदती है. जिसके बाद फिर वह दूध भरतपुर लेकर आती है और घर-घर जाकर दूध बेचती है और करीब 8 बजे तक अपने गांव वापस लौट जाती है. जिसके बाद वह अपनी मां के साथ घर के काम मे उनकी मदद करवाती है और 11 बजे कॉलेज जाती है. इस तरह उसका पूरा दिन सिर्फ घर के लिए ही निकल जाता है. नीतू का सपना है कि वह पढ़ लिख कर एक अध्यापिका बने.

पढ़ें: भीलवाड़ा की 'पहलवान' बेटी ने नेशनल चैंपियनशिप में जीता सिल्वर, हुआ भव्य स्वागत

नीतू एक लड़की होकर बेटे का फर्ज निभाती है और नीतू के परिजनों को भी नीतू पर गर्व है कि वह घर की जिम्मेदारियों को पूरा करती है. वही नीतू से मंत्री सुभाष गर्ग, जिला कलेक्टर भी मिले चुके हैं. उन्होने नीतू के बारे में जानकर उसकी जमकर तारिफ की साथ ही आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है.

भरतपुर. जिले के भांडोर गांव में नीतू लड़कियों के लिए एक मिसाल है. मिसाल इसलिये है क्योंकि जिस उम्र में बच्चों को दुनिया की समझ नहीं होती. उस उम्र में नीतू अपने घर की जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठा कर उन्हें बखूबी से निभा रही है. नीतू घर में तो सबसे छोटी है, लेकिन घर चलाने के लिए अपने पिता का बराबर साथ देती है. इतना ही नहीं जो घर की बड़ी जिम्मेदारियां है. उन्हें भी उसने अपने कंधों पर उठा लिया है.

दूध बेचकर घर को दे रही आर्थिक सहारा

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दरअसल, नीतू के परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं है. उसके पिता एक प्राइवेट नौकरी करते है और नीतू 5 बहनें और एक भाई है. ऐसे में नीतू के पिता को घर चलाना काफी भारी हो जाता है. लेकिन जब नीतू ने देखा कि घर की जरूरत ज्यादा है और आमदनी नहीं है तो उसने घर की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर उठा लिया और करीब 07 साल पहले से दूध बेचने लगी.

नीतू ने दूध बेचने का काम शुरू किया सात साल पहले. जब उसके पिता के सामने घर चलाने के लिए संकट आया. तब नीतू ने फैसला लिया कि वह अपने पिता की घर चलाने में सहायता करेगी. तब नीतू ने साइकिल खरीदी और गांव के घरों में जाकर दूध खरीदना शुरू किया और उस दूध को साइकिल के जरिये शहर लाकर बेचना शुरू किया. कुछ सालों तक नीतू साइकिल से ही इस काम को जारी रखा लेकिन कुछ सालों बाद नीतू ने एक स्कूटी ले ली अब नीतू वही काम स्कूटी से करती है..

नीतू से जब हमने इसके बारे में बात की तो उसने बताया कि उसके पिता के सामने आर्थिक संकट की वजह से उसने यह काम शुरू किया है और वो पिछले 7 साल से यह काम कर रही है. नीतू ने इस कदर घर की जिम्मेदारियों को उठाया कि उसने अपनी 3 बहनों की शादी करवाई इसके अलावा नीतू अपने छोटे भाई की पढ़ाई में सहायता करती है. नीतू की मां बीमार रहती है तो वह अपने काम से फ्री होकर अपनी मां की घर के कामों में सहायता भी करवाती है.

नीतू ने बताया कि वह सुबह 4 बजे उठती है और फिर अपने गांव से दूसरे गांव में जाकर दूध खरीदती है. जिसके बाद फिर वह दूध भरतपुर लेकर आती है और घर-घर जाकर दूध बेचती है और करीब 8 बजे तक अपने गांव वापस लौट जाती है. जिसके बाद वह अपनी मां के साथ घर के काम मे उनकी मदद करवाती है और 11 बजे कॉलेज जाती है. इस तरह उसका पूरा दिन सिर्फ घर के लिए ही निकल जाता है. नीतू का सपना है कि वह पढ़ लिख कर एक अध्यापिका बने.

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नीतू एक लड़की होकर बेटे का फर्ज निभाती है और नीतू के परिजनों को भी नीतू पर गर्व है कि वह घर की जिम्मेदारियों को पूरा करती है. वही नीतू से मंत्री सुभाष गर्ग, जिला कलेक्टर भी मिले चुके हैं. उन्होने नीतू के बारे में जानकर उसकी जमकर तारिफ की साथ ही आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है.

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