भरतपुर. राजस्थान में महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर-धौलपुर के 1.40 लाख विद्यार्थियों से करीब 30 करोड़ रुपये की अतिरिक्त फीस वसूलेगा. विवि ने प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही जहां शैक्षणिक, परीक्षा व अन्य शुल्क में 10% की वृद्धि कर दी है. वहीं, संबद्ध कॉलेजों व नॉन कॉलेजिएट विद्यार्थियों को पुस्तकालय शुल्क जैसी फीस भी जमा करानी होगी, जो कि नियमानुसार सिर्फ कैंपस स्टूडेंट्स पर ही लागू होती है. ऐसे में बृज विश्वविद्यालय अपना खाली खजाना विद्यार्थियों की जेब से भरने की तैयारियों में जुटा हुआ है.
देना होगा 2200 रुपये अतिरिक्त शुल्क : विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुभाष चंद्र शर्मा ने गत माह एक आदेश जारी किया, जिसमें लिखा कि नए सत्र से संबद्ध कॉलेजों के छात्रों साथ ही प्रत्येक स्वयंपाठी छात्रों को एल्युमिनी एसोसिएशन के गठन एवं विकास के लिए परीक्षा शुल्क 500 रुपये, विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय के विकास के लिए 500 रुपये, विश्वविद्यालय विकास शुल्क 500 रुपये, स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर की स्थापना के लिए स्टूडेंट वेलफेयर शुल्क 500 रुपये, प्रत्येक विद्यार्थी से प्री रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में 200 रुपये लिए जाएंगे. प्री रजिस्ट्रेशन शुल्क नामांकन शुल्क के अतिरिक्त होगा. कुल मिलाकर इस बार प्रत्येक विद्यार्थी को 2200 रुपये का शुल्क अतिरिक्त देना होगा.
विवि के खजाने में 31 करोड़ अतिरिक्त शुल्क : असल में महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय से भरतपुर और धौलपुर जिले के कुल 165 कॉलेज संबद्ध हैं. इनमें स्नातक के करीब 60 हजार, स्नातकोत्तर के 20 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. इसके अलावा दोनों जिलों में कुल 60 हजार स्वयंपाठी विद्यार्थी भी हैं. कुल मिलाकर विश्वविद्यालय के अधीन 1 लाख 40 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. ऐसे में प्रत्येक विद्यार्थी से यदि 2200 रुपये अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है तो विवि के खजाने में एक ही साल में करीब 31 करोड़ रुपया जमा होगा, जो कि बेरोजगार विद्यार्थियों के लिए बहुत बड़ी परेशानी की बात है.
सिर्फ 300 विद्यार्थियों पर लागू होता है नियम : असल में महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के कैंपस में फिलहाल सिर्फ 6 पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं, जिनमें करीब 300 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. यदि विश्वविद्यालय प्रबंधन पुस्तकालय शुल्क और विकास शुल्क जैसे शुल्क विद्यार्थियों से वसूलना चाहता है, तो नियमानुसार यह शुल्क सिर्फ कैंपस के विद्यार्थियों पर ही लागू होता है. लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन ने तानाशाही भरा आदेश जारी कर ऐसे विद्यार्थियों पर भी यह शुल्क लागू कर दिया है, जो कि इन सुविधाओं का लाभ ही नहीं उठा पाएंगे.
सुविधाएं विकसित करनी हैं : विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ अरुण कुमार पाण्डेय ने बताया कि विश्वविद्यालय को राजस्थान सरकार की ओर से सिर्फ टोकन मनी के रूप में 1000 रुपये दिया जाता है. हम विश्वविद्यालय में केंद्रीय पुस्तकालय स्थापित कर रहे हैं जो कि डिजिटल भी होगा. विभागीय विद्यार्थियों के लिए भविष्य में विभागीय पुस्तकालय भी स्थापित किए जाएंगे. विद्यार्थी के नजरिए से इसे भार समझ सकते हैं, लेकिन विश्वस्तरीय सुविधाओं के लिए बजट तो चाहिए. विश्वविद्यालय में तमाम सुविधाएं विकसित करनी है.
परीक्षा समेत अन्य शुल्क में 10% वृद्धि : विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस बार 2200 रुपये के अतिरिक्त शुल्क के अलावा परीक्षा शुल्क, शैक्षणिक व अन्य शुल्क ने भी 10% की वृद्धि कर दी है. उपकुलसचिव अरुण कुमार ने बताया कि कोरोना काल में विश्वविद्यालय के किसी भी शुल्क में वृद्धि नहीं हुई थी. वर्ष 2016 का राज्यपाल का एक आदेश है जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि विश्वविद्यालय चाहे तो प्रतिवर्ष शुल्क में 10% की वृद्धि कर सकता है. उसी आदेश के तहत यह वृद्धि की गई है.