भरतपुर. जिले के बहुचर्चित कृपाल और कुलदीप जघीना हत्याकांड में अब कृपाल की रिवॉल्वर सबसे बड़ी पहेली बनी हुई है. भाजपा नेता कृपाल जघीना के खिलाफ पुलिस में कई मामले दर्ज थे. इसके बावजूद कृपाल के पास एक लाइसेंसी रिवॉल्वर थी. कृपाल की मौत के बाद परिजनों ने यह रिवाल्वर पुलिस को सरेंडर नहीं कराई और बाद में इसी रिवाल्वर से कृपाल के भतीजे पंकज ने कुलदीप जघीना की हत्या की. कृपाल की रिवॉल्वर के लाइसेंस को लेकर भी पुलिस के अधिकारियों के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं.
कुछ अधिकारियों का कहना है कि रिवॉल्वर का लाइसेंस उत्तर प्रदेश के आगरा से जारी हुआ था. कुछ का कहना है कि अभी जांच चल रही है, तो कुछ अधिकारी तो रिवॉल्वर को ही अवैध बता रहे हैं. कुल मिलाकर घटना के करीब एक माह बाद भी कृपाल की रिवॉल्वर पहेली बनी हुई है. पुलिस अब इस गुत्थी को सुलझाने में जुटी हुई है. तीन अधिकारी तीन जवाबः इस पूरे मामले को लेकर पुलिस के आला अधिकारी भी सही जानकारी देने से कतराते नजर आ रहे हैं. मामले की जांच कर रहे आईपीएस अधिकारी बृजेश ज्योति उपाध्याय, सीईओ भुसावर और खुद पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा से बात की. लेकिन तीनों अधिकारियों ने कृपाल की रिवॉल्वर को लेकर अलग-अलग जवाब दिए.
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आगरा से लिया था लाइसेंसः विशेषाधिकारी डीग बृजेश ज्योति उपाध्याय का कहना है कि कुलदीप जघीना हत्याकांड में बदमाशों द्वारा उपयोग में लिए गए हथियारों में से एक रिवॉल्वर से भी गोलियां चलाई थीं. वह रिवॉल्वर कृपाल जघीना की थी, जिसकी पूर्व में ही हत्या हो चुकी थी. वह रिवॉल्वर लाइसेंसी थी, जिसका लाइसेंस कृपाल ने आगरा से लिया हुआ था. यहां हमने जांच कराई थी, भरतपुर जिले से कृपाल को रिवॉल्वर का कोई लाइसेंस जारी नहीं हुआ. मामले की जांच हलैना थानाधिकारी कर रहे हैं. रिवॉल्वर को लेकर अब क्या चल रहा है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है. आप सीओ भुसावर या हलैना एसएचओ से जानकारी ले सकते हैं.
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रिवॉल्वर बिना लाइसेंस कीः सीओ भुसावर सीताराम का कहना है कि कुलदीप जघीना हत्याकांड में बदमाशों द्वारा उपयोग में ली गई एक रिवॉल्वर कृपाल जघीना की भी थी. जिसका कोई लाइसेंस नहीं था, वह बगैर लाइसेंसी थी. इस संबंध में पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा का कहना है कि कृपाल की रिवॉल्वर का लाइसेंस कहां से जारी हुआ. इसकी अलग से एक टीम जांच कर रही है. साथ ही कृपाल की मौत के बाद परिजनों ने रिवॉल्वर जमा क्यों नहीं कराई, इसका भी पता लगाया जा रहा है. वैसे कुलदीप जघीना हत्याकांड में इस्तेमाल किए गए करीब-करीब सभी हथियार बरामद कर लिए गए हैं.
सबसे बड़ा सवालः सूत्रों की मानें तो कृपाल के खिलाफ भरतपुर में कई मामले दर्ज थे. ऐसे में नियमानुसार भरतपुर से कृपाल के नाम पर हथियार लाइसेंस जारी नहीं हो सकता था. आईपीएस बृजेश ज्योति उपाध्याय के बयान और अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कृपाल की रिवॉल्वर का लाइसेंस उत्तर प्रदेश के आगरा से जारी हुआ था. इसमें संभावना यह भी है कि कृपाल ने लाइसेंस लेने के लिए पते व अन्य तथ्यों की जानकारी सही नहीं दी. गौरतलब है कि कुलदीप जघीना की जयपुर जेल से पेशी के लिए भरतपुर लाते समय 12 जुलाई को जिले के आमोली टोल पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्याकांड के समय पंकज नाम के आरोपी ने अपने ताऊ मृतक कृपाल की रिवॉल्वर का इस्तेमाल किया था. मामले में भरतपुर पुलिस ने अब तक 12 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.