भरतपुर. प्रत्येक जातक की कुंडली में समय और नक्षत्रों के अनुसार अलग-अलग योग बनते रहते हैं. कई योग अच्छे बनते हैं तो कई के प्रभाव अनिष्टकारी और कष्टकारी भी होते हैं. ऐसा ही एक योग है काल सर्प दोष. जिस जातक की कुंडली में काल सर्प दोष बनता है उसे कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है. लेकिन हमारे ज्योतिषशास्त्र में इस दोष का कई प्रकार से निवारण का उपाय भी बताया गया है.
क्या है काल सर्प दोष- वैदिक पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि जब राहु और केतु के संपर्क व प्रभाव में जब ने गृह आ जाते हैं तो ज्योतिष में उस अवस्था को काल सर्प दोष कहा जाता है. पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि जब कोई जातक किसी सर्प को मार देता है या भूलवश सर्प की मौत हो जाती है तो परिणामस्वरूप उसका प्रभाव काल सर्प दोष के रूप में नजर आता है.
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ऐसे पहचानें लक्षण- पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि जब जातक की कुंडली में काल सर्प दोष का योग बनता है तो उसके जीवन में कई नकारात्मक प्रभाव नजर आने लगते हैं. जातक का किसी कार्य में मन नहीं लगता, जीवन की उन्नति अवरुद्ध हो जाती है. पढ़ाई, नौकरी और व्यापार में उन्नति नहीं हो पाती. ये सभी लक्षण काल सर्प दोष के बताए गए हैं.
ऐसे करें निवारण- पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि जातक को सबसे पहले किसी विद्वान पंडित से अपनी कुंडली दिखानी चाहिए और काल सर्प दोष के बारे में जानकारी करनी चाहिए. काल सर्प दोष के निवारण के लिए सोमवार को महादेव के मंदिर में दूध, घी, शहद, शक्कर से रुद्राभिषेक करना चाहिए.
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सर्प सर्पिणी अर्पित करें- पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि काल सर्प दोष के निवारण का एक और उपाय है. जातक जन्म के समय जिस पायरे के साथ जन्म लेता है जैसे कि सोने, चांदी, पीतल या लोहे के पायरे, तो जातक को उसी के अनुरूप सोने, चांदी, पीतल या लोहे के धातु से सर्प सर्पिणी का जोड़ा तैयार कर भगवान शिव पर अर्पित कर बहते हुए पानी में प्रवाहित कर देना चाहिए. इससे जातक की जन्म कुंडली से काल सर्प दोष का प्रभाव शून्य हो जाएगा और जातक के जीवन के सभी कष्ट व समस्याओं का निवारण हो जाएगा.