भरतपुर. चार साल पहले देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले जिले के सैनिक सौरभ कटारा के माता-पिता को जिले के स्वतंत्रता दिवस समारोह में सम्मान के बजाय अपमान झेलना पड़ा. जिला प्रशासन ने सैनिक सौरभ कटारा की पत्नी को समारोह में आने का निमंत्रण भेजा. वीरांगना की तबीयत सही नहीं होने की वजह से उनके स्थान पर माता-पिता समारोह में पहुंचे और प्रशासन ने उन्हें उचित स्थान पर बिठाया, लेकिन जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के एक कर्मचारी ने उन्हें यह कहते हुए खड़ा कर दिया कि अभी तक आपके बेटे को शहीद का दर्जा नहीं मिला है. इसलिए आप यहां बैठने के हकदार नहीं हैं. सैनिक के माता-पिता रोते बिलखते समारोह से खड़े होकर घर आ गए.
जिले के रूपवास क्षेत्र के गांव बरौली ब्राह्मण निवासी सैनिक सौरभ कटारा के पिता नरेश कटारा ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से सौरभ कटारा की वीरांगना पूनम को स्वतंत्रता समारोह के लिए निमंत्रण मिला, लेकिन वीरांगना की तबीयत सही नहीं थी. ऐसे में सौरभ कटारा के पिता नरेश और माता समारोह में 15 अगस्त को सुबह 8 बजे भरतपुर पुलिस ग्राउंड पहुंच गए. प्रशासन के लोगों ने सौरभ कटारा की मां को वीरंगनाओं और शहीदों के परिजन वाली दीर्घा में बैठा दिया.
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पिता नरेश कटारा ने बताया कि तभी जिला सैनिक कल्याण बोर्ड का कोई कर्मचारी वहां आया और बोला कि आप यहां क्यों बैठे हो. आपको यहां बैठने का अधिकार नहीं है. आपके बेटे को अभी तक शहीद का दर्जा मिलने की कोई सूचना नहीं मिली है. ऐसा कहते हुए उस कर्मचारी ने वहां से खड़ा कर दिया. सैनिक सौरभ कटारा के माता-पिता आंखों में आसूं लिए कार्यक्रम से खड़े होकर घर आ गए.
बेटा भी गया, सम्मान भी गया : पिता नरेश कटारा ने कहा कि उनके बेटा सौरभ ने देश के लिए प्राण दिए, लेकिन अभी तक उसको शहीद का दर्जा नहीं दिया गया. अब परिजनों को सम्मान मिलने के बजाय अपमान भी झेलना पड़ रहा है.
13 दिन की सुहागिन : गौरतलब है कि जिले के रूपवास क्षेत्र के बरौली ब्राह्मण गांव निवासी सौरभ कटारा की 8 दिसंबर 2019 को पूनम के साथ शादी हुई थी. उसके तीन दिन बाद ही वो ड्यूटी पर चला गया. सौरभ कटारा जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा इलाके में हुए बम विस्फोट में घायल हो गया और 24 दिसंबर 2019 को उपचार के दौरान सेना के अस्पताल में उसकी मौत हो गई. शादी के सिर्फ 16 दिन बाद ही सौरभ कटारा ने देश के लिए प्राण न्योछावर कर दिए थे. तब से अब तक शहीद सौरभ के पूर्व सैनिक पिता, माता और वीरांगना शहादत के सम्मान के लिए सरकार व नेताओं के आगे पीछे चक्कर काट रहे हैं. बुजुर्गावस्था में पिता नरेश कटारा अपने बेटे के सम्मान के लिए दर-दर भटक रहे हैं. रो-रोकर पिता नरेश कटारा की एक आंख की रोशनी भी धुंधली पड़ गई है. उधर वीरांगना पूनम का तो मानो संसार ही उजड़ गया है.
अधिकारियों ने क्या कहा ? : भरतपुर के जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल मुदित शर्मा ने बताया कि सैनिक सौरभ कटारा को शहीद का दर्जा नहीं मिला है. उनके परिजनों को भले ही प्रशासन ने निमंत्रण दिया होगा, लेकिन हमारे यहां उनको शहीद नहीं माना गया है. इस संबंध में जब एडीएम प्रशासन रतन कुमार स्वामी से बात की तो उन्होंने कहा कि यदि इस तरह का घटनाक्रम हुआ है तो उसकी जांच करा लेते हैं और जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के कर्मचारियों को पाबंद कर दिया जाएगा. यदि प्रशासन ने सैनिक के परिजनों को सम्मान पूर्वक बुलाया था तो उनके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं होना चाहिए था. उनको पूरा सम्मान मिलना चाहिए था.