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खुदाई में मिली प्राचीन मूर्तियों की हुई पहचान, हजार वर्ष पुरानी निकलीं मूर्तियां, पहली बार भरतपुर में मिली भगवान लकुलीश की प्रतिमा

भरतपुर में खुदाई के दौरान मिली दोनों प्राचीन मूर्तियों की (Statue of Lord Lakulish found in Bharatpur) पहचान कर ली गई है. जिसमें से एक भगवान लकुलीश की प्रतिमा बताई जा रही है तो दूसरी शिवलिंग कहा जा रहा है. साथ ही बताया गया कि ये दोनों ही मूर्तियां करीब एक हजार साल पुरानी है.

ancient idols found in Bharatpur
ancient idols found in Bharatpur
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Published : Dec 31, 2022, 7:01 PM IST

भरतपुर. जिले के कामां कस्बे में तीर्थराज विमल कुंड (ancient idols found in Bharatpur) स्थित चामड़ माता मंदिर के पास हुई खुदाई में दो प्राचीन मूर्तियां निकली थीं. जिसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन अब पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने दोनों मूर्तियों की पहचान कर सभी कयासों पर विराम लगा दिया है. वहीं, इन मूर्तियों को देखने के लिए कस्बे में लोगों का तांता लगा रहा. खुदाई में मिली दोनों मूर्तियों में से एक की पहचान भगवान लकुलीश के रूप में हुई है तो दूसरी शिवलिंग बताई जा रही है.

पुरातत्व व संग्रहालय विभाग के संभागीय अधीक्षक नीरज त्रिपाठी ने बताया कि दोनों मूर्तियों की पहचान कर ली गई है. दोनों मूर्तियां प्राचीन होने के साथ ही करीब एक हजार वर्ष (Identification of ancient idols found in Bharatpur) पुरानी हैं. हालांकि, ऐसी मूर्तियां कामां क्षेत्र में इससे पहले भी मिली हैं. जिन्हें अजमेर म्यूजियम में सुरक्षित रखवा गया है. वहीं, चामड़ माता मंदिर के पास खुदाई में मिली दोनों मूर्तियों में से एक को द्वारपाल बताया जा रहा था, जो पाशुपत सम्प्रदाय के प्रवर्तक भगवान शिव के अवतार भगवान लकुलीश की है.

इसे भी पढ़ें - हाईवे के बीच पड़ रहे प्राचीन हनुमान मंदिर को जैक की मदद से खिसकाया

भगवान लकुलीश शैव परंपरा में हठ योग और तंत्र के प्रतीक माने जाते हैं. जिनकी ऐसी मूर्ति भरतपुर जिले में पहली बार मिली है. साथ ही दूसरी मूर्ति शिवलिंग है. उन्होंने बताया कि इसी प्रकार की मूर्तियां पहले भी कामां में मिली हैं. जिनके ऊपर लिंग का स्वरूप बना हुआ है. अनुमान लगाया जाता है कि जिस जगह पर (idols found one thousand years old) खुदाई के दौरान ये मूर्तियां मिली हैं, उस स्थान पर पहले शिव मंदिर था. जहां से अभी और कई मूर्तियां मिलने की उम्मीद है. ऐसे में जांच-पड़ताल के लिए जयपुर से टीम बुलाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है. इसके अलावा खुदाई में मिली दोनों मूर्तियों को भरतपुर म्यूजियम में रखवाया जाएगा.

पहली बार मिली भगवान लकुलीश की मूर्ति: भगवान लकुलीश की मूर्तियां गुजरात, पूर्वी और दक्षिण भारत में मिलती है. राजस्थान में मेवाड़ और झालावाड़ में भी मिली है. लेकिन भरतपुर के समीपवर्ती मथुरा में गुप्तकालीन स्तंभ पर भी लकुलीश के प्रमाण मिले हैं. जिससे ब्रज क्षेत्र में पाशुपत सम्प्रदाय की उपस्थिति प्रमाणित होती है. इसके साथ ही शिवलिंग के चारों ओर त्रिदेव सहित देवताओं का अंकन लिंग महात्म्य को दर्शाता है, जो सनातन परम्परा में शिवलिंग की सर्वोच्चता को इंगित करता है. ब्रज क्षेत्र में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिर को विध्वंस करने के पश्चात शेष बचे अवशेषों को खंडित कर दिया था, जो अब खुदाई में मिल रहे हैं.

जयपुर से पहुंचेगी टीम: उत्खनन अधिकारी की टीम को जयपुर से कामां बुलाया जा रहा है, जो टीले की खुदाई के स्थान की जांच पड़ताल करेंगे. साथ ही पता लगाएंगे कि वहां और मूर्तियां के अवशेष कहां हैं. ये प्राचीन मंदिर की मूर्तियां हैं. जिसकी पूरी जानकारी जुटाने की दिशा में काम किया जा रहा है.

भरतपुर. जिले के कामां कस्बे में तीर्थराज विमल कुंड (ancient idols found in Bharatpur) स्थित चामड़ माता मंदिर के पास हुई खुदाई में दो प्राचीन मूर्तियां निकली थीं. जिसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन अब पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने दोनों मूर्तियों की पहचान कर सभी कयासों पर विराम लगा दिया है. वहीं, इन मूर्तियों को देखने के लिए कस्बे में लोगों का तांता लगा रहा. खुदाई में मिली दोनों मूर्तियों में से एक की पहचान भगवान लकुलीश के रूप में हुई है तो दूसरी शिवलिंग बताई जा रही है.

पुरातत्व व संग्रहालय विभाग के संभागीय अधीक्षक नीरज त्रिपाठी ने बताया कि दोनों मूर्तियों की पहचान कर ली गई है. दोनों मूर्तियां प्राचीन होने के साथ ही करीब एक हजार वर्ष (Identification of ancient idols found in Bharatpur) पुरानी हैं. हालांकि, ऐसी मूर्तियां कामां क्षेत्र में इससे पहले भी मिली हैं. जिन्हें अजमेर म्यूजियम में सुरक्षित रखवा गया है. वहीं, चामड़ माता मंदिर के पास खुदाई में मिली दोनों मूर्तियों में से एक को द्वारपाल बताया जा रहा था, जो पाशुपत सम्प्रदाय के प्रवर्तक भगवान शिव के अवतार भगवान लकुलीश की है.

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भगवान लकुलीश शैव परंपरा में हठ योग और तंत्र के प्रतीक माने जाते हैं. जिनकी ऐसी मूर्ति भरतपुर जिले में पहली बार मिली है. साथ ही दूसरी मूर्ति शिवलिंग है. उन्होंने बताया कि इसी प्रकार की मूर्तियां पहले भी कामां में मिली हैं. जिनके ऊपर लिंग का स्वरूप बना हुआ है. अनुमान लगाया जाता है कि जिस जगह पर (idols found one thousand years old) खुदाई के दौरान ये मूर्तियां मिली हैं, उस स्थान पर पहले शिव मंदिर था. जहां से अभी और कई मूर्तियां मिलने की उम्मीद है. ऐसे में जांच-पड़ताल के लिए जयपुर से टीम बुलाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है. इसके अलावा खुदाई में मिली दोनों मूर्तियों को भरतपुर म्यूजियम में रखवाया जाएगा.

पहली बार मिली भगवान लकुलीश की मूर्ति: भगवान लकुलीश की मूर्तियां गुजरात, पूर्वी और दक्षिण भारत में मिलती है. राजस्थान में मेवाड़ और झालावाड़ में भी मिली है. लेकिन भरतपुर के समीपवर्ती मथुरा में गुप्तकालीन स्तंभ पर भी लकुलीश के प्रमाण मिले हैं. जिससे ब्रज क्षेत्र में पाशुपत सम्प्रदाय की उपस्थिति प्रमाणित होती है. इसके साथ ही शिवलिंग के चारों ओर त्रिदेव सहित देवताओं का अंकन लिंग महात्म्य को दर्शाता है, जो सनातन परम्परा में शिवलिंग की सर्वोच्चता को इंगित करता है. ब्रज क्षेत्र में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिर को विध्वंस करने के पश्चात शेष बचे अवशेषों को खंडित कर दिया था, जो अब खुदाई में मिल रहे हैं.

जयपुर से पहुंचेगी टीम: उत्खनन अधिकारी की टीम को जयपुर से कामां बुलाया जा रहा है, जो टीले की खुदाई के स्थान की जांच पड़ताल करेंगे. साथ ही पता लगाएंगे कि वहां और मूर्तियां के अवशेष कहां हैं. ये प्राचीन मंदिर की मूर्तियां हैं. जिसकी पूरी जानकारी जुटाने की दिशा में काम किया जा रहा है.

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