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ग्लैंडर नामक लाईलाज बीमारी से ग्रस्त एक और घोड़ी को इंजेक्शन लगाकर दी मौत

भरतपुर के नगर में लाईलाज बीमारी से ग्रसित एक और घोड़ी को पशुपालन विभाग द्वारा इंजेक्शन लगाकर मौत की नींद सुला दिया गया. इससे पहले विभाग ने एक घोड़ी को इंजेक्शन से मौत दी थी.

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Published : Jun 8, 2019, 9:37 PM IST

ग्लेंडर नामक लाईलाज बीमारी से ग्रसित घोड़ी

नगर(भरतपुर). जिले के नगर तहसील के गहनकर गांव मे ग्लैंडर नामक लाइलाज बीमारी से ग्रस्त दो घोड़ियों के मामले में पशुपालन विभाग की ओर से शनिवार को दूसरी धोड़ी को भी इंजेक्शन लगाकर मार दिया गया.

पशु चिकित्सा अधिकारी तेज सिंह रीठा बताया की पशुपालन विभाग के निदेशक नागेश चौधरी के निर्देशन पर पशुपालन विभाग की टीम गहनकर गांव पहुंची. जहां उन्होंने पशुपालक शिब्बा पुत्र झम्मन को ग्लैंडर नामक लाइलाज बीमारी को लेकर समझाइश की. पीड़ित घोड़ी को मारने संबंधी कानून संबंधी बातों से अवगत कराकर काफी समझाइश के बाद पशुपालक ने घोड़ी को मारने का सहमति पत्र दिया.

ग्लेंडर नामक लाईलाज बीमारी से ग्रसित घोड़ी

उसके बाद घोड़ी को इंजेक्शन लगाकर मौत दी गई. बता दें कि 31 मई को गांव गहनकर में जांच के दौरान पशुपालक बिरमा और शिब्बा की घोड़ी के ग्लेंडर नामक लाइलाज रोग से पीड़ित होने की जानकारी मिली. इसके बाद 4 जून को पशुपालन विभाग की टीम ने गांव पहुचकर पशुपालक विरमा से सहमति पत्र लेकर उसकी घोड़ी को मौत देने के बाद गहरा गड्ढा खुदवाकर घोड़ी को दफना दिया, लेकिन टीम के गांव पहुंचने से पहले ही पशुपालक शिवा उस दिन अपनी घोड़ी लेकर गांव से फरार हो गया. जिसे पशुपालन विभाग की टीम ने गांव पहुचकर उसे समझाइश कर उसकी घोड़ी को मृत कर दफना दिया.

नगर(भरतपुर). जिले के नगर तहसील के गहनकर गांव मे ग्लैंडर नामक लाइलाज बीमारी से ग्रस्त दो घोड़ियों के मामले में पशुपालन विभाग की ओर से शनिवार को दूसरी धोड़ी को भी इंजेक्शन लगाकर मार दिया गया.

पशु चिकित्सा अधिकारी तेज सिंह रीठा बताया की पशुपालन विभाग के निदेशक नागेश चौधरी के निर्देशन पर पशुपालन विभाग की टीम गहनकर गांव पहुंची. जहां उन्होंने पशुपालक शिब्बा पुत्र झम्मन को ग्लैंडर नामक लाइलाज बीमारी को लेकर समझाइश की. पीड़ित घोड़ी को मारने संबंधी कानून संबंधी बातों से अवगत कराकर काफी समझाइश के बाद पशुपालक ने घोड़ी को मारने का सहमति पत्र दिया.

ग्लेंडर नामक लाईलाज बीमारी से ग्रसित घोड़ी

उसके बाद घोड़ी को इंजेक्शन लगाकर मौत दी गई. बता दें कि 31 मई को गांव गहनकर में जांच के दौरान पशुपालक बिरमा और शिब्बा की घोड़ी के ग्लेंडर नामक लाइलाज रोग से पीड़ित होने की जानकारी मिली. इसके बाद 4 जून को पशुपालन विभाग की टीम ने गांव पहुचकर पशुपालक विरमा से सहमति पत्र लेकर उसकी घोड़ी को मौत देने के बाद गहरा गड्ढा खुदवाकर घोड़ी को दफना दिया, लेकिन टीम के गांव पहुंचने से पहले ही पशुपालक शिवा उस दिन अपनी घोड़ी लेकर गांव से फरार हो गया. जिसे पशुपालन विभाग की टीम ने गांव पहुचकर उसे समझाइश कर उसकी घोड़ी को मृत कर दफना दिया.

Intro:नगर(भरतपुर):तहसील के गांव गहनकर में ग्लैंडर नामक लाइलाज बीमारी से ग्रस्त दो घोड़ियों के मामले में पशुपालन विभाग के की ओर से दूसरी घोड़ी को भी बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर मारकर दफनाया गया.पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर तेज सिंह रीठा बताया की पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ नागेश चौधरी के निर्देशन पर पशुपालन विभाग की टीम गांव गहनकर पहुंची जहां उन्होंने पशुपालक शिब्बा पुत्र झम्मन को ग्लैंडर नामक लाइलाज बीमारी को लेकर समझाइश कर पीड़ित घोड़ी को मारने संबंधी कानून संबंधी बातों से अवगत करा काफी समझाइश के बाद पशुपालक ने सहमति पत्र दिया.उसके बाद घोड़ी को इंजेक्शन लगाकर मौत दी गई. आपको बता दें कि 31 मई को गांव गहनकर में जांच के दौरान पशुपालक बिरमा व शिब्बा की घोड़ी के ग्लेंडर नामक रोग से पीड़ित होने की जानकारी मिली. इसके बाद 4 जून को पशुपालन विभाग की टीम ने गांव पहुचकर पशुपालक विरमा से सहमति पत्र लेकर उसकी घोड़ी को मौत देने के बाद गहरा गड्ढा खुदवाकर मृत पशु को दफना दिया गया.लेकिन टीम के गांव पहुंचने से पहले ही पशुपालक शिवा उस दिन अपनी जोड़ी को लेकर गांव से फरार हो गया.जिसे पशुपालन विभाग की टीम ने गांव पहुचकर उसे समझाइश कर उसकी घोड़ी को मृत कर दफना दिया।Body:पशुपालन विभाग ने ग्लेंडर नामक लाईलाज बीमारी से ग्रस्त एक और घोड़ी मारकर गड्ढे में दफनाया।Conclusion:
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