भरतपुर. देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाले रणथंभौर टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों का कुनबा बढ़ रहा है. यहां के बाघ न केवल रणथंभौर टाइगर रिजर्व को बल्कि अन्य टाइगर रिजर्व को भी आबाद कर रहे हैं. खुशी की बात तो यह है कि पूरे देश के किसी टाइगर रिजर्व में बाघों की सर्वाइवल रेशियो 40% से अधिक नहीं है, लेकिन रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों की सर्वाइवल रेशियो 70% है. इससे साफ पता चलता है कि (Tiger Survival Ratio in Ranthambore) रणथंभौर का जंगल और हैबिटाट बाघों के लिए बहुत ही अनुकूल साबित हो रहा है.
हैबिटाट पर्याप्त : रणथंभौर टाइगर रिजर्व के डीएफओ संग्राम सिंह ने बताया कि यहां पर बाघों के लिए (Fertility Rate of Ranthambore Tiger Reserve) पर्याप्त मात्रा में हैबिटाट उपलब्ध है, जिसकी वजह से बाघों की प्रजनन दर काफी अच्छी है. साथ ही यहां की सर्वाइवल रेशियो भी 70% है, जो कि अन्य किसी टाइगर रिजर्व की नहीं है. उन्होंने बताया कि कहीं पर भी बाघों की सर्वाइवल रेशियो 40% से अधिक नहीं है.
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तीन साल में 44 शावक जन्मे : डीएफओ संग्राम सिंह ने बताया कि वर्तमान में रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 23 नर, 30 मादा और 22 शावक हैं. यानि कुल 75 बाघ यहां मौजूद हैं. बीते 3 सालों में यहां पर बाघों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी. यहां बाघों की संख्या वर्ष 2019 में 66, 2020 में 68 और 2021 में 81 पहुंच गई. रणथंभौर टाइगर रिजर्व में फिलहाल अधिकतर बाघिनें प्रजनन आयु में हैं, जिसकी वजह से शावकों के जन्म में वृद्धि हुई है. वन विभाग के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2019 से 2021 के दौरान यहां 44 शावकों का जन्म हुआ.
4 टाइगर रिजर्व को किया आबाद : डीएफओ संग्राम सिंह ने बताया कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व से बीते दिनों में कई बाघों को दूसरे टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया. यहां तक कि बीते तीन माह में तीन बाघों को अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया है. जबकि उससे पहले टी 110 समेत कुल 18 बाघों को 4 अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा चुका है. इनमें सरिस्का में 10, मुकुंदरा में 6, रामगढ़ विषधारी और सज्जनगढ़ में एक एक टाइगर को शिफ्ट किया गया.