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Ganesh Chaturthi 2023 : 500 वर्ष प्राचीन बरगद के पेड़ की जटाओं में प्रकट हुए गणेश जी, जटेश्वर के नाम से प्रचलित

Ganesh Chaturthi 2023, भरतपुर में गणेश जी का अनूठा मंदिर स्थित है, जिसे जटेश्वर गणेश जी के नाम से जाना जाता है. जटा रूप में विराजित गणेश जी के प्रती श्रद्धालुओं की असीम आस्था है.

Ganesh Chaturthi 2023
Ganesh Chaturthi 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 19, 2023, 3:36 PM IST

500 वर्ष प्राचीन बरगद के पेड़ की जटाओं में प्रकट हुए गणेश जी.

भरतपुर. गणेश चतुर्थी के अवसर पर श्रद्धालु अलग-अलग मंदिरों में जाकर गणपति की पूजा अर्चना कर रहे हैं. इस बीच हम आपको भरतपुर में स्थित भगवान गणेश के ऐसे अदभुत मंदिर के बारे मेंं बता रहे हैं, जिसे जटेश्वर गणेश जी के नाम से जाना जाता है. शहर के काली बगीची मंदिर में करीब 500 वर्ष प्राचीन बरगद का पेड़ है, जिसकी जटाओं में से एक जटा में स्वतः ही गणेश जी की आकृति उभरी हुई है. जटा रूप में विराजित गणेश जी के प्रती श्रद्धालुओं की असीम आस्था है.

जटेश्वर गणेश जी के नाम से प्रचलित : मंदिर के पुजारी सुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि काली मां के मंदिर परिसर में करीब 500 वर्ष प्राचीन बरगद का पेड़ है. इसमें कई जटाएं निकली हुई हैं. इन्हीं में से एक जटा का स्वरूप गणेश जी के मुख के समान है. इस जटा स्वरूप में विराजमान गणेश जी को चोला भी चढ़ाया जाता है. यहां कई दशक से जटेश्वर गणेश जी की पूजा की जा रही है.

Ganesh Chaturthi 2023
जटा में स्वतः ही गणेश जी का आकार उभरा हुआ है.

पढ़ें. Special : छोटी काशी में कहीं बिना सूंड के, तो कहीं सर्पों का बंधेज धारण किए हैं गणपति

सजीव रूप में विराजित गणेश जी : श्रद्धालु निर्जला जायसवाल ने बताया कि वो करीब 50 साल से हर दिन जटेश्वर गणेश जी की पूजा करने आती हैं. मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करने आते हैं. पुजारी सुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि पेड़ पौधों को सजीव माना जाता है, इसलिए बरगद की जड़ में गणेश जी विराजमान हैं. मान्यता है कि जटेश्वर गणेश जी सजीव रूप में यहां पर विराजित हैं.

500 वर्ष प्राचीन बरगद के पेड़ की जटाओं में प्रकट हुए गणेश जी.

भरतपुर. गणेश चतुर्थी के अवसर पर श्रद्धालु अलग-अलग मंदिरों में जाकर गणपति की पूजा अर्चना कर रहे हैं. इस बीच हम आपको भरतपुर में स्थित भगवान गणेश के ऐसे अदभुत मंदिर के बारे मेंं बता रहे हैं, जिसे जटेश्वर गणेश जी के नाम से जाना जाता है. शहर के काली बगीची मंदिर में करीब 500 वर्ष प्राचीन बरगद का पेड़ है, जिसकी जटाओं में से एक जटा में स्वतः ही गणेश जी की आकृति उभरी हुई है. जटा रूप में विराजित गणेश जी के प्रती श्रद्धालुओं की असीम आस्था है.

जटेश्वर गणेश जी के नाम से प्रचलित : मंदिर के पुजारी सुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि काली मां के मंदिर परिसर में करीब 500 वर्ष प्राचीन बरगद का पेड़ है. इसमें कई जटाएं निकली हुई हैं. इन्हीं में से एक जटा का स्वरूप गणेश जी के मुख के समान है. इस जटा स्वरूप में विराजमान गणेश जी को चोला भी चढ़ाया जाता है. यहां कई दशक से जटेश्वर गणेश जी की पूजा की जा रही है.

Ganesh Chaturthi 2023
जटा में स्वतः ही गणेश जी का आकार उभरा हुआ है.

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सजीव रूप में विराजित गणेश जी : श्रद्धालु निर्जला जायसवाल ने बताया कि वो करीब 50 साल से हर दिन जटेश्वर गणेश जी की पूजा करने आती हैं. मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करने आते हैं. पुजारी सुभाष चंद्र शर्मा ने बताया कि पेड़ पौधों को सजीव माना जाता है, इसलिए बरगद की जड़ में गणेश जी विराजमान हैं. मान्यता है कि जटेश्वर गणेश जी सजीव रूप में यहां पर विराजित हैं.

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