भरतपुर. जिले के कुम्हेर गेट स्थित जिस भूखंड पर एक साल पहले अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी. उसी भूखंड पर रातों-रात दो दुकानों का निर्माण हो गया. सीएफसीडी के एरिया में दुकानों के निर्माण की शिकायत नगर निगम, नगर सुधार न्यास, सिंचाई विभाग और जिला कलेक्टर के पास भी पहुंची. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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जानकारी के अनुसार तत्कालीन जिला कलेक्टर संदेश नायक के कार्यकाल में सीएफसीडी एरिया में आ रहे 339 अतिक्रमणों को हटाने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद पिछले साल जून में बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाए गए थे. इनमें से कुम्हेर गेट का 15/2 भूखंड भी था, जो कि वर्ष 2012 में न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार मेयर के भाई किशनसिंह के नाम से था. बाद में भूखंड किसी को बेच दिया गया था.
2014 में इसी भूखंड का वयनामा रजिस्टर्ड कर दिया गया. इसमें नजूल की भूमि का आवंटन करने में गड़बड़ी का मामला सामने आया था. हालांकि अब रात के समय संबंधित भूखंड पर दो दुकानों का निर्माण कर लिया गया. इस मामले की शिकायत खुद नगर निगम के ही कर्मचारियों ने आयुक्त को दी. इस पर आयुक्त ने कर्मचारियों को मौके पर भेजने का दावा किया. लेकिन कोई भी कर्मचारी जांच करने के लिए मौके पर नहीं पहुंचा. इतना ही नहीं कुछ समय पहले इन दुकानों की नींव भरते समय भी शिकायत पहुंचने पर नगर निगम की टीम ने काम बंद कराया था. लेकिन यह पाबंदी भी रसूखदारों के प्रभाव के कारण ज्यादा दिन नहीं रुक सकी.
अवकाश वाले दिन ही होता है अतिक्रमण
शहर में जितने भी अतिक्रमणों के मामले सामने आते हैं, उनमें सबसे खास बात यह रहती है कि उस दिन शनिवार या रविवार के अलावा कोई न कोई अवकाश घोषित होता है. ताकि अधिकारी मुख्यालय से बाहर हों और कोई कार्रवाई भी नहीं हो सके. यही कारण है कि शहर में आज भी नगर निगम यह आंकलन तक नहीं कर सका है कि सीएफसीडी और खुद नगर निगम की कितनी ही जमीनों पर मकान-दुकान बन गए. क्योंकि आज तक नगर निगम का ही संपत्ति रजिस्टर संधारित नहीं हो सका. खुद नगर निगम को ही अपनी जमीनों के बारे में पता नहीं है.
इस पर आयुक्त ने कहा कि कि सीएसआई को मौके पर भेजा सुबह नगर निगम के कर्मचारियों ने फोन पर इस मामले के बारे में बताया था. इस पर सीएसआई को मौके पर भेजकर संबंधित जिम्मेदार से दस्तावेज पेश करने को कहा है. अगर सीएफसीडी एरिया में अतिक्रमण किया है तो उसे हटाया भी जा सकता है.