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भरतपुर में अतिक्रमण से खाली कराई गई जमीन पर रातों-रात दुकानों का निर्माण

भरतपुर में पिछले साल अतिक्रमण से खाली कराई गई जमीन पर रातों-रात कब्जा कर दो दुकानों का निर्माण हो गया. इस पर नगर निगम और जिला कलेक्टर तक शिकायत पहुंची लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

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Published : Sep 9, 2019, 7:49 PM IST

Encroachment in Bharatpur, भरतपुर न्यूज

भरतपुर. जिले के कुम्हेर गेट स्थित जिस भूखंड पर एक साल पहले अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी. उसी भूखंड पर रातों-रात दो दुकानों का निर्माण हो गया. सीएफसीडी के एरिया में दुकानों के निर्माण की शिकायत नगर निगम, नगर सुधार न्यास, सिंचाई विभाग और जिला कलेक्टर के पास भी पहुंची. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पढें- पाली: नदी के तेज बहाव में बही महिला, 5 किमी दूर मिला शव

जानकारी के अनुसार तत्कालीन जिला कलेक्टर संदेश नायक के कार्यकाल में सीएफसीडी एरिया में आ रहे 339 अतिक्रमणों को हटाने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद पिछले साल जून में बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाए गए थे. इनमें से कुम्हेर गेट का 15/2 भूखंड भी था, जो कि वर्ष 2012 में न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार मेयर के भाई किशनसिंह के नाम से था. बाद में भूखंड किसी को बेच दिया गया था.

भरतपुर में रातों-रात अतिक्रमण कर किया दुकान का निर्माण

2014 में इसी भूखंड का वयनामा रजिस्टर्ड कर दिया गया. इसमें नजूल की भूमि का आवंटन करने में गड़बड़ी का मामला सामने आया था. हालांकि अब रात के समय संबंधित भूखंड पर दो दुकानों का निर्माण कर लिया गया. इस मामले की शिकायत खुद नगर निगम के ही कर्मचारियों ने आयुक्त को दी. इस पर आयुक्त ने कर्मचारियों को मौके पर भेजने का दावा किया. लेकिन कोई भी कर्मचारी जांच करने के लिए मौके पर नहीं पहुंचा. इतना ही नहीं कुछ समय पहले इन दुकानों की नींव भरते समय भी शिकायत पहुंचने पर नगर निगम की टीम ने काम बंद कराया था. लेकिन यह पाबंदी भी रसूखदारों के प्रभाव के कारण ज्यादा दिन नहीं रुक सकी.

अवकाश वाले दिन ही होता है अतिक्रमण

शहर में जितने भी अतिक्रमणों के मामले सामने आते हैं, उनमें सबसे खास बात यह रहती है कि उस दिन शनिवार या रविवार के अलावा कोई न कोई अवकाश घोषित होता है. ताकि अधिकारी मुख्यालय से बाहर हों और कोई कार्रवाई भी नहीं हो सके. यही कारण है कि शहर में आज भी नगर निगम यह आंकलन तक नहीं कर सका है कि सीएफसीडी और खुद नगर निगम की कितनी ही जमीनों पर मकान-दुकान बन गए. क्योंकि आज तक नगर निगम का ही संपत्ति रजिस्टर संधारित नहीं हो सका. खुद नगर निगम को ही अपनी जमीनों के बारे में पता नहीं है.

इस पर आयुक्त ने कहा कि कि सीएसआई को मौके पर भेजा सुबह नगर निगम के कर्मचारियों ने फोन पर इस मामले के बारे में बताया था. इस पर सीएसआई को मौके पर भेजकर संबंधित जिम्मेदार से दस्तावेज पेश करने को कहा है. अगर सीएफसीडी एरिया में अतिक्रमण किया है तो उसे हटाया भी जा सकता है.

भरतपुर. जिले के कुम्हेर गेट स्थित जिस भूखंड पर एक साल पहले अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी. उसी भूखंड पर रातों-रात दो दुकानों का निर्माण हो गया. सीएफसीडी के एरिया में दुकानों के निर्माण की शिकायत नगर निगम, नगर सुधार न्यास, सिंचाई विभाग और जिला कलेक्टर के पास भी पहुंची. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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जानकारी के अनुसार तत्कालीन जिला कलेक्टर संदेश नायक के कार्यकाल में सीएफसीडी एरिया में आ रहे 339 अतिक्रमणों को हटाने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद पिछले साल जून में बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाए गए थे. इनमें से कुम्हेर गेट का 15/2 भूखंड भी था, जो कि वर्ष 2012 में न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार मेयर के भाई किशनसिंह के नाम से था. बाद में भूखंड किसी को बेच दिया गया था.

भरतपुर में रातों-रात अतिक्रमण कर किया दुकान का निर्माण

2014 में इसी भूखंड का वयनामा रजिस्टर्ड कर दिया गया. इसमें नजूल की भूमि का आवंटन करने में गड़बड़ी का मामला सामने आया था. हालांकि अब रात के समय संबंधित भूखंड पर दो दुकानों का निर्माण कर लिया गया. इस मामले की शिकायत खुद नगर निगम के ही कर्मचारियों ने आयुक्त को दी. इस पर आयुक्त ने कर्मचारियों को मौके पर भेजने का दावा किया. लेकिन कोई भी कर्मचारी जांच करने के लिए मौके पर नहीं पहुंचा. इतना ही नहीं कुछ समय पहले इन दुकानों की नींव भरते समय भी शिकायत पहुंचने पर नगर निगम की टीम ने काम बंद कराया था. लेकिन यह पाबंदी भी रसूखदारों के प्रभाव के कारण ज्यादा दिन नहीं रुक सकी.

अवकाश वाले दिन ही होता है अतिक्रमण

शहर में जितने भी अतिक्रमणों के मामले सामने आते हैं, उनमें सबसे खास बात यह रहती है कि उस दिन शनिवार या रविवार के अलावा कोई न कोई अवकाश घोषित होता है. ताकि अधिकारी मुख्यालय से बाहर हों और कोई कार्रवाई भी नहीं हो सके. यही कारण है कि शहर में आज भी नगर निगम यह आंकलन तक नहीं कर सका है कि सीएफसीडी और खुद नगर निगम की कितनी ही जमीनों पर मकान-दुकान बन गए. क्योंकि आज तक नगर निगम का ही संपत्ति रजिस्टर संधारित नहीं हो सका. खुद नगर निगम को ही अपनी जमीनों के बारे में पता नहीं है.

इस पर आयुक्त ने कहा कि कि सीएसआई को मौके पर भेजा सुबह नगर निगम के कर्मचारियों ने फोन पर इस मामले के बारे में बताया था. इस पर सीएसआई को मौके पर भेजकर संबंधित जिम्मेदार से दस्तावेज पेश करने को कहा है. अगर सीएफसीडी एरिया में अतिक्रमण किया है तो उसे हटाया भी जा सकता है.

Intro:भरतपुर -09-09-2019

Summery- अतिक्रमण हटाने के बाद के बाद फिर से बनी दुकानें, एक ही रात भर हुआ दुकानों का निर्माण, नगर निगम प्रशाशन करेगा, अवैध कब्जा करने करने वालो के खिलाफ होगी कार्रवाई।


एंकर - भरतपुर में पिछले दो साल नहीं बल्कि दशकों से शहर की सिटी फ्लड कंट्रोल ड्रेन (सीएफसीडी) के निर्माण का सपना संजोया जा रहा है... लेकिन यह जनता के सामने सिर्फ धोखा बना हुआ है... क्योंकि जिम्मेदार अफसर और जनप्रतिनिधियों की सह पर एक साल पूर्व के छोटे से प्रयास को ही अब असफल किया जा रहा है... कुम्हेर गेट स्थित जिस भूखंड पर एक साल पूर्व 27 जून 2018 को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी... उसी भूखंड पर एक ही रात में दुकानों का निर्माण कर लिया गया... आश्चर्य इस बात का है कि सीएफसीडी के एरिया में दुकानों के निर्माण की शिकायत नगर निगम, नगर सुधार न्यास, सिंचाई विभाग व जिला कलक्टर के पास भी पहुंच गई, लेकिन किसी ने कार्रवाई तो दूर की बात है यह तक जानना उचित नहीं समझा कि एक ही रात में किस अधिकारी या रसूखदार नेता के इशारे पर इन दुकानों का निर्माण किया गया है।
जानकारी के अनुसार तत्कालीन जिला कलक्टर संदेश नायक के कार्यकाल में सीएफसीडी एरिया में आ रहे 339 अतिक्रमणों को हटाने का निर्णय लिया गया था। जून माह 2018 में ही बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाए गए थे.... इनमें से कुम्हेर गेट का 15/2 भूखंड भी था, जो कि वर्ष 2012 में न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार मेयर के भाई किशनसिंह के नाम से थी... बाद में इसका विक्रय अन्य को कर दिया गया था। उस समय अतिक्रमण हटाने के दौरान यह विवाद भी उठा था कि 15/2 के भूखंड का आवंटन नगर निगम व प्रशासन ने वर्ष 2006 में ही कर दिया था, लेकिन आठ साल गुजरने के बाद वर्ष 2014 में इसी भूखंड का वयनामा रजिस्टर्ड कर दिया गया। इसमें नजूल की भूमि का आवंटन करने में गड़बड़ी का मामला सामने आया था। हालांकि अब रात के समय संबंधित भूखंड पर दो दुकानों को निर्माण कर लिया गया। इस मामले की शिकायत खुद नगर निगम के ही कर्मचारियों ने आयुक्त को दी। इस पर आयुक्त ने कर्मचारियों को मौके पर भेजने का दावा किया, लेकिन कोई भी कर्मचारी जांच करने के लिए मौके पर नहीं पहुंचा। इतना ही नहीं कुछ समय पहले इन दुकानों की नींव भरते समय भी शिकायत पहुंचने पर नगर निगम की टीम ने काम बंद कराया था, लेकिन यह पाबंदी भी रसूखदारों के प्रभाव के कारण ज्यादा दिन नहीं रुक सकी।
मतलब तय हो जाता है कि अवकाश के बीच होगा अतिक्रमण
शहर में जितने भी अतिक्रमणों के मामले सामने आते हैं, उनमें सबसे खास बात यह रहती है कि उस दिन शनिवार या रविवार के अलावा कोई न कोई अवकाश घोषित होता है। ताकि अधिकारी मुख्यालय से बाहर हों और कोई कार्रवाई भी नहीं हो सके। यही कारण है कि शहर में आज भी नगर निगम यह आंकलन तक नहीं कर सका है कि सीएफसीडी व खुद नगर निगम की कितनी ही जमीनों पर मकान-दुकान बन गए। क्योंकि आज तक नगर निगम का ही संपत्ति रजिस्टर संधारित नहीं हो सका। खुद नगर निगम को ही अपनी जमीनों के बारे में पता नहीं है।
आयुक्त बोले सीएसआई को मौके पर भेजा सुबह नगर निगम के कर्मचारियों ने फोन पर इस मामले के बारे में बताया था। इस पर सीएसआई को मौके पर भेजकर संबंधित जिम्मेदार से दस्तावेज पेश करने को कहा है। अगर सीएफसीडी एरिया में अतिक्रमण किया है तो उसे हटाया भी जा सकता है।
बाइट -मान सिंह मीणा ,आयुक्त नगर निगम भरतपुरBody:सीएफसीडी से एक साल पहले अतिक्रमण बता हटाया उसी जगह एक ही रात में बना दीं दो दुकानConclusion:
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