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Protest in Bharatpur : मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद भी नहीं बनी सहमति, जारी रहेगा सैनी आरक्षण आंदोलन

राजस्थान के भरतपुर में सैनी आरक्षण आंदोलन को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. मंगलवार को जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से वार्ता के बाद भी सहमति नहीं बन पाई है. ऐसे में यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा.

Protest in Bharatpur
जारी रहेगा सैनी आरक्षण आंदोलन
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Published : Apr 25, 2023, 9:29 PM IST

भरतपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सैनी समाज आरक्षण आंदोलन संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल की वार्ता के बाद भी आंदोलनकारी असहमत बने हुए हैं. मुख्यमंत्री के साथ हुई वार्ता के बाद आंदोलन स्थल पर लौटे संयोजक मुरारी लाल सैनी ने वार्ता के बिंदुओं के बारे में जानकारी दी, जिस पर आंदोलनकारियों ने स्पष्ट रूप से असहमति जता दी. 12 प्रतिशत आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने राजस्थान में सैनी समाज की ओबीसी की जातियों का सर्वे कराने के लिए केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखने का लिखित आश्वासन दिया है.

जबकि चिट्ठी में ना तो आंदोलनकारियों पर लगे मुकदमों पर कोई जिक्र किया गया, ना ही लव कुश कल्याण बोर्ड के गठन और ना ही लव-कुश छात्रावास पर कोई चर्चा हुई. साथ ही मंगलवार को आत्महत्या करने वाले मोहन सैनी के परिजनों के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से कोई घोषणा की गई. ऐसे में सैनी समाज ने आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया है. मीडिया प्रभारी डीके कुशवाहा ने बताया कि जयपुर से लौटकर धरना स्थल पर मुख्य सचिव बदन सिंह कुशवाहा ने आंदोलनकारियों को चिट्ठी पढ़कर सुनाई.

पढ़ें : सैनी आरक्षण मामला : CM अशोक गहलोत से हुई प्रतिनिधिमंडल की सकारात्मक वार्ता, खत्म हो सकता है आंदोलन

आंदोलन स्थल पर आत्महत्या करने वाले मोहन सैनी के परिजनों को उचित मुआवजा दिलाने और सरकारी नौकरी दिलाने की धरना स्थल से मुरारी लाल सैनी, शैलेंद्र सिंह कुशवाहा और बदन सिंह कुशवाहा ने आवाज उठाई. लेकिन मुख्यमंत्री के यहां वार्ता में इस घटना को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. संयोजक मुरारीलाल सैनी ने कहा कि शहीद मोहन सैनी के परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा, उसे शहीद का दर्जा दिलाने और एक सरकारी नौकरी दिलाने की मांग पूरी नहीं होने के चलते आंदोलन स्थगित नहीं किया गया है. इसलिए आंदोलन जारी रहेगा.

मुद्दे से भटकाना चाहती है सरकार : मीडिया प्रभारी डीके कुशवाहा का कहना है कि बिहार सरकार राज्यस्तरीय जातीय जनगणना करा सकती है तो राजस्थान सरकार क्यों नहीं ? जातीय जनगणना के लिए केंद्र सरकार एवं केंद्रीय ओबीसी आयोग को चिट्ठी लिखकर कुशवाहा, काछी, शाक्य, सैनी, माली समाज को मुद्दे से भटकाना चाहती है राजस्थान सरकार.

बोर्ड के नाम पर भ्रमित किया : मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद सैनी और कुशवाहा समाज के नेताओं में भी दो गुट नजर आ रहे हैं. सह संयोजक वासुदेव कुशवाहा ने कहा है कि यदि मुरारी लाल सैनी को वार्ता करनी थी तो सरकार के पहले बुलावे पर ही चले जाना चाहिए था. वार्ता में कोई निर्णय नहीं निकला, केवल जनता को परेशान किया है. कुशवाहा समाज को लव-कुश कल्याण बोर्ड के नाम पर भ्रमित किया गया, जबकि हमारी वार्ता पहले ही सरकार के साथ हो चुकी है.

अब ये हैं आंदोलनकारियों की मांग :

  1. सैनी, माली, कुशवाहा, काछी आदि समाज को 12% आरक्षण दिया जाए.
  2. अलग से लवकुश कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए.
  3. अलग से लवकुश छात्रावास का निर्माण कराया जाए.
  4. मृतक मोहन सैनी को शहीद का दर्जा देकर परिजनों को एक करोड़ की सहायता दी जाए.
  5. मृतक के एक परिजन को सरकारी नौकरी दी जाए.

गौरतलब है कि 21 अप्रैल से सैनी समाज आरक्षण आंदोलन समिति के नेतृत्व में जयपुर-आगरा हाईवे अरोदा गांव के पास चक्का जाम कर आंदोलन किया जा रहा है. आंदोलन की वजह से जयपुर-आगरा हाईवे के दोनों तरफ से आने वाले यातायात को डायवर्ट कर अलग-अलग रूप से निकाला जा रहा है, जबकि मालवाहक वाहन दोनों तरफ हाईवे पर फंसे हुए खड़े हैं.

भरतपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सैनी समाज आरक्षण आंदोलन संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल की वार्ता के बाद भी आंदोलनकारी असहमत बने हुए हैं. मुख्यमंत्री के साथ हुई वार्ता के बाद आंदोलन स्थल पर लौटे संयोजक मुरारी लाल सैनी ने वार्ता के बिंदुओं के बारे में जानकारी दी, जिस पर आंदोलनकारियों ने स्पष्ट रूप से असहमति जता दी. 12 प्रतिशत आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने राजस्थान में सैनी समाज की ओबीसी की जातियों का सर्वे कराने के लिए केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखने का लिखित आश्वासन दिया है.

जबकि चिट्ठी में ना तो आंदोलनकारियों पर लगे मुकदमों पर कोई जिक्र किया गया, ना ही लव कुश कल्याण बोर्ड के गठन और ना ही लव-कुश छात्रावास पर कोई चर्चा हुई. साथ ही मंगलवार को आत्महत्या करने वाले मोहन सैनी के परिजनों के लिए मुख्यमंत्री की तरफ से कोई घोषणा की गई. ऐसे में सैनी समाज ने आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया है. मीडिया प्रभारी डीके कुशवाहा ने बताया कि जयपुर से लौटकर धरना स्थल पर मुख्य सचिव बदन सिंह कुशवाहा ने आंदोलनकारियों को चिट्ठी पढ़कर सुनाई.

पढ़ें : सैनी आरक्षण मामला : CM अशोक गहलोत से हुई प्रतिनिधिमंडल की सकारात्मक वार्ता, खत्म हो सकता है आंदोलन

आंदोलन स्थल पर आत्महत्या करने वाले मोहन सैनी के परिजनों को उचित मुआवजा दिलाने और सरकारी नौकरी दिलाने की धरना स्थल से मुरारी लाल सैनी, शैलेंद्र सिंह कुशवाहा और बदन सिंह कुशवाहा ने आवाज उठाई. लेकिन मुख्यमंत्री के यहां वार्ता में इस घटना को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. संयोजक मुरारीलाल सैनी ने कहा कि शहीद मोहन सैनी के परिजनों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा, उसे शहीद का दर्जा दिलाने और एक सरकारी नौकरी दिलाने की मांग पूरी नहीं होने के चलते आंदोलन स्थगित नहीं किया गया है. इसलिए आंदोलन जारी रहेगा.

मुद्दे से भटकाना चाहती है सरकार : मीडिया प्रभारी डीके कुशवाहा का कहना है कि बिहार सरकार राज्यस्तरीय जातीय जनगणना करा सकती है तो राजस्थान सरकार क्यों नहीं ? जातीय जनगणना के लिए केंद्र सरकार एवं केंद्रीय ओबीसी आयोग को चिट्ठी लिखकर कुशवाहा, काछी, शाक्य, सैनी, माली समाज को मुद्दे से भटकाना चाहती है राजस्थान सरकार.

बोर्ड के नाम पर भ्रमित किया : मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद सैनी और कुशवाहा समाज के नेताओं में भी दो गुट नजर आ रहे हैं. सह संयोजक वासुदेव कुशवाहा ने कहा है कि यदि मुरारी लाल सैनी को वार्ता करनी थी तो सरकार के पहले बुलावे पर ही चले जाना चाहिए था. वार्ता में कोई निर्णय नहीं निकला, केवल जनता को परेशान किया है. कुशवाहा समाज को लव-कुश कल्याण बोर्ड के नाम पर भ्रमित किया गया, जबकि हमारी वार्ता पहले ही सरकार के साथ हो चुकी है.

अब ये हैं आंदोलनकारियों की मांग :

  1. सैनी, माली, कुशवाहा, काछी आदि समाज को 12% आरक्षण दिया जाए.
  2. अलग से लवकुश कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए.
  3. अलग से लवकुश छात्रावास का निर्माण कराया जाए.
  4. मृतक मोहन सैनी को शहीद का दर्जा देकर परिजनों को एक करोड़ की सहायता दी जाए.
  5. मृतक के एक परिजन को सरकारी नौकरी दी जाए.

गौरतलब है कि 21 अप्रैल से सैनी समाज आरक्षण आंदोलन समिति के नेतृत्व में जयपुर-आगरा हाईवे अरोदा गांव के पास चक्का जाम कर आंदोलन किया जा रहा है. आंदोलन की वजह से जयपुर-आगरा हाईवे के दोनों तरफ से आने वाले यातायात को डायवर्ट कर अलग-अलग रूप से निकाला जा रहा है, जबकि मालवाहक वाहन दोनों तरफ हाईवे पर फंसे हुए खड़े हैं.

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