भरतपुर. गाड़िया लोहार, बंजारा और नट समाज के लोग (Children of ghumantu caste in Bharatpur) घुमंतू प्रवृत्त के होते हैं, जो जीवन यापन के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान को हमेशा कूच करते रहते हैं. यही वजह है कि इन्हें घुमंतू जाति भी कहते हैं, लेकिन बड़ी विडंबना यह है कि आज आजादी के 75 साल बाद भी इस जाति समुदाय के लोग शिक्षा से महरूम हैं. लेकिन अब भरतपुर में एक संगठन और भामाशाहों की पहल से इस जाति समुदाय के बच्चों का जीवन संवरने लगा है. घुमंतू जाति के बच्चे न केवल स्कूल जा रहे हैं, बल्कि फर्राटेदार अंग्रेजी और संस्कृत भी बोलते हैं.
यूं हुई शुरुआत: भामाशाह गोविंद बताते हैं कि 2012 में गाड़िया लोहार, बंजारा और नट जाति के बच्चे स्कूल नहीं जाते थे. ऐसे में इन जातियों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की मुहिम शुरू की गई. शुरुआत में गाड़िया लोहार के बच्चों को किसी तरह से रंजीत नगर स्थित उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर और उद्यान मोहल्ला आदर्श विद्या मंदिर में दाखिला दिलाया गया. इसके बाद इन बच्चों को निशुल्क पढ़ाने की व्यवस्था की गई. पहले यहां गिनती में बच्चे आया करते थे, लेकिन आज यहां 80 से अधिक बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. यहां पढ़ने आने वाले बच्चों में घुमंतू जाति के बच्चों की संख्या सबसे अधिक है.
शिक्षा के साथ आवास की भी सुविधा: भामाशाह गोविंद ने बताया कि गाड़िया लोहार और घुमंतू जाति के कई परिवार ऐसे हैं, जो अपने बच्चों को छात्रावास में रखने पर सहमत थे. ऐसे में डाॅ. हेडगेवार स्मृति प्रन्यास (Dr Hedgewar Memorial Trust) की ओर से रनजीत नगर के स्कूल में महाराणा प्रताप छात्रावास शुरू किया गया, जहां स्कूल के बाद बच्चों के रहने और खाने की निशुल्क सुविधा की गई. फिलहाल इस छात्रावास में 23 बच्चे रहते हैं.
फर्राटेदार इंग्लिश बोलते हैं बच्चे: स्कूल में शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में रहने वाले गाड़िया लोहार के बच्चों के साथ ही कुम्हेर और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के भी कुछ बच्चे अध्ययनरत हैं. ये बच्चे अब सामान्य बच्चों की तरह ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इतना ही नहीं ये बच्चे अब हिंदी के साथ ही इंग्लिश और संस्कृत भी बोलते हैं.