भरतपुर. जिले के रारह का रहने वाले बीएसएफ के जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल ने वर्ष 2004 में जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. लेकिन उस समय जवान की शहादत को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया था. अब नियमों में बदलाव हुआ तो 18 साल बाद बीएसएफ के जवान वीरेंद्र कुंतल को शहीद का दर्जा दिया (BSF jawan Virendra Singh Kuntal got Martyr Status) गया. शुक्रवार को बीएसएफ के अधिकारी शहीद वीरेंद्र कुंतल के घर पहुंचे और उनकी वीरांगना को प्रमाण पत्र प्रदान किया.
जानकारी के अनुसार बीएसएफ के जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल 52 बीएसएफ बटालियन में जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में तैनात थे. 9 जून 2004 को रात के समय मस्जिद में आतंकवादी होने की सूचना मिली. बीएसएफ की यूनिट तुरंत मौके पर पहुंची। सर्च ऑपरेशन के दौरान मस्जिद में छुपे आतंकवादियों ने बीएसएफ के जवानों पर गोलीबारी शुरू कर दी. इस मुठभेड़ में जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल की मौत हो गई.
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जवान के घर में पत्नी सुमन देवी, एक बेटा और बेटी हैं. जिस समय जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल की आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान मौत हुई उस समय तक पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता था. लेकिन अब नियमों में बदलाव के बाद बीएसएफ के जवानों को भी शहीद का दर्जा दिया जाने लगा है. शुक्रवार को 178 बीएसएफ बटालियन के कमांडेंट मनोज कुमार भरतपुर स्थित जवान के घर पहुंचे. यहां पर वीरांगना सुमन देवी को जवान वीरेंद्र सिंह कुंतल के शहीद का प्रमाण पत्र दिया गया. कमांडेंट मनोज कुमार ने बताया कि अब शहीद वीरेंद्र सिंह कुंतल के परिवार को शहीद को दी जाने वाली सभी सुविधाएं और लाभ मिलेगा.