भरतपुर. लंबे समय तक मैराथन जुनून था, लेकिन आज से 5 साल पहले जिंदगी में साइकिल ने एंट्री ली. धीरे-धीरे साइकिल जिंदगी का हिस्सा बन गई. हर दिन सुबह जाग कर साइकिल उठाकर निकल जाते और घंटों साइकिल चलाते. अलग-अलग शहरों में साइकिल कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेते, लेकिन आज खुद ट्राइसाइकिल पर सवार हैं. शहर के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. जगवीर सिंह की जिंदगी में साइकिल एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी थी, लेकिन 2021 में एक भीषण दुर्घटना में वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए. इसके बाद डॉ. सिंह का जुनून रही साइकिल छूट गई. महीनों बेड पर पड़े रहे, लेकिन अब ट्राइसाइकिल ने उनके जीवन में एक नई आशा की किरण जगाई है. जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आई है.
साइकिल का जुनून - हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ जगवीर सिंह ने बताया कि 2018 में साइकिल को पूरी तरह से उन्होंने अपना लिया था. अल सुबह जागकर अपनी धर्मपत्नी प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजू सिंह के साथ साइकिल चलाने निकल जाते थे. किसी दिन 50 किलोमीटर तो किसी दिन 100 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर घर लौटते थे. उन्होंने बताया कि कभी वो लोगों को जागरूक करने के लिए तो कभी जुनून के लिए नए रास्ते पर निकल जाते थे. कई साइकिल कॉम्पिटिशन तक में हिस्सा लिए और जीते भी.
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छूट गई साइकिल - डॉ. जगवीर सिंह ने बताया कि साइकिल के साथ उनकी जिंदगी बहुत सुकून, सुखद और स्वस्थ गुजर रही थी. नवंबर 2021 में पुणे में एक साइकिल कॉम्पिटिशन था. पहाड़ की घुमावदार सड़क पर साइकिल दौड़ रही थी. पहाड़ के ढलान पर साइकिल ने स्पीड पकड़ ली और अनियंत्रित होकर बिजली के पोल से जा टकराई. भीषण दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई और कमर के नीचे का हिस्सा निष्क्रिय हो गया. पैर सुन्न पड़ गया और साइकिल छूट गई.
ट्राइसाइकिल को अपनाया - डॉ. जगवीर सिंह ने बताया कि अमेरिका में कई माह उपचार चला. घर वापसी हुई, लेकिन चोट की वजह से साइकिल छूट गई. बावजूद इसके हिम्मत नहीं हारी और इस बार पैर की बजाय हाथ से चलने वाली ट्राइसाइकिल को अपनाया. इसके लिए घर में ही करीब 130 मीटर का साइकिल ट्रैक तैयार करवाया. अब डॉ जगवीर हर दिन सुबह जागकर 5 किमी ट्राइसाइकिल चलाते हैं. इतना ही नहीं 2 किमी बैक ट्राइसाइकिल चलाते हैं. अब डॉ जगवीर सिंह की जिंदगी ट्राइसाइकिल और हौसले के दम पर फिर से पटरी पर लौटने लगी है.
नवंबर 2023 तक पैरों पर चलने की जिद - डॉ. जगवीर सिंह हर दिन ट्राइसाइकिल चलाने के साथ ही स्विमिंग, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस भी खेलते हैं. जुनूनी डॉ. सिंह का कहना है कि उन्हें हर हाल में नवंबर 2023 तक अपने पैरों पर खड़े होकर चलना है. चाहे किसी सपोर्ट के सहारे या बिना सपोर्ट के.
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व्हीलचेयर पर बैठकर किए 100 से ज्यादा ऑपरेशन - डॉ. सिंह ने बताया कि दुर्घटना के चार माह बाद ही उन्होंने मरीजों को देखना शुरू कर दिया था. व्हीलचेयर पर ही हर दिन अपने अस्पताल के आउटडोर में दर्जनों मरीजों को परामर्श देते हैं. बीते करीब एक साल में व्हीलचेयर पर ही 100 से ज्यादा ऑपरेशन कर चुके हैं.
सेफ साइकिलिंग ट्रैक बने - डॉ. सिंह ने कहा कि आजकल की व्यस्त जीवनशैली में साइकिलिंग एक बेहतरीन एक्सरसाइज है. साइकिलिंग से कार्डियो रेस्पिरेटरी, घुटनों के जोड़ मजबूत और स्मूथ होते हैं. साथ ही शरीर स्वस्थ रहता है. उन्होंने बताया कि नियमित साइकिल चलाने से व्यक्ति तमाम बीमारियों से सुरक्षित रह सकता है. इसके अलावा उन्होंने एक नारा भी दिया था. साइकिल चलाएं, घुटने बचाएं. उन्होंने कहा कि भरतपुर के लोगों में साइकिल का क्रेज बढ़ा है. इसलिए भरतपुर में एक सेफ साइकिलिंग ट्रैक बनना चाहिए. साथ ही शहर के लोगों ने इसकी मांग भी उठाई थी, जिसके बाद केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के चारों ओर सेफ ट्रैक तैयार करने की बात चली थी. लेकिन अभी तक उसको अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है. डॉ सिंह ने कहा कि देश में बड़ी संख्या में दिव्यांगजन हैं. उनको ध्यान में रखते हुए सरकार को पैरा स्पोर्ट्स इवेंट कराने चाहिए. जिससे लोगों का मनोबल बढ़ेगा.