भरतपुर. फसल कटने के बाद भी सरसों की मंडी सूनी पड़ी है. हर साल इस सीजन में सरसों मंडी में पैर रखने की जगह नहीं होती थी, लेकिन इस बार उलट नजारा देखने को मिल रहा है. किसान ने सरसों मंडी से दूरी बना रखी है. इसका नतीजा ये हुआ कि सरसों के भाव तीन साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं. किसान इस बार के साथ ही गत वर्ष की पैदावार भी मंडी लेकर नहीं पहुंच रहे हैं. हालात ये हैं कि कच्चे माल की कमी के चलते शहर के आधे से अधिक तेल मिलें बंद हैं.
सरसों का न्यूनतम भाव : मंडी व्यापारी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि बुधवार को सरसों का भाव 4950 रुपए प्रति क्विंटल खुला, जो कि बीते करीब तीन साल का न्यूनतम भाव है. गत वर्ष सरसों अधिकतम 7000 रुपए प्रति क्विंटल और वर्ष 2021 में 8300 रुपए प्रति क्विंटल तक बिकी थी, लेकिन इस बार सरसों के भावों में उछाल नहीं आ रहा है. इससे सरसों तेल की मांग भी घट गई है.
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स्टॉक कर के बैठा किसान : भूपेंद्र गोयल ने बताया कि किसान बीते दो साल से सरसों के 8300 रुपए प्रति क्विंटल के भाव की उम्मीद लगाकर बैठा है. यही वजह कि गत वर्ष की करीब 30% पैदावार अभी भी किसान ने रोक रखी है, जबकि इस बार और भाव गिरने की वजह से किसान फसल लेकर मंडी नहीं पहुंच रहा है. पीक सीजन में मंडी में हर दिन करीब 25 हजार कट्टे सरसों आती थी, लेकिन इस बार मुश्किल से दो हजार कट्टे ही हर दिन पहुंच रहे हैं.
दो साल से सरसों नहीं बेची : किसान मनोज कुमार ने बताया कि अच्छे भाव की उम्मीद में दो साल से गेंहू से ज्यादा सरसों की फसल की बुवाई की. गत वर्ष से लगातार सरसों के भाव गिर रहे हैं, इसलिए दो साल की सरसों की पैदावर को इस उम्मीद में रोक रखा है कि शायद अच्छे भाव मिल जाएं. घर खर्च और खेती-बाड़ी के खर्चे के लिए आलू की फसल बेचकर काम चला रहे हैं.
कुछ पैदावार लेकर आ रहे : खरका गांव निवासी शिवम और हेलक निवासी बलराम बैंसला बुधवार को मंडी में सरसों लेकर पहुंचे. किसानों ने बताया कि भाव कम मिलने के बावजूद मजबूरी में सरसों की फसल बेचनी पड़ रही है, ताकि आगामी फसल की तैयारी के लिए हाथ में पैसा आ जाए और घर खर्च भी चल जाए. अच्छे भाव की उम्मीद में दो साल की आधी पैदावार अभी भी घर में रख रखी है.
विदेशी तेल ने बिगाड़ा गणित : व्यापारी भूपेंद्र गोयल ने बताया कि विदेशी तेल पाल्म ऑयल आदि सस्ती रेट में विदेश से आयात हो रहे हैं, जिसके चलते सरसों तेल की मांग घट गई है. फिलहाल पाल्म ऑयल करीब 90 से 95 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है, जबकि सरसों का तेल 120 रुपए प्रति लीटर है. ऐसे में सरसों तेल की मांग 10 हजार टन प्रति माह से घटकर 5 हजार टन प्रति माह रह गई है.
आधी तेल मिलें बंद : गोयल ने बताया कि सरसों तेल की मांग घटने, मंडी में सरसों नहीं पहुंचने की वजह से शहर की 125 तेल मिलों में से करीब आधी तेल मिलें कई माह से बंद पड़ी हैं. अगर यही हालात रहे तो भरतपुर की पहचान माना जाने वाला तेल व्यापार संकट में पड़ जाएगा.