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खबर का असर: आखिर 17 दिन इंतजार के बाद एमएसजे कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर को कराया कार्यभार ग्रहण - महारानी जया महाविद्यालय

महारानी जया महाविद्यालय (एमएसजे कॉलेज) के एसोसिएट प्रोफेसर को आखिर 17 दिन बाद राहत मिल पाई है. उच्च न्यायालय के 13 दिसंबर को स्थगन आदेश के बावजूद कॉलेज प्राचार्य ने न्यायालय आदेशों और नियमों को दरकिनार कर राजनीतिक दबाव के चलते एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतीश त्रिगुणायत को कार्यभार ग्रहण कराने से मना कर दिया. लेकिन, जब डॉ. सतीश त्रिगुणायत अपने अधिवक्ता के माध्यम से कॉलेज प्राचार्य को कानूनी नोटिस भेजा तो 17 दिन बाद 3 जनवरी को उन्हें कार्यभार ग्रहण करा दिया.

Dr. Satish Trigunayat takes charge, महारानी जया महाविद्यालय
एमएसजे कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर को कराया कार्यभार ग्रहण
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Published : Jan 7, 2020, 7:53 PM IST

भरतपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कार्यभार ग्रहण करने के लिए भटक रहे महारानी श्री जया महाविद्यालय (एमएसजे कॉलेज) के एसोसिएट प्रोफेसर को आखिर 17 दिन बाद राहत मिल पाई है. उच्च न्यायालय के 13 दिसंबर को स्थगन आदेश के बावजूद कॉलेज प्राचार्य ने न्यायालय आदेशों और नियमों को दरकिनार कर राजनीतिक दबाव के चलते एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतीश त्रिगुणायत को कार्यभार ग्रहण कराने से मना कर दिया. लेकिन, जब डॉ. सतीश त्रिगुणायत अपने अधिवक्ता के माध्यम से कॉलेज प्राचार्य को कानूनी नोटिस भेजा तो 17 दिन बाद 3 जनवरी को उन्हें कार्यभार ग्रहण करा दिया. वहीं इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने भी खबर प्रकाशित कर कॉलेज प्रशासन की मनमर्जी को उजागर किया था.

यह था पूरा मामला

एमएसजे कॉलेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सतीश त्रिगुणायत का 29 सितंबर 2019 को बहरोड़ कॉलेज में स्थानांतरण हुआ. उन्हें एमएसजे कॉलेज प्राचार्य ने 1 अक्टूबर 2019 को रिलीव कर दिया, जिसके बाद डॉ सतीश त्रिगुणायत ने राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण ली और उन्हें न्यायालय ने 13 दिसंबर को स्थगन आदेश दे दिए. उसके बाद से डॉ त्रिगुणायत लगातार एमएसजे कॉलेज प्राचार्य डॉ विवेक शर्मा से कार्यभार ग्रहण कराने के लिए संपर्क करते रहे लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें कार्यभार ग्रहण नहीं कराया.

एमएसजे कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर को कराया कार्यभार ग्रहण

फिर से ली कानून की मदद, तब खुला रास्ता

डॉ. सतीश धवन आयत को जब कॉलेज प्राचार्य ने उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद कार्यभार ग्रहण नहीं कराया, तो उन्होंने फिर से कानून की मदद ली और अपने अधिवक्ता से कॉलेज प्रशासन को कानूनी नोटिस जारी करवाया. जिसके बाद आयुक्तालय के आदेश पर कॉलेज प्राचार्य डॉ सतीश त्रिगुणायत को 17 दिन बाद 3 जनवरी 2020 को कार्यभार ग्रहण कराया.

पढ़ें- नॉन टीएसपी के पदों पर टीएसपी अभ्यार्थियों को क्यों दी नियुक्तिः हाईकोर्ट

इस नियम की हुई थी अवहेलना

आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा जयपुर के 8 जुलाई 2015 के आदेशानुसार उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लेकर आने वाले कर्मचारियों को महाविद्यालय में कार्यभार ग्रहण कराने से पूर्व आयुक्तालय से अनुमति लेना अनिवार्य था. लेकिन, वर्ष 2016, 3 फरवरी में आयुक्तालय की ओर से एक नया आदेश जारी किया गया जिसमें स्पष्ट लिखा हुआ था कि पूर्व में जारी किए गए आदेश को प्रत्यहारित (वापस) किया जाता है. यानी प्राचार्य अपने स्तर पर इस तरह के कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण करवा सकता है.

गौरतलब, है कि एमएसजे कॉलेज में से एक साथ 13 एसोसिएट प्रोफेसरों का तबादला किया गया था. स्थानांतरण के दौरान कॉलेज का भूगोल विभाग तो पूरी तरह से खाली कर दिया गया. जबकि भूगोल विभाग में स्नातक और स्नातकोत्तर के करीब ढाई हजार नियमित विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. हालांकि, काफी समय बाद भूगोल विभाग में दो एसोसिएट प्रोफेसरों को लगाया गया.

भरतपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कार्यभार ग्रहण करने के लिए भटक रहे महारानी श्री जया महाविद्यालय (एमएसजे कॉलेज) के एसोसिएट प्रोफेसर को आखिर 17 दिन बाद राहत मिल पाई है. उच्च न्यायालय के 13 दिसंबर को स्थगन आदेश के बावजूद कॉलेज प्राचार्य ने न्यायालय आदेशों और नियमों को दरकिनार कर राजनीतिक दबाव के चलते एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतीश त्रिगुणायत को कार्यभार ग्रहण कराने से मना कर दिया. लेकिन, जब डॉ. सतीश त्रिगुणायत अपने अधिवक्ता के माध्यम से कॉलेज प्राचार्य को कानूनी नोटिस भेजा तो 17 दिन बाद 3 जनवरी को उन्हें कार्यभार ग्रहण करा दिया. वहीं इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने भी खबर प्रकाशित कर कॉलेज प्रशासन की मनमर्जी को उजागर किया था.

यह था पूरा मामला

एमएसजे कॉलेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सतीश त्रिगुणायत का 29 सितंबर 2019 को बहरोड़ कॉलेज में स्थानांतरण हुआ. उन्हें एमएसजे कॉलेज प्राचार्य ने 1 अक्टूबर 2019 को रिलीव कर दिया, जिसके बाद डॉ सतीश त्रिगुणायत ने राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण ली और उन्हें न्यायालय ने 13 दिसंबर को स्थगन आदेश दे दिए. उसके बाद से डॉ त्रिगुणायत लगातार एमएसजे कॉलेज प्राचार्य डॉ विवेक शर्मा से कार्यभार ग्रहण कराने के लिए संपर्क करते रहे लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें कार्यभार ग्रहण नहीं कराया.

एमएसजे कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर को कराया कार्यभार ग्रहण

फिर से ली कानून की मदद, तब खुला रास्ता

डॉ. सतीश धवन आयत को जब कॉलेज प्राचार्य ने उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद कार्यभार ग्रहण नहीं कराया, तो उन्होंने फिर से कानून की मदद ली और अपने अधिवक्ता से कॉलेज प्रशासन को कानूनी नोटिस जारी करवाया. जिसके बाद आयुक्तालय के आदेश पर कॉलेज प्राचार्य डॉ सतीश त्रिगुणायत को 17 दिन बाद 3 जनवरी 2020 को कार्यभार ग्रहण कराया.

पढ़ें- नॉन टीएसपी के पदों पर टीएसपी अभ्यार्थियों को क्यों दी नियुक्तिः हाईकोर्ट

इस नियम की हुई थी अवहेलना

आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा जयपुर के 8 जुलाई 2015 के आदेशानुसार उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लेकर आने वाले कर्मचारियों को महाविद्यालय में कार्यभार ग्रहण कराने से पूर्व आयुक्तालय से अनुमति लेना अनिवार्य था. लेकिन, वर्ष 2016, 3 फरवरी में आयुक्तालय की ओर से एक नया आदेश जारी किया गया जिसमें स्पष्ट लिखा हुआ था कि पूर्व में जारी किए गए आदेश को प्रत्यहारित (वापस) किया जाता है. यानी प्राचार्य अपने स्तर पर इस तरह के कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण करवा सकता है.

गौरतलब, है कि एमएसजे कॉलेज में से एक साथ 13 एसोसिएट प्रोफेसरों का तबादला किया गया था. स्थानांतरण के दौरान कॉलेज का भूगोल विभाग तो पूरी तरह से खाली कर दिया गया. जबकि भूगोल विभाग में स्नातक और स्नातकोत्तर के करीब ढाई हजार नियमित विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. हालांकि, काफी समय बाद भूगोल विभाग में दो एसोसिएट प्रोफेसरों को लगाया गया.

Intro:भरतपुर.
राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कार्यभार ग्रहण करने के लिए भटक रहे महारानी श्री जया महाविद्यालय (एमएसजे कॉलेज) के एसोसिएट प्रोफेसर को आखिर 17 दिन बाद राहत मिल पाई है। उच्च न्यायालय के 13 दिसंबर को स्थगन आदेश के बावजूद कॉलेज प्राचार्य ने न्यायालय आदेशों और नियमों को दरकिनार कर राजनीतिक दबाव के चलते एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सतीश त्रिगुणायत को कार्यभार ग्रहण कराने से मना कर दिया। लेकिन जब डॉक्टर सतीश त्रिगुणायत अपने अधिवक्ता के माध्यम से कॉलेज प्राचार्य को कानूनी नोटिस भेजा तो 17 दिन बाद 3 जनवरी को उन्हें कार्यभार ग्रहण करा दिया। वहीं इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने भी खबर प्रकाशित कर कॉलेज प्रशासन की मनमर्जी को उजागर किया था।


Body:यह था मामला
असल में एमएसजे कॉलेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सतीश त्रिगुणायत का 29 सितंबर 2019 को बहरोड़ कॉलेज में स्थानांतरण हुआ। उन्हें एमएसजे कॉलेज प्राचार्य ने 1 अक्टूबर 2019 को रिलीव कर दिया, जिसके बाद डॉ सतीश त्रिगुणायत ने राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण ली और उन्हें न्यायालय ने 13 दिसंबर को स्थगन आदेश दे दिए। उसके बाद से डॉ त्रिगुणायत लगातार एमएसजे कॉलेज प्राचार्य डॉ विवेक शर्मा से कार्यभार ग्रहण कराने के लिए संपर्क करते रहे लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उन्हें कार्यभार ग्रहण नहीं कराया।

फिर से ली कानून की मदद, तब खुला रास्ता
डॉक्टर सतीश धवन आयत को जब इमेज कॉलेज प्राचार्य ने उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद कार्यभार ग्रहण नहीं कराया तो उन्होंने फिर से कानून की मदद ली और अपने अधिवक्ता से कॉलेज प्रशासन को कानूनी नोटिस जारी करवाया। जिसके बाद आयुक्तालय के आदेश पर कॉलेज प्राचार्य डॉ सतीश त्रिगुणायत को 17 दिन बाद 3 जनवरी 2020 को कार्यभार ग्रहण कराया।


इस नियम की हुई थी अवहेलना
आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा जयपुर के 8 जुलाई 2015 के आदेशानुसार उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लेकर आने वाले कर्मचारियों को महाविद्यालय में कार्यभार ग्रहण कराने से पूर्व आयुक्तालय से अनुमति लेना अनिवार्य था। लेकिन वर्ष 2016, 3 फरवरी में आयुक्तालय की ओर से एक नया आदेश जारी किया गया जिसमें स्पष्ट लिखा हुआ था कि पूर्व में जारी किए गए आदेश को प्रत्यहारित (वापस) किया जाता है। यानी प्राचार्य अपने स्तर पर इस तरह के कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण करवा सकता है।


Conclusion:गौरतलब है कि एम एस जे कॉलेज में से एक साथ 13 एसोसिएट प्रोफेसरों का तबादला किया गया था। स्थानांतरण के दौरान कॉलेज का भूगोल विभाग तो पूरी तरह से खाली कर दिया गया। जबकि भूगोल विभाग में स्नातक और स्नातकोत्तर के करीब ढाई हजार नियमित विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। हालांकि काफी समय बाद भूगोल विभाग में दो एसोसिएट प्रोफेसरों को लगाया गया।

बाईट1 - डॉ सतीश त्रिगुणायत, एसो. प्रोफेसर, एमएसजे कॉलेज भरतपुर। ( ब्लेज़र औऱ चश्मे में)


सादर
श्यामवीर सिंह
भरतपुर
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