डीग (भरतपुर). आदिबद्री पर्वतीय क्षेत्र में अवैध खनन के विरोध में क्षेत्रीय गांव पंसोपा में धरना बुधवार को 82वें दिन भी जारी रहा. अवैध खनन के विरोध में मंगलवार देर रात आंदोलनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिला.
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को विगत 82 दिनों से चल रहे धरने के बारे में जानकारी देने के साथ पिछले 10 वर्षों से ब्रज क्षेत्र के परम आराध्य आदिबद्री व कंकाचल पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन से अवगत कराया. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि आम जनमानस की भावनाओं के विरुद्ध किस प्रकार से भारतीय संस्कृति की मुख्य धरोहर ब्रज क्षेत्र के इन पर्वतों का खनन कर विनाश किया जा रहा है. संपूर्ण ब्रज क्षेत्र का साधु समाज व ग्रामीण इस खनन के सख्त विरोध में है.
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प्रतिनिधिमंडल में संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री, राष्ट्रीय सलाहकार चंद्रशेखर खुटेंटा, कांग्रेसी विधायक मोहम्मद रफीक खान के साथ मौजूद पूर्व विधायक प्रदीप माथुर ने कहा कि ब्रज केवल राजस्थान, मथुरा उत्तर प्रदेश या भारत के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है अपितु यहां की सांस्कृतिक आध्यात्मिकता से संपूर्ण विश्व जुड़ा हुआ है. इसलिए ब्रज के पर्यावरण, पर्वतों व प्राकृतिक संपदा की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है.
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राधाकांत शास्त्री ने कहा कि वह विगत 10 वर्षों से इन पर्वतों को बचाने के लिए संघर्षरत हैं. कई बार आंदोलन किए जा चुके हैं, धरने दिए जा चुके हैं. लेकिन इस बार का धरना निर्णायक है. वार्ता के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इस विषय की संपूर्ण जानकारी उनको पूर्व में ही मिल चुकी है एवं उन्होंने पहले से ही इस विषय पर कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं.
उन्होंने आंदोलनकारियों को आश्वस्त किया कि वे निश्चित ही ब्रज की संस्कृति, पर्यावरण, ब्रज के पर्वतों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है व अतिशीघ्र ही आदिबद्री और कंकाचल पर्वत को वन क्षेत्र में घोषित कर उनके रक्षण के लिए आदेश पारित किए जाएंगे.
इधर मुख्यमंत्री से हुई वार्ता के बाद धरनार्थियों की हुई सहमति के साथ महापड़ाव को स्थगित कर दिया. साथ ही कहा कि धरना तब तक जारी रहेगा जब तक संपूर्ण आदिबद्री व कंकाचल पर्वतीय क्षेत्र को खनन मुक्त कर वन में घोषित करने का सरकारी अध्यादेश पारित नहीं हो जाता है.