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भरतपुर: 39 साल बाद नदी की गर्भ से निकाला गया शीतला माता मंदिर, मौके पर उमड़ी भक्तों की भीड़

भरतपुर में आस्था का एक अद्भुत वाक्या देखने को मिला. 39 साल बाद एक मंदिर को नदी से बाहर निकाला गया. वहीं मंदिर की प्रतिमा निकालकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई.

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भरतपुर शीतला माता मंदिर नदी के गर्भ से निकाला गया
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Published : Jun 22, 2021, 3:38 PM IST

भरतपुर. जिले में एक ऐसा मंदिर है जो 39 साल तक नदी के गर्भ में दबा रहा. अब ग्रामीणों ने सूखी बाणगंगा नदी की खुदाई कराकर मंदिर बाहर निकाला है और शीतला माता की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई. जिसके बाद मौके पर भक्तों की भीड़ पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़ी.

साल 1972 में आई थी बाढ़

ग्रामीण टीकम सिंह धाकड़ ने बताया कि बीरमपुरा गांव के पास से गुजरने वाली बाणगंगा नदी में साल 1972 में बाढ़ आई. बाढ़ की वजह से उस समय जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. इसी दौरान गांव के बाहर स्थित शीतला माता का मंदिर बाढ़ की वजह से नदी के गर्भ में मिट्टी में दब गया. तब से अब तक मंदिर मिट्टी में दबा रहा.

भरतपुर शीतला माता मंदिर नदी के गर्भ से निकाला गया

टीकम सिंह धाकड़ ने बताया कि करीब 39-40 साल तक मंदिर मिट्टी में दबा रहा लेकिन अब गांव के सरपंच राजेंद्र सिंह धाकड़ और ग्रामीणों ने एक राय होकर मंदिर को फिर से बाहर निकालने की ठानी. इसके बाद ग्रामीणों ने जेसीबी की मदद से नदी में दबे हुए मंदिर शीतला माता की प्रतिमा को बाहर निकाला. इसके बाद पूरे विधि-विधान से माता की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा की गई.

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मंदिर में पूजा करती महिलाएं

यह भी पढ़ें. International yoga day: भारतीय डाक विभाग ने जारी की विशेष डाक टिकट, सूर्य नमस्कार की मुद्राएं हैं अंकित

प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा के साथ ही मंदिर का प्रारंभिक निर्माण भी कराया गया. 40 साल बाद एक बार फिर गांव के भक्तों की भीड़ शीतला माता के मंदिर पर उमड़ी और लोगों ने माता की पूजा अर्चना की.

भरतपुर. जिले में एक ऐसा मंदिर है जो 39 साल तक नदी के गर्भ में दबा रहा. अब ग्रामीणों ने सूखी बाणगंगा नदी की खुदाई कराकर मंदिर बाहर निकाला है और शीतला माता की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई. जिसके बाद मौके पर भक्तों की भीड़ पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़ी.

साल 1972 में आई थी बाढ़

ग्रामीण टीकम सिंह धाकड़ ने बताया कि बीरमपुरा गांव के पास से गुजरने वाली बाणगंगा नदी में साल 1972 में बाढ़ आई. बाढ़ की वजह से उस समय जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. इसी दौरान गांव के बाहर स्थित शीतला माता का मंदिर बाढ़ की वजह से नदी के गर्भ में मिट्टी में दब गया. तब से अब तक मंदिर मिट्टी में दबा रहा.

भरतपुर शीतला माता मंदिर नदी के गर्भ से निकाला गया

टीकम सिंह धाकड़ ने बताया कि करीब 39-40 साल तक मंदिर मिट्टी में दबा रहा लेकिन अब गांव के सरपंच राजेंद्र सिंह धाकड़ और ग्रामीणों ने एक राय होकर मंदिर को फिर से बाहर निकालने की ठानी. इसके बाद ग्रामीणों ने जेसीबी की मदद से नदी में दबे हुए मंदिर शीतला माता की प्रतिमा को बाहर निकाला. इसके बाद पूरे विधि-विधान से माता की प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा की गई.

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मंदिर में पूजा करती महिलाएं

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प्रतिमा की प्राणप्रतिष्ठा के साथ ही मंदिर का प्रारंभिक निर्माण भी कराया गया. 40 साल बाद एक बार फिर गांव के भक्तों की भीड़ शीतला माता के मंदिर पर उमड़ी और लोगों ने माता की पूजा अर्चना की.

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