भरतपुर. जिले में चिकित्सकों के फर्जी हस्ताक्षर कर खुद ही दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. जब दिव्यांग प्रमाण पत्रों के भौतिक सत्यापन के लिए तथाकथित दिव्यांगों को आरबीएम अस्पताल बुलाया गया तो पूरा भांडा फूट गया. अब आरबीएम अस्पताल की पीएमओ ने आरोपियों के खिलाफ मथुरा गेट थाने में मामला दर्ज कराया है.
पीएमओ डॉ. जिज्ञासा साहनी ने बताया कि विष्णु पुत्र हुकम सिंह का वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लक्ष्मण सिंह धाकड़ के हस्ताक्षर से लो विजन का प्रमाण पत्र था. जबकि शोभा रानी पुत्री राजेश कुमार शर्मा का ईएनटी विशेषज्ञ रोहिताश कुमार के हस्ताक्षर से श्रवण बाधित प्रमाण पत्र था. जब इन दोनों दिव्यांगों को भौतिक सत्यापन के लिए आरबीएम जिला अस्पताल बुलाया गया, तो पता चला कि प्रमाण पत्रों पर जो हस्ताक्षर हैं वो असल में चिकित्सकों के हैं ही नहीं हैं और वो चिकित्सकों के फर्जी हस्ताक्षर थे.
कमेटी ने भौतिक सत्यापन के दौरान और गहराई से जांच की तो पता चला कि उन दिव्यांग प्रमाण पत्रों का डेटा मैच नहीं किया. असल में दोनों ने खुद ही चिकित्सक के फर्जी हस्ताक्षर कर दिव्यांग प्रमाण पत्र तैयार कर लिए थे. पीएमओ डॉ. साहनी ने बताया आरबीएम अस्पताल में जनवरी 2023 से अक्टूबर तक तैयार किए गए दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की गई है. यह कमेटी दिव्यांग प्रमाण पत्र तैयार कराने वाले अभ्यर्थियों को अपने प्रमाण पत्र के साथ भौतिक सत्यापन के लिए अस्पताल बुलाती है. जब इन दोनों को भी भौतिक सत्यापन के लिए अस्पताल बुलाया गया, तो जांच में पूरा भांडा फूट गया.
इसलिए चल रहा फर्जी प्रमाण पत्र का खेल : असल में विभिन्न सरकारी भर्तियों में दिव्यांग प्रमाण पत्र वाले अभ्यर्थियों को विशेष छूट दी जाती है. इनकी मेरिट भी सामान्य, ओबीसी और अन्य आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों की तुलना में बहुत कम जाती है. ऐसे में दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाकर आरोग्य अभ्यर्थी भी सरकारी नौकरी आसानी से हासिल कर लेता है. यही वजह है कि कुछ लोग फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाकर गलत तरीके से नौकरी हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं.