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बालोतरा में बछबारस पर्व पर महिलाओं ने की गाय और बछड़े की पूजा-अर्चना - news of bachhbaras festival

बालोतरा उपखण्ड में महिलाओं ने गाय और उसके बछड़े की पूजा-अर्चना कर, घर-परिवार की खुशहाली की कामना की. साथ ही महिलाओं ने गायों पर दिन-प्रतिदिन हो रही बदहाली पर गीत गाकर कृष्ण भगवान से गाय की रक्षा के लिए प्रार्थना भी की.

Worshiping cow and calf, बालोतरा खबर
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Published : Aug 28, 2019, 3:35 AM IST

बालोतरा (बाड़मेर). उपखंड सहित ग्रामीण अंचल में मंगलवार को बछबारस पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया. इस पर्व के दिन महिलाओं और कन्याओं ने विधिवत रुप से गाय और बछड़ों की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य किया. साथ ही परिवार और क्षेत्र में खुशहाली की कामना की.

इस दौरान परंपरागत तरीके से लोगों ने बछबारस के दिन बाजरे का आहार न करके अन्य अन्न का आहार पशुओं को ग्रहण कराया. बछबारस को लेकर पूरे दिन हरे चारे की दुकानों पर भीड़ देखने को मिली. जिन घरों में गाय है, उन घरों में दिनभर नए परिधानों में सजी-धजी महिलाओं और कन्याओं की हलचल रही.

बछबारस के पर्व पर गाय और बछड़े की की गई पूजा

पढ़ें- RBI से पैसे लेने पर कांग्रेस आक्रामक, अर्थव्यवस्था पर श्वेतपत्र की मांग

खास बात ये कि इस पर्व पर गौ-माता को हरा चारा खिलाने से लेकर पूजन करने तक, लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला. इसके अलावा निसंतान दंपतियों ने पुत्र प्राप्ति की भी कामना की. सभी मांओं ने अपने बेटों को तिलक लगाकर लड्डू खिलाया. पूजा के बाद महिलाओं ने पर्व की कहानी का श्रवण किया. इस दिन विशेष तौर पर बाजरे की रोटी और बिना चाकू के काम में ली गई सब्जियां बनाई गई.

पढ़ें- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभय मोहन सपरे हुए सेवानिवृत्त

महिलाओं ने बताया कि आज के दिन गेहूं, चावल और गौरस से बनी खाघ सामग्री नहीं खाते. महिलाओं ने पूजा सामग्री से सजी धजी थाली लेकर गाय और बछड़े को चना, मूंग, मोठ, मक्का, दही आदि खिलाया और वस्त्र ओढ़ाकर पूजा किया और पूंछ को सिर पर लगाकर गाय और बछड़े की परिक्रमा की गई. इसके अलावा महिलाओं ने गोपालक को अनेक प्रकार के वस्त्र भी भेंट किए.

बालोतरा (बाड़मेर). उपखंड सहित ग्रामीण अंचल में मंगलवार को बछबारस पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया. इस पर्व के दिन महिलाओं और कन्याओं ने विधिवत रुप से गाय और बछड़ों की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य किया. साथ ही परिवार और क्षेत्र में खुशहाली की कामना की.

इस दौरान परंपरागत तरीके से लोगों ने बछबारस के दिन बाजरे का आहार न करके अन्य अन्न का आहार पशुओं को ग्रहण कराया. बछबारस को लेकर पूरे दिन हरे चारे की दुकानों पर भीड़ देखने को मिली. जिन घरों में गाय है, उन घरों में दिनभर नए परिधानों में सजी-धजी महिलाओं और कन्याओं की हलचल रही.

बछबारस के पर्व पर गाय और बछड़े की की गई पूजा

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खास बात ये कि इस पर्व पर गौ-माता को हरा चारा खिलाने से लेकर पूजन करने तक, लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला. इसके अलावा निसंतान दंपतियों ने पुत्र प्राप्ति की भी कामना की. सभी मांओं ने अपने बेटों को तिलक लगाकर लड्डू खिलाया. पूजा के बाद महिलाओं ने पर्व की कहानी का श्रवण किया. इस दिन विशेष तौर पर बाजरे की रोटी और बिना चाकू के काम में ली गई सब्जियां बनाई गई.

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महिलाओं ने बताया कि आज के दिन गेहूं, चावल और गौरस से बनी खाघ सामग्री नहीं खाते. महिलाओं ने पूजा सामग्री से सजी धजी थाली लेकर गाय और बछड़े को चना, मूंग, मोठ, मक्का, दही आदि खिलाया और वस्त्र ओढ़ाकर पूजा किया और पूंछ को सिर पर लगाकर गाय और बछड़े की परिक्रमा की गई. इसके अलावा महिलाओं ने गोपालक को अनेक प्रकार के वस्त्र भी भेंट किए.

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महिलाओं ने गाय और उसके बछड़े की पूजा-अर्चना कर घर परिवार की खुशहाली की कामना की


बालोतरा-  उपखंड सहित ग्रामीण अंचल में मंगलवार को बछबारस का पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया। बछबारस के दिन महिलाओं व कन्याओं ने विधिवत गाय व बछड़ों की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य किया तथा परिवार व क्षेत्र में खुशहाली की कामना की। परंपरागत तरीके से लोगों ने बछबारस के दिन बाजरे का आहार न करके अन्य अन्न का आहार किया है। Body:बछबारस को लेकर पूरे दिन हरे चारे की दुकानों पर भीड़ जुटी देखी गई गई। जिन घरों में गाय है, उन घरों में दिनभर नए परिधानों में सजी-धजी महिलाओं व कन्याओं की रेलमपेल लगी रही। बतादे की इस पर्व पर महिलाओं ने गौ माता की विधिवत पूजा-अर्चना की और सुख समृद्धि की कामना की। बच्छ बारस पर गौ माता को हरा चारा खिलाने सहित पूजन के लिए लोगों में होड़ देखी गई। शहर में जगह-जगह महिलाओं ने गौ माता बछड़े की पूजा की और निसंतान दंपतियों ने पुत्र प्राप्ति की कामना की। बच्छ बारस पर मां ने अपने बेटों को तिलक लगा कर लड्डू खिलाएं। पूजा के बाद महिलाओं ने बच्छ बारस की कहानी का श्रवण किया। इस दिन विशेष तौर पर बाजरे की रोटी एवं बिना चाकू के काम में ली गई सब्जी बनाई गई। विभिन्न गोशालाओं में गाै माता की पूजा-अर्चना को लेकर भीड़ देखी गई। महिलाओं ने बताया कि आज के दिन गेंहू और चावल और गौरस से बनी खाघ सामग्री नही खाते है। महिलाओं ने पूजा सामग्री से सजी धजी थाली लेकर गाय व बछड़े को चना, मूंग, मोठ, मक्का, दही आदि खिलाया तथा वस्त्र ओढ़ाकर पूजा की। पूंछ को सिर पर लगाकर गाय और बछड़े की परिक्रमा की। महिलाओं ने गोपालक को अन्न और वस्त्र भी भेंट किए।महिलाओं ने गाय की दिन-प्रतिदिन हो रही बदहाली पर गीत गाकर कृष्ण भगवान से गाय की रक्षा के लिए भी प्रार्थना की।


बाइट 1- सुमन शर्मा 

बाइट 2- शशिकला अवस्थी

बाइट 3- चित्रा श्रीमालीConclusion:null
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