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बालोतरा में महिलाओं ने मंगल गीतों के साथ बछ बारस पर किया पूजन

बाड़मेर के बालोतरा में रविवार को वत्स द्वादशी (बछ बारस) का पर्व मनाया गया. इस दौरान महिलाओं ने अपने पुत्रों की मंगल कामना के लिए बछड़े वाली गायों की पूजा अर्चना की. साथ ही महिलाओं ने कथा के साथ-साथ मंगल गीत भी गाएं.

राजस्थान न्यूज, barmer news
महिलाओं ने वत्स द्वादशी पर गौ माता का किया पूजन
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Published : Aug 16, 2020, 4:11 PM IST

बालोतरा (बाड़मेर). कोरोना संक्रमण काल में भी उपखण्ड क्षेत्र में वत्स द्वादशी रविवार को हर्षोउल्लास के साथ मनाई गई. जहां शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बछड़े वाली गायों का पूजन किया गया. पुत्र के मंगल की कामना को लेकर मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर घरों में भी पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान महिलाओं ने कथा भी की. इस पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिला.

पढ़ें- बछ बारस आज: महिलाओं ने की गाय और बछड़े की पूजा

बता दें कि वत्स द्वादशी पर महिलाओं ने अपने पुत्रों की लम्बी आयु की कामना की. साथ ही गोबर की तलाई बनाकर उसका पूजन कर अपने पुत्र से उस तलाई को तुड़वाकर लड्डू का भोग लगाया. गायों को गुड़, चारा और मोठ-बाजरे आदि से बने भोजन का भोग लगाया. कई जगह महिलाओं ने पूजा पाठ कर कथा सुनाई.

पढ़ें- बाड़मेर में बजरी पर बवंडर, दो गुटों में खूनी संघर्ष...फायरिंग में हिस्ट्रीशीटर की मौत

दरअसल, बच्चों पर ममता और स्नेह बरसाने और परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली का वत्स द्वादशी को पारम्परिक हर्षोल्लास से मनाया गया है. महिलाओं ने गौ-पूजन कर वत्स द्वादशी की प्रचलित कथाओं का श्रवण किया. बच्चों ने माताओं के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया. भक्तों के घरों में गेहूं और गाय के दूध से निर्मित व्यंजनों और चाकू से कटी हुई सब्जियों का परित्याग किया गया.

बालोतरा (बाड़मेर). कोरोना संक्रमण काल में भी उपखण्ड क्षेत्र में वत्स द्वादशी रविवार को हर्षोउल्लास के साथ मनाई गई. जहां शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बछड़े वाली गायों का पूजन किया गया. पुत्र के मंगल की कामना को लेकर मनाए जाने वाले इस पर्व को लेकर घरों में भी पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान महिलाओं ने कथा भी की. इस पर्व को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिला.

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बता दें कि वत्स द्वादशी पर महिलाओं ने अपने पुत्रों की लम्बी आयु की कामना की. साथ ही गोबर की तलाई बनाकर उसका पूजन कर अपने पुत्र से उस तलाई को तुड़वाकर लड्डू का भोग लगाया. गायों को गुड़, चारा और मोठ-बाजरे आदि से बने भोजन का भोग लगाया. कई जगह महिलाओं ने पूजा पाठ कर कथा सुनाई.

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दरअसल, बच्चों पर ममता और स्नेह बरसाने और परिवार में सुख-समृद्धि और खुशहाली का वत्स द्वादशी को पारम्परिक हर्षोल्लास से मनाया गया है. महिलाओं ने गौ-पूजन कर वत्स द्वादशी की प्रचलित कथाओं का श्रवण किया. बच्चों ने माताओं के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया. भक्तों के घरों में गेहूं और गाय के दूध से निर्मित व्यंजनों और चाकू से कटी हुई सब्जियों का परित्याग किया गया.

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