चौहटन (बाड़मेर). राजस्थान में पानी की क्या अहमियत है. उसकी तस्दीक बाड़मेर से सामने आई तस्वीरें कर रहीं हैं. भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर सरहदी इलाके में रहने वाले लोगों से बेहतर शायद ही कोई नहीं जानता होगा. लोगों को पानी की एक-एक बूंद सहेजकर रखनी पड़ती है. यहां तक की पानी की चौकसी के लिए लोग ताला तक लगा देते हैं. जिससे उनका पानी कोई चोरी ना कर ले. सरहदी गांवों में सर्दी हो या गर्मी पानी का पहरा लगा रहता है.
इन इलाकों में पानी पर रहता है पहरा
चौहटन उपखंड के सरहदी रमजान की गफन, आरबी की गफन, भोजारिया, केलनोर, शोभाला, नवापुरा, रानातली, बीजराड़, उदसियार सहित सरहद से सटे दर्जनों गांवों के लोग बरसाती पानी को टांकों में सहेजकर रखते हैं.
इन टांकों और टांकलियों में संग्रहित पानी की हिफाजत के लिए ताले लगाकर पानी की पहरेदारी की जाती है.
यहां भूगर्भ का पानी खारा
बता दें, कि इन गांवों में भूगर्भ का पानी खारा होता है. दूरदराज तक रेतीले धोरों के बीच पसरे गांवों में जलदाय विभाग की कोई स्कीम सक्सेज नहीं हो पाई है. बरसात के दौरान ग्रामीणों द्वारा बरसाती पानी संग्रहित कर अपने हलक तर करने पड़ते हैं.
वहीं गर्मी के दिनों में महंगी दरों पर टैंकरों का पानी खरीद कर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है. इस क्षेत्र के लोगों को घी, तेल जैसे महंगे तरल पदार्थों की तरह कीमती पानी पर भी पहरेदारी करने की मजबूरी आज भी बनी हुई है. टांकों और टांकलियों पर ताले जड़कर रखना यहां की परंपरा सी बन गई है.