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पुलिस हिरासत में युवक की मौत का मामला...एसपी ने थानाधिकारी को निलंबित करते हुए स्टाफ को किया लाइन हाजिर - Youth dies in police custody

जिले के पचपदरा थाने में पुलिस हिरासत के दौरान युवक की मौत के मामले में मंगलवार को एसपी शरद चौधरी ने गंभीरता लेते हुए पचपदरा थानाधिकारी सरोज चौधरी को निलंबित करते हुए थाने के स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया है.

पुलिस हिरासत में युवक की मौत, Youth dies in police custody
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Published : Oct 8, 2019, 7:32 PM IST

बाड़मेर. जिले के पचपदरा थाने में हिरासत में एक युवक की मौत के बाद बाड़मेर पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर लगातार लोग बाड़मेर पुलिस को ट्रोल कर रहे हैं. दरसअल, शनिवार 5 अक्टूबर को सराणा गांव में जमीन को लेकर हुए विवाद के बाद पचपदरा पुलिस ने शांति भंग के आरोप में तीन युवकों को हिरासत में लिया था.

पुलिस हिरासत में हुई युवक की मौत, एसपी ने थानाधिकारी को किया निलंबित

वहीं युवकों को रात भर लॉकअप में रखने के बाद पुलिस ने रविवार सुबह सभी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया. जहां इस दौरान आरोपी जगदीश गोलिया की तबीयत अचानक बिगड़ गई. पुलिस का कहना है कि तबीयत बिगड़ने पर जगदीश को नाहटा अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया.

पढ़ें: खबर का असर : 4 साल बाद चिकित्सा मंत्रालय में भगवान गणेश होंगे स्थापित, आदेश जारी

वहीं, पुलिस ने रोजनामचा में दर्ज किया है कि मृतक के शरीर पर पूर्व में गंभीर चोटें आई हुई थी. हालांकि, पूरे घटनाक्रम में मृतक जगदीश की मां वरजू देवी की रिपोर्ट के आधार पर एसपी शरद चौधरी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पचपदरा थानाधिकारी सरोज चौधरी को निलंबित करते हुए थाने के स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया है.

समय पर इलाज मिलता तो बच सकती थी जान

आपसी मारपीट की घटना के चलते पुलिस ने युवक जगदीश को गिरफ्तार किया था और शाम को पचपदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में युवक की मेडिकल जांच भी करवाई थी. जहां डॉक्टर ने जांच के दौरान उसे स्वस्थ्य बताया था.

लेकिन पुलिस लॉकअप में रात को जगदीश गोलिया की तबीयत खराब होने लगी और पुलिस ने युवक की सुध नहीं ली. जिसके बाद रविवार सुबह उसे तहसीलदार के समक्ष पेश किया गया. जहां उसकी तबियत और भी बिगड़ गई. युवक को कराहते देख तहसीलदार ने उसे तुरंत उपचार करवाने के लिए भेजा. लेकिन जब तक उसे अस्पताल पहुंचाया गया तब तक उसकी मौत हो गई थी.

बाड़मेर. जिले के पचपदरा थाने में हिरासत में एक युवक की मौत के बाद बाड़मेर पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर लगातार लोग बाड़मेर पुलिस को ट्रोल कर रहे हैं. दरसअल, शनिवार 5 अक्टूबर को सराणा गांव में जमीन को लेकर हुए विवाद के बाद पचपदरा पुलिस ने शांति भंग के आरोप में तीन युवकों को हिरासत में लिया था.

पुलिस हिरासत में हुई युवक की मौत, एसपी ने थानाधिकारी को किया निलंबित

वहीं युवकों को रात भर लॉकअप में रखने के बाद पुलिस ने रविवार सुबह सभी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया. जहां इस दौरान आरोपी जगदीश गोलिया की तबीयत अचानक बिगड़ गई. पुलिस का कहना है कि तबीयत बिगड़ने पर जगदीश को नाहटा अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया.

पढ़ें: खबर का असर : 4 साल बाद चिकित्सा मंत्रालय में भगवान गणेश होंगे स्थापित, आदेश जारी

वहीं, पुलिस ने रोजनामचा में दर्ज किया है कि मृतक के शरीर पर पूर्व में गंभीर चोटें आई हुई थी. हालांकि, पूरे घटनाक्रम में मृतक जगदीश की मां वरजू देवी की रिपोर्ट के आधार पर एसपी शरद चौधरी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पचपदरा थानाधिकारी सरोज चौधरी को निलंबित करते हुए थाने के स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया है.

समय पर इलाज मिलता तो बच सकती थी जान

आपसी मारपीट की घटना के चलते पुलिस ने युवक जगदीश को गिरफ्तार किया था और शाम को पचपदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में युवक की मेडिकल जांच भी करवाई थी. जहां डॉक्टर ने जांच के दौरान उसे स्वस्थ्य बताया था.

लेकिन पुलिस लॉकअप में रात को जगदीश गोलिया की तबीयत खराब होने लगी और पुलिस ने युवक की सुध नहीं ली. जिसके बाद रविवार सुबह उसे तहसीलदार के समक्ष पेश किया गया. जहां उसकी तबियत और भी बिगड़ गई. युवक को कराहते देख तहसीलदार ने उसे तुरंत उपचार करवाने के लिए भेजा. लेकिन जब तक उसे अस्पताल पहुंचाया गया तब तक उसकी मौत हो गई थी.

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पुलिस कस्टडी में युवक की संदिग्ध मौत का मामला : पुलिस पर उठते सवालिया निशान


बाड़मेर जिले के पचपदरा थाने में हिरासत में एक युवक की मौत के बाद बाड़मेर पुलिस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर लगातार लोग बाड़मेर पुलिस को ट्रोल कर रहे हैं। दरसअल, बीते शनिवार को सराणा गांव में जमीन विवाद के बाद पचपदरा पुलिस ने शांति भंग के आरोप में तीन युवकों को हिरासत में लिया था। रात भर लॉकअप में रखने के बाद रविवार सुबह सभी आरोपियों को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाना था। इस दौरान आरोपी जगदीश गोलिया की तबीयत अचानक बिगड़ गई। पुलिस का कहना है कि तबीयत बिगड़ने पर जगदीश को नाहटा अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।

Body:वहीं पुलिस ने रोज नामचे में दर्ज किया है कि मृतक के शरीर पर पूर्व में गंभीर चोटें आई हुई थी। लेकिन, गंभीर चोटें आई हुई थी तो पुलिस ने जगदीश गोलिया का इलाज क्यों नहीं करवाया? क्या कस्टडी में रखना इतना जरूरी था, तब मानवाधिकार कहाँ गए थे ये बड़ा सवाल है।
हालांकि, पूरे घटनाक्रम के बाद एसपी शरद चौधरी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पचपदरा थानाधिकारी सरोज चौधरी को निलंबित कर दिया वहीं पूरे थाने के स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया। वहीं पुलिस ने मृतक जगदीश की मां वरजू देवी की रिपोर्ट के आधार ओर थानाधिकारी समेत 10 के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया। जिससे मामला कुछ शांत हुआ और परिजन मृतक का शव उठाने को राजी हो गए। समय पर इलाज मिलता तो बच सकती थी जान, पुलिस की लापरवाही ने ली जान बीते शनिवार को मारपीट की घटना के बाद पचपदरा पुलिस ने शाम को पचपदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल जांच भी करवाई थी। रात को जगदीश गोलियां की तबीयत खराब होने लगी, लेकिन पुलिस ने सुध नहीं ली। रविवार सुबह तहसीलदार के समक्ष पेश करते समय युवक की हालत और भी बिगड़ गई, लेकिन पुलिस उसे अस्पताल ले जाने की बजाय जमानत पर पेश करने के लिए लेकर गई। जहां कराहते युवक को देख तहसीलदार ने तुरंत उपचार करवाने के लिए भेजा। लेकिन जब तक उसे अस्पताल पहुंचाया जाता तब तक उसकी मौत हो गई थी। पुलिस अगर समय पर युवक का उपचार करवाती तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।


सबसे बड़ा सवाल कि... -पुलिस कस्टडी में मौत की वजह क्या??
-युवक बीमार था या थाने में थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया गया??
-बीमार था तो उसे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया??
-क्या विवाद था, जिसमे रात भर थाने में रखा??
-क्या कोई गंभीर बीमारी थी, अगर नहीं थी तो मौत कैसे हुई??
-युवक की तबीयत खराब थी, रात भर तड़फता रहा, तो पुलिस रात में ही अस्पताल क्यों नहीं ले गई???

1बाइट- दिनेश गोयल डॉक्टर पचपदरा
2बाइट- एडीजे रविप्रकाश मेहरड़ा
3बाइट- वरजु देवी मृतक की माँConclusion:
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