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बाड़मेर: भील समाज का धरना 27वें दिन भी जारी, कलेक्टर को सौंपा 9 सूत्रीय पत्र - अध्यक्ष उदाराम मेघवाल

बाड़मेर के लाबड़ा गांव में पिछले कई सालों से भील समाज निवास कर रहा था. लेकिन प्रशासन ने कार्रवाई कर उन्हें बेघर कर दिया. इस मामले को लेकर भील समाज के लोग पिछले 26 दिनों से धरना दे रहे हैं, जो आज 27वें दिन भी जारी रहा. भील समाज ने अपना नौ सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जिला कलेक्टर को सौंपा और जल्द मामले की सुनवाई की गुहार लगाई.

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27वें दिन भी जारी रहा भील समाज का धरना
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Published : Aug 22, 2020, 6:47 PM IST

बाड़मेर. जिले की गडरा तहसील के लाबड़ा गांव में पिछले कुछ सालों से रह रहे भील समाज के लोगों को प्रशासन की ओर से कार्रवाई करते हुए बेघर कर दिया गया था. प्रशासन की इस कार्रवाई के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच के बैनर तले जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना दिया जा रहा है. ये अनिश्चितकालीन धरना 27वें दिन भी जारी रहा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई.

27वें दिन भी जारी रहा भील समाज का धरना

अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच के अध्यक्ष उदाराम मेघवाल ने बताया कि गडरा तहसील के लाबड़ा गांव में पिछले कुछ सालों से रह रहे भील समाज के 11 घर के लोगों को प्रशासन की ओर से कार्रवाई करते हुए बेघर कर दिया था, जबकि उसी भूमि पर कई और लोग यही मकान बनाकर रह रहे हैं, लेकिन सिर्फ इन गरीब लोगों पर ही प्रशासन ने कार्रवाई कर इन्हें बेघर कर दिया. जिसके बाद से ये लोग खुले आसमान के तले आ गए हैं.

उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से द्वेषपूर्ण भाव से कार्रवाई की गई, इस तरह की कार्रवाई करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को सस्पैंड करने सहित नौ सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 27 दिनों से जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन दिया जा रहा है. रविवार को जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर जल्द न्याय दिलाने की मांग की है.

साथ ही कहा कि कुछ दिन पहले अल्पसंख्याक मामला मंत्री सालेह मोहम्मद को भी जनसुनवाई के दौरान ज्ञापन सौंपा था और इस दौरान जिला कलेक्टर से उन्होंने घटनाक्रम की जानकारी ली थी. जिला कलेक्टर ने मंत्री को बताया था कि वास्तविक में तहसीलदार गिरदावर और पटवारी ने भेदभाव पूर्ण कार्रवाई की. उनको 17 सीसी का नोटिस दिया गया है, लेकिन हमारी मांग है कि इस तरह द्वेषपूर्ण भाव से कार्रवाई करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को सस्पेंड किया जाए.

उन्होंने कहा कि हम बार-बार ज्ञापन के माध्यम से सरकार को चेता रहे है, लेकिन बावजूद इसके सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है, अगर समय रहते सरकार ने पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं दिया तो आने वाले कुछ दिनों में अहिंसात्मक तरीके से कोविड-19 का पालन करते हुए धरना प्रदर्शन को उग्र करेंगे और अगर इस दौरान कोई घटना घटित होती है तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की रहेगी.

पढ़ें- CM गहलोत की महत्वकांक्षी इंदिरा रसोई योजना बाड़मेर में दूसरे दिन बंद

गौरतलब है कि बाड़मेर जिले के गडरा तहसील के लाबड़ा गांव में 15 जुलाई को क्षेत्र के तहसीलदार और पटवारी ने गोचर भूमि पर पिछले कुछ सालों से बसें भील समाज के 11 परिवारों के घरों पर जेसीबी चलाकर लोगों को बेघर कर दिया. इस कार्रवाई को पीड़ित परिवारों ने गलत बताते हुए प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने के चलते अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच के बैनर तले जिला मुख्यालय पर 27 जुलाई से अनिश्चितकालीन धरना दिया जा रहा है. ये धरना 27वें दिन भी जारी रहा. इनकी मांग है कि पीड़ित परिवारों का पुनर्वास हो और द्वेष पूर्ण कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को सस्पैंड करने सहित नौ सूत्रीय मांग कर रहे हैं.

बाड़मेर. जिले की गडरा तहसील के लाबड़ा गांव में पिछले कुछ सालों से रह रहे भील समाज के लोगों को प्रशासन की ओर से कार्रवाई करते हुए बेघर कर दिया गया था. प्रशासन की इस कार्रवाई के खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच के बैनर तले जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना दिया जा रहा है. ये अनिश्चितकालीन धरना 27वें दिन भी जारी रहा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर न्याय दिलाने की गुहार लगाई.

27वें दिन भी जारी रहा भील समाज का धरना

अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच के अध्यक्ष उदाराम मेघवाल ने बताया कि गडरा तहसील के लाबड़ा गांव में पिछले कुछ सालों से रह रहे भील समाज के 11 घर के लोगों को प्रशासन की ओर से कार्रवाई करते हुए बेघर कर दिया था, जबकि उसी भूमि पर कई और लोग यही मकान बनाकर रह रहे हैं, लेकिन सिर्फ इन गरीब लोगों पर ही प्रशासन ने कार्रवाई कर इन्हें बेघर कर दिया. जिसके बाद से ये लोग खुले आसमान के तले आ गए हैं.

उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से द्वेषपूर्ण भाव से कार्रवाई की गई, इस तरह की कार्रवाई करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को सस्पैंड करने सहित नौ सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 27 दिनों से जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन दिया जा रहा है. रविवार को जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर जल्द न्याय दिलाने की मांग की है.

साथ ही कहा कि कुछ दिन पहले अल्पसंख्याक मामला मंत्री सालेह मोहम्मद को भी जनसुनवाई के दौरान ज्ञापन सौंपा था और इस दौरान जिला कलेक्टर से उन्होंने घटनाक्रम की जानकारी ली थी. जिला कलेक्टर ने मंत्री को बताया था कि वास्तविक में तहसीलदार गिरदावर और पटवारी ने भेदभाव पूर्ण कार्रवाई की. उनको 17 सीसी का नोटिस दिया गया है, लेकिन हमारी मांग है कि इस तरह द्वेषपूर्ण भाव से कार्रवाई करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को सस्पेंड किया जाए.

उन्होंने कहा कि हम बार-बार ज्ञापन के माध्यम से सरकार को चेता रहे है, लेकिन बावजूद इसके सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है, अगर समय रहते सरकार ने पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं दिया तो आने वाले कुछ दिनों में अहिंसात्मक तरीके से कोविड-19 का पालन करते हुए धरना प्रदर्शन को उग्र करेंगे और अगर इस दौरान कोई घटना घटित होती है तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की रहेगी.

पढ़ें- CM गहलोत की महत्वकांक्षी इंदिरा रसोई योजना बाड़मेर में दूसरे दिन बंद

गौरतलब है कि बाड़मेर जिले के गडरा तहसील के लाबड़ा गांव में 15 जुलाई को क्षेत्र के तहसीलदार और पटवारी ने गोचर भूमि पर पिछले कुछ सालों से बसें भील समाज के 11 परिवारों के घरों पर जेसीबी चलाकर लोगों को बेघर कर दिया. इस कार्रवाई को पीड़ित परिवारों ने गलत बताते हुए प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने के चलते अनुसूचित जाति जनजाति एकता मंच के बैनर तले जिला मुख्यालय पर 27 जुलाई से अनिश्चितकालीन धरना दिया जा रहा है. ये धरना 27वें दिन भी जारी रहा. इनकी मांग है कि पीड़ित परिवारों का पुनर्वास हो और द्वेष पूर्ण कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को सस्पैंड करने सहित नौ सूत्रीय मांग कर रहे हैं.

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