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पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग पर संकट, लॉकडाउन में करोड़ों का हुआ नुकसान - loss in lockdown

लॉकडाउन का बुरा असर टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर भी पड़ा है. लॉकडाउन की वजह से पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग को करोड़ों का नुकसान हो चुका है. वहीं इंडस्ट्रीज खुल जाने के बावजूद अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आई है.

barmer news, Textile industry suffered loss in lockdown
पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग पर संकट
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Published : Jun 14, 2020, 5:47 PM IST

बालोतरा (बाड़मेर). कोरोना जैसी महामारी की चेन को खत्म करने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया. इस लॉकडाउन ने सभी व्यापार धंधे चौपट कर दिए. इस लॉकडाउन में ही वस्त्र उद्योग की भी कमर पूरी तरह से टूट गई. पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है. अनलॉक 1 के तहत फैक्ट्रियां खुल जाने के बाद भी अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आई है.

पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग पर संकट

औद्योगिक क्षेत्र में दो महीने से बंद चिमनियों से धुंआ उठने लगा है. मॉडिफाइड लॉकडाउन के बाद सरकार ने सशर्त उद्यमियों को कामकाज शुरू करने का आदेश दिया था. लेकिन गाइडलाइन सख्त होने से उद्यमियों ने कामकाज शुरू नहीं करने का निर्णय लिया था. लेकिन अनलॉक 1 के बाद उद्यमियों ने कामकाज को शुरू किया. लेकिन अब गोदामों में पड़ा कपड़ा खराब होने के कगार पर पहुंच चुका है. ऐसे में 50 फीसदी उद्यमियों ने कामकाज शुरू कर दिया.

barmer news, Textile industry suffered loss in lockdown
कपड़ा उद्योग पर लगा कोरोना का ग्रहण

छोटे स्तर पर कामकाज शुरू होने से जहां कपड़ा प्रोसेस किया जा रहा है. वहीं रंगाई-छपाई और धुलाई के साथ माल ढुलाई सहित अन्य कार्यों में लगे करीब 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिल गया है.

barmer news, Textile industry suffered loss in lockdown
पहले की तरह नहीं हो रहा कारोबार

ईटीवी भारत की टीम ने क्षेत्र के बड़े उद्यमी नरेश ढ़ेलडिया से बात की तो उन्होंने बताया कि कोरोना का दंश उद्योगों को भी झेलना पड़ा है. बालोतरा की 1 हजार इकाइयों में कामकाज प्रभावित हुआ है. बालोतरा में कपड़ा उद्योग में करोड़ों का सालाना कारोबार होता है. लेकिन 3 महीने से अधिक समय तक कामकाज बन्द रहने से करोड़ों का नुकसान हुआ है. अब उद्योग पटरी पर आने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

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अनलॉक 1 के तहत शुरू हुई फैक्ट्रियां

यह भी पढ़ें- SPECIAL: आयुर्वेद के खजाने से मिला Corona का इलाज, इस टेबलेट से Positive मरीज हो रहे Negative

बालोतरा सीईटीपी अध्यक्ष सुभाष मेहता ने बताया कि फैक्ट्रियों में सैनेटाइज करने के बाद ही श्रमिकों को प्रवेश दिया जा रहा है. वहीं मास्क लगाने के साथ ही सोशल डिस्टेंस की भी पालना की जा रही है. श्रमिकों के रहने सहित खाने-पीने को लेकर इकाई परिसर में ही व्यवस्था की गई है. साथ ही बाहरी आवागमन नहीं करने दिया जा रहा है. फैक्ट्रियां चालू होने से बेरोजगार मजदूरों ने भी राहत महसूस की है.

बालोतरा जसोल-बिठूजा में कपड़ा प्रोसेसिंग का कार्य किया जाता है. इसमें प्रिंटिंग का अधिकांश कामकाज यूपी और बिहार के श्रमिक ही करते हैं, लेकिन अभी तो वे अपने राज्यों को लौटे हैं. ऐसे में कामकाज प्रभावित हो रहा है. बताया जा रहा है कि स्थिति समान्य होने के बाद भी कपड़ा उद्योग को इस नुकसान से उबरने में 1 साल से भी अधिक समय लग जाएगा.

बालोतरा (बाड़मेर). कोरोना जैसी महामारी की चेन को खत्म करने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया. इस लॉकडाउन ने सभी व्यापार धंधे चौपट कर दिए. इस लॉकडाउन में ही वस्त्र उद्योग की भी कमर पूरी तरह से टूट गई. पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग पर भी कोरोना का ग्रहण लग गया है. अनलॉक 1 के तहत फैक्ट्रियां खुल जाने के बाद भी अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आई है.

पोपलीन नगरी बालोतरा के वस्त्र उद्योग पर संकट

औद्योगिक क्षेत्र में दो महीने से बंद चिमनियों से धुंआ उठने लगा है. मॉडिफाइड लॉकडाउन के बाद सरकार ने सशर्त उद्यमियों को कामकाज शुरू करने का आदेश दिया था. लेकिन गाइडलाइन सख्त होने से उद्यमियों ने कामकाज शुरू नहीं करने का निर्णय लिया था. लेकिन अनलॉक 1 के बाद उद्यमियों ने कामकाज को शुरू किया. लेकिन अब गोदामों में पड़ा कपड़ा खराब होने के कगार पर पहुंच चुका है. ऐसे में 50 फीसदी उद्यमियों ने कामकाज शुरू कर दिया.

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कपड़ा उद्योग पर लगा कोरोना का ग्रहण

छोटे स्तर पर कामकाज शुरू होने से जहां कपड़ा प्रोसेस किया जा रहा है. वहीं रंगाई-छपाई और धुलाई के साथ माल ढुलाई सहित अन्य कार्यों में लगे करीब 10 हजार लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिल गया है.

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पहले की तरह नहीं हो रहा कारोबार

ईटीवी भारत की टीम ने क्षेत्र के बड़े उद्यमी नरेश ढ़ेलडिया से बात की तो उन्होंने बताया कि कोरोना का दंश उद्योगों को भी झेलना पड़ा है. बालोतरा की 1 हजार इकाइयों में कामकाज प्रभावित हुआ है. बालोतरा में कपड़ा उद्योग में करोड़ों का सालाना कारोबार होता है. लेकिन 3 महीने से अधिक समय तक कामकाज बन्द रहने से करोड़ों का नुकसान हुआ है. अब उद्योग पटरी पर आने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

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अनलॉक 1 के तहत शुरू हुई फैक्ट्रियां

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बालोतरा सीईटीपी अध्यक्ष सुभाष मेहता ने बताया कि फैक्ट्रियों में सैनेटाइज करने के बाद ही श्रमिकों को प्रवेश दिया जा रहा है. वहीं मास्क लगाने के साथ ही सोशल डिस्टेंस की भी पालना की जा रही है. श्रमिकों के रहने सहित खाने-पीने को लेकर इकाई परिसर में ही व्यवस्था की गई है. साथ ही बाहरी आवागमन नहीं करने दिया जा रहा है. फैक्ट्रियां चालू होने से बेरोजगार मजदूरों ने भी राहत महसूस की है.

बालोतरा जसोल-बिठूजा में कपड़ा प्रोसेसिंग का कार्य किया जाता है. इसमें प्रिंटिंग का अधिकांश कामकाज यूपी और बिहार के श्रमिक ही करते हैं, लेकिन अभी तो वे अपने राज्यों को लौटे हैं. ऐसे में कामकाज प्रभावित हो रहा है. बताया जा रहा है कि स्थिति समान्य होने के बाद भी कपड़ा उद्योग को इस नुकसान से उबरने में 1 साल से भी अधिक समय लग जाएगा.

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