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राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य एक मुकम्मल और अच्छा इंसान बनाना- मुख्य कार्यकारी अधिकारी

बाड़मेर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर शुक्रवार को एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ. . इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहन दान रतनू ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य एक मुकम्मल और अच्छा इंसान बनाना है.

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Published : Feb 26, 2021, 10:36 PM IST

Seminar on National Education Policy, राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर संगोष्ठी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर संगोष्ठी

बाड़मेर. शहर के एमबीसी. राज. स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय में नीति आयोग भारत सरकार, भारतीय शिक्षण मंडल और युवा विकास केंद्र के संयुक्त तत्वावधान एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहन दान रतनू ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य एक मुकम्मल और अच्छा इंसान बनाना है.

पढ़ें- 1 मार्च से शुरू होगा प्रदेश में कोरोना वैक्सीनेशन का थर्ड फेज, 4000 वैक्सीन साइट की गई चिन्हित

दरअसल वक्त की जरुरत के मुताबिक नीति रीति में अनुकूल परिवर्तन जरूरी हो जाते हैं, उम्मीद है यह शिक्षा नीति स्थानीय और मातर भाषा में शिक्षा को बढ़ावा देकर सच्ची प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर प्रदान करेगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में रतनू ने कहा नई शिक्षा नीति बचपन को बचाने और मूल प्रतिभाओं को विकसित करने पर जोर देती है.

कार्यक्रम के विशेष वक्ता अखिल भारतीय शिक्षण मंडल के कार्यालय प्रमुख गजराज डबास ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विस्तृत ब्योरा देते हुए कहा कि यह बुनियादी तौर पर मैकाले की शिक्षा पद्धति से हटकर हमारी देशी प्रतिभाओं को अवसर देने के साथ एक बेहतर और परिष्कृत वातावरण देगी.

डबास ने बताया इसमें पहले पांच वर्षों में खेल कूद, दूसरे तीन वर्षों में बुनियाद मजबूत करने पर जोर रहेगा. अगले तीन वर्षों में विद्यार्थी की दक्षता विकसित करने पर जोर रहेगा और नवीं से बारहवीं तक के चौथे चरण में मजबूती प्रदान करने पर जोर रहेगा. डबास ने बताया अब आर्ट्स के विधार्थी साइंस और विज्ञान के कला के विषयों को एक साथ पढ़ने का विकल्प चुन सकेंगें.

कॉलेज प्राचार्य डॉ. हुक्माराम सुथार ने कहा कि उच्च शिक्षा में खास तौर पर छात्राओं के लिए इस नीति में नई राहत के प्रावधान हैं, जिससे यदि कोई एक वर्ष पढ़ता है, तो सर्टिफिकेट, दो वर्ष तो डिप्लोमा और तीन वर्ष तो डिग्री और चार वर्ष पर ग्रेजुएशन माना जाएगा. डॉ. सुथार ने बताया यदि बीच में किसी की पढ़ाई छूट भी जाती है, तो भी विद्यार्थी के पास यह अवसर रहेगा कि वह उसी से आगे का अध्ययन जारी रख सके. डॉ. सुथार ने कहा कि यह गांधी जी के स्वप्नों को आधार बनाकर चलती है.

पढ़ें- जोधपुर: जेल के स्टोर में मिले मोबाइल, जेल प्रशासन ने ठेकेदार व इंचार्ज के खिलाफ दर्ज कराया मामला

युवा विकास केंद्र समन्वयक मुकेश पचौरी ने इस अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के चिंतन और चिंता की दिशाओं पर प्रकाश डाला. सहायक आचार्य गनपत सिंह राजपुरोहित ने भी नीति की विशेषओं पर अपना पर्चा पढ़ा. निजी शिक्षक संस्थान अध्यक्ष बाल सिंह राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि इस नीति से उम्मीद है कि यह विधार्थियों की प्रतिभाओं को विकसित होने का समुचित अवसर प्रदान करेगी.

स्वास्थ्य शिविर में 162 मरीजों को मिला निःशुल्क जांच और परामर्श

राजकीय शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द महावीर नगर के तत्वाधान में इन्द्रा कोलानी, सरीया देवी मंदिर के पास शहरी कच्ची बस्ती में निःशुल्क आउटरिच चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया. पब्लिक हैल्थ मेनेजर मूलशंकर दवे ने बताया कि निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में 162 महिला-पुरूष मरीजों की जांच कर निःशुल्क दवाईया उपलब्ध करवाई गई. कैंप में 30 वर्ष से अधिक आए सभी मरीजों की बीपी, शुगर जांच कर नियमित योग व्यायाम करने का परामर्श दिया गया. ब्लड प्रेशर और मधुमेह के लक्षणों की जानकारी प्रदान की गई.

बाड़मेर. शहर के एमबीसी. राज. स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय में नीति आयोग भारत सरकार, भारतीय शिक्षण मंडल और युवा विकास केंद्र के संयुक्त तत्वावधान एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहन दान रतनू ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य एक मुकम्मल और अच्छा इंसान बनाना है.

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दरअसल वक्त की जरुरत के मुताबिक नीति रीति में अनुकूल परिवर्तन जरूरी हो जाते हैं, उम्मीद है यह शिक्षा नीति स्थानीय और मातर भाषा में शिक्षा को बढ़ावा देकर सच्ची प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर प्रदान करेगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका विषय पर आयोजित इस संगोष्ठी में रतनू ने कहा नई शिक्षा नीति बचपन को बचाने और मूल प्रतिभाओं को विकसित करने पर जोर देती है.

कार्यक्रम के विशेष वक्ता अखिल भारतीय शिक्षण मंडल के कार्यालय प्रमुख गजराज डबास ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विस्तृत ब्योरा देते हुए कहा कि यह बुनियादी तौर पर मैकाले की शिक्षा पद्धति से हटकर हमारी देशी प्रतिभाओं को अवसर देने के साथ एक बेहतर और परिष्कृत वातावरण देगी.

डबास ने बताया इसमें पहले पांच वर्षों में खेल कूद, दूसरे तीन वर्षों में बुनियाद मजबूत करने पर जोर रहेगा. अगले तीन वर्षों में विद्यार्थी की दक्षता विकसित करने पर जोर रहेगा और नवीं से बारहवीं तक के चौथे चरण में मजबूती प्रदान करने पर जोर रहेगा. डबास ने बताया अब आर्ट्स के विधार्थी साइंस और विज्ञान के कला के विषयों को एक साथ पढ़ने का विकल्प चुन सकेंगें.

कॉलेज प्राचार्य डॉ. हुक्माराम सुथार ने कहा कि उच्च शिक्षा में खास तौर पर छात्राओं के लिए इस नीति में नई राहत के प्रावधान हैं, जिससे यदि कोई एक वर्ष पढ़ता है, तो सर्टिफिकेट, दो वर्ष तो डिप्लोमा और तीन वर्ष तो डिग्री और चार वर्ष पर ग्रेजुएशन माना जाएगा. डॉ. सुथार ने बताया यदि बीच में किसी की पढ़ाई छूट भी जाती है, तो भी विद्यार्थी के पास यह अवसर रहेगा कि वह उसी से आगे का अध्ययन जारी रख सके. डॉ. सुथार ने कहा कि यह गांधी जी के स्वप्नों को आधार बनाकर चलती है.

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युवा विकास केंद्र समन्वयक मुकेश पचौरी ने इस अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के चिंतन और चिंता की दिशाओं पर प्रकाश डाला. सहायक आचार्य गनपत सिंह राजपुरोहित ने भी नीति की विशेषओं पर अपना पर्चा पढ़ा. निजी शिक्षक संस्थान अध्यक्ष बाल सिंह राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि इस नीति से उम्मीद है कि यह विधार्थियों की प्रतिभाओं को विकसित होने का समुचित अवसर प्रदान करेगी.

स्वास्थ्य शिविर में 162 मरीजों को मिला निःशुल्क जांच और परामर्श

राजकीय शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द महावीर नगर के तत्वाधान में इन्द्रा कोलानी, सरीया देवी मंदिर के पास शहरी कच्ची बस्ती में निःशुल्क आउटरिच चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया. पब्लिक हैल्थ मेनेजर मूलशंकर दवे ने बताया कि निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में 162 महिला-पुरूष मरीजों की जांच कर निःशुल्क दवाईया उपलब्ध करवाई गई. कैंप में 30 वर्ष से अधिक आए सभी मरीजों की बीपी, शुगर जांच कर नियमित योग व्यायाम करने का परामर्श दिया गया. ब्लड प्रेशर और मधुमेह के लक्षणों की जानकारी प्रदान की गई.

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