बाड़मेर. पश्चिमी राजस्थान की बाड़मेर विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी अब तक इस सीट पर कोई उम्मीदवार घोषित नहीं कर पाई है. वहीं, इस सीट पर सबसे मजबूत दावेदार के रूप में मानी जा रही डॉक्टर प्रियंका चौधरी की टिकट को लेकर पेंच फंसा हुआ है. इन सब के बीच डॉ. प्रियंका चौधरी ने शनिवार को अघोषित बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है.
सभा में भावुक हुईं प्रियंका चौधरी: शहर के सिणधरी सर्किल के पास एक सभा आयोजित की गई, जिसे संबोधित करते हुए प्रियंका चौधरी ने कहा कि पार्टी की निष्ठावान कार्यकर्ता हूं और पूरा भरोसा है कि पार्टी मुझे जरूर टिकट देगी. इसी भरोसे के साथ आज शुभ मुहूर्त में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल कर रही हूं. सभा को संबोधित करते हुए प्रियंका कई बार भावुक नजर आईं. इस सभा में साधु संतों के साथ पूर्व विधायक जालम सिंह रावलोत समेत बीजेपी से जुड़े कई लोग मौजूद रहे.
शुभ मुहूर्त में नामांकन किया दाखिल : सिणधरी चौराहे से नामांकन रैली के साथ प्रियंका चौधरी कलेक्ट्रेट पहुंचीं और फिर उपखण्ड कार्यालय पहुंचकर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए प्रियंका चौधरी ने कहा कि हमारी स्नातन संस्कृति में कोई भी शुभ कार्य पहले मुहूर्त के साथ होता है और मेरे नाम का मुहूर्त आज का था, इसलिए आज मैंने भारतीय जनता पार्टी से फॉर्म भरा है. सभी के आशीर्वाद से जरूर फैसला पक्ष में होगा.
अघोषित भाजपा प्रत्याशी! : भाजपा की ओर से बाड़मेर सीट पर अब तक कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है. शनिवार को जब प्रियंका चौधरी ने बीजेपी के अघोषित उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल किया, तो इस बात का पूरा ख्याल रखा गया कि पार्टी के विरोध में कोई नहीं बोले. सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और सीपी जोशी से लेकर तमाम भाजपा के नेताओं के जमकर नारे लगाए गए.
बाड़मेर के टिकट को लेकर फंसा पेज : बाड़मेर भाजपा की सबसे मजबूत दावेदार मानी जा रहीं प्रियंका चौधरी की टिकट को लेकर पेंच फंसा हुआ है. बताया जा रहा है कि पार्टी प्रियंका चौधरी को किन्ही कारणों से टिकट देने के पक्ष में नहीं है. ऐसे में शुक्रवार देर शाम बाड़मेर सीट पर टिकट को लेकर केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की ताकि किसी नए नाम पर एक राय बनाई जा सके, लेकिन उस बैठक के दौरान कोई हल नहीं निकल पाया.