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Rajasthan Election : बाड़मेर सीट पर कांग्रेस के मजबूत दावेदार मेवाराम जैन की काट की तलाश में भाजपा, इन दो नेताओं पर टिकी निगाहें

Rajasthan Assembly Election 2023, बाड़मेर विधानसभा में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है. यहां भाजपा अब तक कांग्रेस के मजबूत दावेदार मेवाराम जैन की काट नहीं ढूंढ पाई है. इन सबके बीच चर्चा है कि इस बार अपना परचम लहराने के लिए भाजपा प्रियंका चौधरी या कैलाश चौधरी को मैदान में उतार सकती है.

Rajasthan Election
बाड़मेर की राजनीति
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 22, 2023, 8:03 AM IST

बाड़मेर. पश्चिमी राजस्थान की बाड़मेर विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखी जा रही है. यही वजह है कि भाजपा अपनी दूसरी सूची में भी बाड़मेर सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है. इस सीट पर पिछले तीन बार से लगातार भाजपा को हार का सामना करना पड़ रहा है. यहां से कांग्रेस के मेवाराम जैन लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं और चौथी बार भी चुनावी दंगल में उतरने को तैयार हैं. वहीं भाजपा मेवाराम जैन की काट तलाशने में जुटी हुई है.

बाड़मेर विधानसभा सीट पर पिछले तीन बार से लगातार जीत हासिल करने वाले कांग्रेस के विधायक मेवाराम जैन का नाम वर्तमान में भी एक मजबूत दावेदार के रूप में चल रहा है. वहीं, भाजपा के लिए यहां टिकट फाइनल करना चुनौती बनी हुई है. भाजपा को इस सीट पर मजबूत प्रत्याशी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. फिलहाल, प्रियंका चौधरी और कैलाश चौधरी का नाम प्रमुखता से चल रहा है. कांग्रेस से सीट छीनने के लिए भाजपा मजबूत प्रत्याशी के रूप में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी पर दांव खेल सकती है.

पढ़ें : Rajasthan assembly Election 2023 : धौलपुर में फिर होगा जीजा-साली का रोचक मुकाबला! भाजपा की दूसरी सूची में शिवचरण कुशवाह प्रत्याशी घोषित

जानकारों की मानें तो कैलाश चौधरी इस सीट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं. वहीं, इस सीट पर प्रियंका चौधरी सबसे मजबूत दावेदार हैं जो कि कांग्रेस के मेवाराम जैन को कड़ी टक्कर दे सकती हैं, लेकिन पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नजदीकी उनकी टिकट की राह में रोड़ा बनता जा रहा है. बाड़मेर के कांग्रेस के मौजूदा विधायक मेवाराम जैन इस सीट पर कांग्रेस में सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. भाजपा दूसरी सूची में भी बाड़मेर सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है. ऐसे में अब सबकी निगाहें भाजपा की टिकट पर टिकी हुई हैं.

आपको बता दें कि बाड़मेर विधानसभा सीट 1951 से ही अस्तित्व में है. यहां अब तक हुए 15 विधानसभा चुनाव में से 8 बार कांग्रेस ने विजय पताका लहराया है तो वहीं भाजपा को अब तक सिर्फ एक बार कामयाबी हाथ लगी है. जबकि रामराज्य परिषद और निर्दलीय ने दो बार चुनाव जीता है. वहीं, एक बार लोकदल और जनता दल ने जीत हासिल की. पिछले 15 सालों से इस सीट पर भाजपा कांग्रेस का वर्चस्व तोड़ने में जुटी हुई है.

बाड़मेर. पश्चिमी राजस्थान की बाड़मेर विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखी जा रही है. यही वजह है कि भाजपा अपनी दूसरी सूची में भी बाड़मेर सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है. इस सीट पर पिछले तीन बार से लगातार भाजपा को हार का सामना करना पड़ रहा है. यहां से कांग्रेस के मेवाराम जैन लगातार तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं और चौथी बार भी चुनावी दंगल में उतरने को तैयार हैं. वहीं भाजपा मेवाराम जैन की काट तलाशने में जुटी हुई है.

बाड़मेर विधानसभा सीट पर पिछले तीन बार से लगातार जीत हासिल करने वाले कांग्रेस के विधायक मेवाराम जैन का नाम वर्तमान में भी एक मजबूत दावेदार के रूप में चल रहा है. वहीं, भाजपा के लिए यहां टिकट फाइनल करना चुनौती बनी हुई है. भाजपा को इस सीट पर मजबूत प्रत्याशी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. फिलहाल, प्रियंका चौधरी और कैलाश चौधरी का नाम प्रमुखता से चल रहा है. कांग्रेस से सीट छीनने के लिए भाजपा मजबूत प्रत्याशी के रूप में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी पर दांव खेल सकती है.

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जानकारों की मानें तो कैलाश चौधरी इस सीट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं. वहीं, इस सीट पर प्रियंका चौधरी सबसे मजबूत दावेदार हैं जो कि कांग्रेस के मेवाराम जैन को कड़ी टक्कर दे सकती हैं, लेकिन पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से नजदीकी उनकी टिकट की राह में रोड़ा बनता जा रहा है. बाड़मेर के कांग्रेस के मौजूदा विधायक मेवाराम जैन इस सीट पर कांग्रेस में सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. भाजपा दूसरी सूची में भी बाड़मेर सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है. ऐसे में अब सबकी निगाहें भाजपा की टिकट पर टिकी हुई हैं.

आपको बता दें कि बाड़मेर विधानसभा सीट 1951 से ही अस्तित्व में है. यहां अब तक हुए 15 विधानसभा चुनाव में से 8 बार कांग्रेस ने विजय पताका लहराया है तो वहीं भाजपा को अब तक सिर्फ एक बार कामयाबी हाथ लगी है. जबकि रामराज्य परिषद और निर्दलीय ने दो बार चुनाव जीता है. वहीं, एक बार लोकदल और जनता दल ने जीत हासिल की. पिछले 15 सालों से इस सीट पर भाजपा कांग्रेस का वर्चस्व तोड़ने में जुटी हुई है.

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