बाड़मेर. टीकाकरण महोत्सव और वैक्सीन की जमीनी हकीकत तो यह है कि जहां पूरे देश में एक तरफ कोरोना की दूसरी लहर आ गयी है तो वहीं दूसरी तरफ वैक्सीनेशंस को लेकर मोदी सरकार कई कार्यक्रम चला रही है. लोगों को जागरूक कर रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. बता दें कि राजस्थान के बाड़मेर जिले में रोज के 40-45 हजार टीकों की आवश्यकता है, लेकिन आलम तो यह है कि अब बाड़मेर मेडिकल विभाग के पास सिर्फ 10 हजार टीकों का स्टॉक ही बचा है.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण महोत्सव का आह्वान किया है, वह कैसे पूरा होगा. जिस तरीके से अचानक ही कोरोना को लेकर हालात बिगड़े हैं, उसके बाद लोगों में टीके के प्रति जागरूकता भी बढ़ गई है. वैक्सीनेशन सेंटर पर भारी भीड़ नजर आ रही है, लेकिन लोगों को बिना टीका लगाए वापस लौटना पड़ता है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर टीकाकरण का अभियान कैसे पूरा होगा.
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वहीं, प्रधानमंत्री ने 11 अप्रैल को महात्मा गांधी ज्योतिबा फूले जयंती से लेकर 14 अप्रैल डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती तक टीकाकरण महोत्सव मनाने का आह्वान करते हुए अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाने की अपील की थी, लेकिन राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर में कोरोना वैक्सीन के टीके खत्म होने वाले हैं. ऐसे में बिना टीको के टीकाकरण महोत्सव कैसे मनाया जा सकता है, जो यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है.
इसको लेकर सीएमएचओ डॉ बाबूलाल विश्नोई ने बताया कि केवल 10000 टीके का स्टॉक शेष है, जबकि रोजाना 40 से 45 हजार टीकों की आवश्यकता है. वहीं, उन्होंने बताया कि सिर्फ 10 हजार टीका और सोमवार को पाली से मिलेंगे. ऐसे में टीको की भारी कमी चल रही है, अब जल्द ही टीके नहीं मिले तो टीकाकरण महोत्सव प्रभावित होगा.
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जहां एक ओर टीकाकरण को लेकर पहले तो सरकार लोगों को जागरूक कर रही थी, लेकिन अब अचानक कि लोग जागरूक हो गए तो टीकों की भयंकर कमी देखने को मिल रही है. कहीं वैक्सीनेशन सेंटर पर मेडिकल विभाग को मजबूरन बंद करना पड़ रहा है. इसके साथ ही वहीं अपने पूरे कार्यक्रम को बदलना पड़ता है, क्योंकि जितनी आवश्यकता थी उतना टीकाकरण नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में कैसे टीकाकरण का महाअभियान सफल होगा, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं.