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Shardiya Navratri 2023 : यहां पहाड़ी पर विराजीं मां जगदंबा पूरी करती हैं भक्तों की मुराद, जानें गढ़ जोगमाया मंदिर का इतिहास

Jogmaya Temple Barmer, 1400 फीट ऊंची पहाड़ी पर विराजीं माता जोगमाया में बाड़मेर के लोगों की अटूट आस्था है. मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान जो भी भक्त यहां सच्चे मन से माता रानी की पूजा-अर्चना करता है, मां उसकी सभी मुरादें पूरी कर देती हैं.

Shardiya Navratri 2023
Shardiya Navratri 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 19, 2023, 9:02 AM IST

Updated : Oct 19, 2023, 12:49 PM IST

पहाड़ी पर विराजी जगदंबा

बाड़मेर. शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन (गुरुवार) हम आपको पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर में स्थित माता के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि लगभग 1400 फीट ऊंची एक पहाड़ी पर है. इस मंदिर में आने वाले भक्तों की माता रानी सभी मुरादे पूरी कर देती हैं. यही वजह है कि आज ये मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का अटूट केंद्र बन गया है. इस मंदिर से चमत्कार के कई किस्से और कहानियां भी जुड़ी हैं.

गढ़ जोगमाया मंदिर का इतिहास : सीमावर्ती जिला बाड़मेर स्थित गढ़ जोगमाया मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां पहाड़ी पर विराजीं माता रानी अपने हर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. यही वजह है कि यहां के स्थानीय लोग खुद को माता के चरणों में समर्पित रखते हैं. बताया जाता है कि 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की ओर से हुई बमबारी में भी यहां किसी का बाल तक बांका नहीं हुआ था.

Shardiya Navratri 2023
माता जोगमाया का दरबार

इसे भी पढ़ें - Shardiya Navratri 2023 : दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर, जहां माता रानी करती हैं अग्नि स्नान, दर्शन मात्र से पूरी होती है भक्तों की मुराद

शहर से पहले स्थापित हुआ था माता का मंदिर : बाड़मेर के पूर्व राजपरिवार के रावत त्रिभुवन सिंह के मुताबिक 16वीं शताब्दी के आसपास रावत भीमजी ने बाड़मेर शहर को बसाया था. उन्होंने सर्वप्रथम मंदिर की स्थापना की थी और उसके बाद शहर को बसाया था. मंदिर की स्थापना के बाद से ही यहां पूजन व दर्शन के लिए भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो आज भी बदस्तूर जारी है. मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान यहां जो भी भक्त सच्चे मन से माता रानी की पूजा व दर्शन करता है उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं.

देवी के चरणों में महफूज है बाड़मेर : रावत त्रिभुवन सिंह ने बताया कि 1965 और 1971 की जंग में पाकिस्तान की ओर से एयर स्ट्राइक कर बमबारी की गई थी. बावजूद इसके यहां के लोगों को कोई हानि नहीं हुई. माता ने सभी की रक्षा की. हालांकि, तब रडार सिस्टम इतना मजबूत नहीं होता था, लेकिन देवी की मेहरबानी से शहर को कोई नुकसान नहीं हुआ. उन्होंने आगे बताया कि उस समय सबसे नजदीक बम रेलवे स्टेशन पर गिरा था. उसमें भी किसी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई. उस वक्त शहर बहुत छोटा था और शहर के सभी लोग युद्ध के समय जब सायरन बजाता था तो मंदिर की सीढ़ियों पर आकर बैठ जाते थे.

Shardiya Navratri 2023
माता जोगमाया

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आस्था का अटूट केंद्र : देवी के मंदिर के पुजारी राहुल शर्मा बताते हैं कि 472 साल पहले रावत भीमजी ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. गढ़ जोगमाया मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए भक्तों को 500 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. इस मंदिर में साल में दो बार मेलों और एक बार कन्या पूजन का कार्यक्रम होता है. यहां नवरात्रि में भक्तों की बहुत ज्यादा भीड़ होती है. उन्होंने बताया कि शहर के कई भक्त ऐसे भी हैं, जो बिना देवी के दर्शन किए अन्न-जल भी ग्रहण नहीं करते हैं. बाड़मेर सहित दूर दराज व अन्य प्रदेशों से भी यहां श्रद्धालु माता के दर्शन व पूजन के लिए आते हैं. वहीं, जोगमाया गढ़ मंदिर से थोड़ा नीचे नागनेचिया माता का भी मंदिर है.

Shardiya Navratri 2023
1400 फीट की ऊंचाई पर विराजमान हैं माता

इसे भी पढ़ें - Shardiya Navratri 2023 : तरतई माता के दरबार में लगा भक्तों का तांता, 9 दिन होगी विशेष पूजा-अर्चना

1400 फीट ऊंची पहाड़ी पर माता का मंदिर : श्रद्धालु तारा चौधरी ने बताया कि गढ़ जोगमाया मंदिर बहुत पुराना है और लगभग 1400 फीट की ऊंचाई पर है. नवरात्रि में सुबह से शाम तक यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. शहर से लेकर गांव तक के लोग यहां रोजाना मंदिर दर्शन के लिए आते हैं. वहीं, एक अन्य श्रद्धालु सुनील जैन ने बताया कि 20 सालों से वो नियमित यहां माता के दर्शन के लिए आ रहे हैं. श्रद्धालु धन्नाराम ने बताया कि घर के बड़े बुजुर्गों से सुना है कि भारत-पाक के बीच जब 1965 और 1971 में युद्ध हुआ तो पाकिस्तान की ओर से भारी बमबारी की गई थी, लेकिन माता रानी ने तब पूरे शहर की रक्षा की थी.

पहाड़ी पर विराजी जगदंबा

बाड़मेर. शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन (गुरुवार) हम आपको पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर में स्थित माता के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि लगभग 1400 फीट ऊंची एक पहाड़ी पर है. इस मंदिर में आने वाले भक्तों की माता रानी सभी मुरादे पूरी कर देती हैं. यही वजह है कि आज ये मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का अटूट केंद्र बन गया है. इस मंदिर से चमत्कार के कई किस्से और कहानियां भी जुड़ी हैं.

गढ़ जोगमाया मंदिर का इतिहास : सीमावर्ती जिला बाड़मेर स्थित गढ़ जोगमाया मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां पहाड़ी पर विराजीं माता रानी अपने हर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. यही वजह है कि यहां के स्थानीय लोग खुद को माता के चरणों में समर्पित रखते हैं. बताया जाता है कि 1965 और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की ओर से हुई बमबारी में भी यहां किसी का बाल तक बांका नहीं हुआ था.

Shardiya Navratri 2023
माता जोगमाया का दरबार

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शहर से पहले स्थापित हुआ था माता का मंदिर : बाड़मेर के पूर्व राजपरिवार के रावत त्रिभुवन सिंह के मुताबिक 16वीं शताब्दी के आसपास रावत भीमजी ने बाड़मेर शहर को बसाया था. उन्होंने सर्वप्रथम मंदिर की स्थापना की थी और उसके बाद शहर को बसाया था. मंदिर की स्थापना के बाद से ही यहां पूजन व दर्शन के लिए भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो आज भी बदस्तूर जारी है. मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान यहां जो भी भक्त सच्चे मन से माता रानी की पूजा व दर्शन करता है उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं.

देवी के चरणों में महफूज है बाड़मेर : रावत त्रिभुवन सिंह ने बताया कि 1965 और 1971 की जंग में पाकिस्तान की ओर से एयर स्ट्राइक कर बमबारी की गई थी. बावजूद इसके यहां के लोगों को कोई हानि नहीं हुई. माता ने सभी की रक्षा की. हालांकि, तब रडार सिस्टम इतना मजबूत नहीं होता था, लेकिन देवी की मेहरबानी से शहर को कोई नुकसान नहीं हुआ. उन्होंने आगे बताया कि उस समय सबसे नजदीक बम रेलवे स्टेशन पर गिरा था. उसमें भी किसी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई. उस वक्त शहर बहुत छोटा था और शहर के सभी लोग युद्ध के समय जब सायरन बजाता था तो मंदिर की सीढ़ियों पर आकर बैठ जाते थे.

Shardiya Navratri 2023
माता जोगमाया

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आस्था का अटूट केंद्र : देवी के मंदिर के पुजारी राहुल शर्मा बताते हैं कि 472 साल पहले रावत भीमजी ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. गढ़ जोगमाया मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए भक्तों को 500 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. इस मंदिर में साल में दो बार मेलों और एक बार कन्या पूजन का कार्यक्रम होता है. यहां नवरात्रि में भक्तों की बहुत ज्यादा भीड़ होती है. उन्होंने बताया कि शहर के कई भक्त ऐसे भी हैं, जो बिना देवी के दर्शन किए अन्न-जल भी ग्रहण नहीं करते हैं. बाड़मेर सहित दूर दराज व अन्य प्रदेशों से भी यहां श्रद्धालु माता के दर्शन व पूजन के लिए आते हैं. वहीं, जोगमाया गढ़ मंदिर से थोड़ा नीचे नागनेचिया माता का भी मंदिर है.

Shardiya Navratri 2023
1400 फीट की ऊंचाई पर विराजमान हैं माता

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1400 फीट ऊंची पहाड़ी पर माता का मंदिर : श्रद्धालु तारा चौधरी ने बताया कि गढ़ जोगमाया मंदिर बहुत पुराना है और लगभग 1400 फीट की ऊंचाई पर है. नवरात्रि में सुबह से शाम तक यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. शहर से लेकर गांव तक के लोग यहां रोजाना मंदिर दर्शन के लिए आते हैं. वहीं, एक अन्य श्रद्धालु सुनील जैन ने बताया कि 20 सालों से वो नियमित यहां माता के दर्शन के लिए आ रहे हैं. श्रद्धालु धन्नाराम ने बताया कि घर के बड़े बुजुर्गों से सुना है कि भारत-पाक के बीच जब 1965 और 1971 में युद्ध हुआ तो पाकिस्तान की ओर से भारी बमबारी की गई थी, लेकिन माता रानी ने तब पूरे शहर की रक्षा की थी.

Last Updated : Oct 19, 2023, 12:49 PM IST
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