बाड़मेर. जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, तब से प्रवासी श्रमिक किसी ना किसी तरह से परेशान है और सरकार के पल पल में बदलते आदेशों की वजह से प्रवासी श्रमिकों को और परेशानी में डाल रही है. ऐसा ही एक मामला बाड़मेर में देखने को मिला, जब बाड़मेर जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट कार्यालय में बाड़मेर से बिहार जाने के लिए विशेष ट्रेन के बारे में सुनकर सैकड़ों लोग कलेक्ट्रेट कार्यालय के आगे इकट्ठा हो गए. मुरझाए चेहरों और अश्कों से भरी आंखों के साथ लोगों ने जिला प्रशासन से जैसे-तैसे करके उन्हें अपने घर भेजने की गुहार लगाई.
गौरतलब है कि अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर राजस्थान में फंसे यहां वह सैकड़ों बिहार और झारखंड के मजदूर है, जो बाड़मेर में तेल और गैस खोज में लगी कंपनियों में मजदूर के तौर पर काम करते थे. लेकिन अब कोरोना संकट और लॉकडाउन के बाद ये मजदूर अपने-अपने घर को जाने के लिए जतन में लगे हैं.
जिला कलेक्टर के पास गुहार लेकर पहुंचे इन लोगों में से कुछ लोगों ने यहां तक कह दिया कि बिहार सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है लेकिन राज्य सरकार ने यहां तक नहीं पूछा कि वह जिंदा है या मर गए. लोगों का आरोप है कि उन्हें कई दिनों से खाने को दाना तक नहीं मिला है, ऐसे में जैसे भी हो उन्हें उनके घर जाना है.
एक तरफ लॉकडाउन के बाद से यहां सभी मजदूर ना केवल अपनी मजदूरी को तरस रहे हैं ब्लकि अपने घरों से हजारों किलोमीटर दूर होने के चलते इन्हें अपने घरवालों की फिक्र सता रही है. ऐसे में जब बाड़मेर से बिहार के लिए रविवार को विशेष ट्रेन की रवानगी का सुना तो यह खुद को रोक नहीं पाए और ये मजदूर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंच गए.
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इनका कहना है कि पहले बसों की व्यवस्था की बात कही गई थी, लेकिन उन्हें जगह नहीं मिली, अब ट्रेन में भी जगह नहीं मिली तो वह कभी नहीं जा पाएंगे अपने घर. इन लोगों को समझाइश के लिए बाड़मेर तहसीलदार प्रेमसिंह मौके पर पहुंचे और उनकी समस्याएं सुनी. इस दौरान उन्होंने कहा कि मामले को लेकर कोई भी आदेश या कार्रवाई राज्य सरकार के हाथों में है. ऐसे में वह मसले को राज्य सरकार को भेज देंगे, उन्होंने इन मजदूरों की मदद का आश्वासन भी दिया है.