बाड़मेर. राजस्थान के रेगिस्तान में पाकिस्तान से आई आफत का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. एक के बाद एक टिड्डी दल की घुसपैठ लगातार जारी है, लेकिन अब तो टिड्डी दल 30-40 सालों के इतिहास में पहली बार बाड़मेर के आसपास इलाकों में पहुंच गया है और जमकर तबाही मचा रहा है.
आलम यह है कि पिछले 24 घंटों में लगातार टिड्डी दल बाड़मेर के आसपास के सभी इलाकों में अपना डेरा डाल चुके हैं. एक के बाद एक दल फसलों को चट करने में लग गया है. बुजुर्ग, युवा, बच्चे, महिलाएं सभी इसी जतन में लगी है कि किस भी तरीके से इस संकट से छुटकारा पाया जा सके. वहीं 42 डिग्री के तापमान के बाद भी टिड्डी दल ने रेगिस्तानी इलाकों में जो फसल थोड़ी बहुत रही है, उन खेतों में अटैक कर दिया है.
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पाकिस्तान से लगातार टिड्डी दल बॉर्डर से करीब 150 किलोमीटर दूर बाड़मेर तक आ पहुंचा है. शहर के बिहारी लाल के खेत में टिड्डी दल ने अटैक किया तो परिवार पूरा देखता रह गया. अब उससे निपटने के लिए परिवार के पूरे 16 लोग थालियां, चम्मच बजाकर पूरे खेत में बाजरे की फसल को बचाने में लग गया है. फिर जोर-जोर से बर्तन बजने लगे ताकि टिड्डी दल बाजरे की फसल को नुकसान ना पहुंचाएं.
खेत मालिक लूणाराम बताते हैं कि उसने अपनी जिंदगी में पहली बार इस तरीके की तबाही देखी है, हम लोग घर में काम कर रहे थे. इसी बीच अचानक टिड्डी दल इतना आ गया कि हम देखकर घबरा गए. फिर हम सारे परिवार वाले मिलकर तालियां बजाई, लेकिन उसके बावजूद भी कई टिड्डियां खेत में जमा हो गई. हम तो सरकार से यही मांग करते हैं कि किसी भी तरीके से इस संकट से छुटकारा दिलाए. हमारी जो बाजरे की फसल 12 बीघा जमीन में लगा रखी है, वह अगर टिड्डी दल चट कर लेगा तो हमारे पास कुछ भी नहीं रहेगा.
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बच्चे बताते हैं कि उन्होंने इस आफत से छुटकारा पाने के लिए बर्तन थाली को जोर-जोर से बजाया, हमें किसी तरह का मुआवजा नहीं चाहिए हम सरकार से मांग करते हैं कि टिड्डी नियंत्रण करने के लिए और मारने के लिए ऐसे यंत्र बनाए जाए जिससे फसल को नष्ट ना कर सके. वहीं बुजुर्ग महिला बताती है कि कुछ साल पहले ऐसा अटैक हुआ था, लेकिन अब फिर से इतनी बड़ी आफत आई है कि छुटकारा कैसे पाया समझ में नहीं आ रहा है. गौरतलब है कि पिछले साल भी टिड्डियों का बड़ा झुंड किसानों की रबी और खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचा चुका है. जिसको लेकर प्रशासन ने किसानों के विशेष गिरदावरी करवाकर मुआवजा भी दिया था.